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    Saharanpur News : 'अब मेरे बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा...,' पति के बाद इकलौते बेटे की मौत पर वृद्धा की चीत्कार

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 09:00 PM (IST)

    Saharanpur News सहारनपुर-नानौता मार्ग पर एक सड़क दुर्घटना में अनुज शर्मा की मृत्यु हो गई जिससे परिवार में मातम छा गया। नीलगाय को बचाने के प्रयास में यह हादसा हुआ। अनुज परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। उसकी असामयिक मृत्यु से उसकी मां और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

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    सड़क दुर्घटना में युवक की मौत (प्रतीकात्मक फोटो)

    संवाद सूत्र जागरण, नानौता (सहारनपुर)। सहारनपुर-नानौता रोड पर गांव दरियापुर के पास गुरुवार देर शाम हुए सड़क हादसे में घायल अनुज शर्मा की उपचार के दौरान मौत हो गई। हादसे में थ्री व्हीलर में सवार तीन महिलाओं समेत आठ लोग घायल हुए थे। नीलगाय से बचाने के प्रयास में कार-थ्री व्हीलर की टक्कर के कारण हादसा हुआ था।

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    गुरुवार की देर शाम हुआ हादसा

    गुरुवार की देर शाम कार से टकराने पर थ्री व्हीलर में सवार अनुज शर्मा की मौत ने परिवार को कभी न भूलने वाला गम दे दिया। स्थानीय बैंक शाखा में सुरक्षागार्ड के पद पर तैनात एक बुजुर्ग पिता विष्णु दत्त शर्मा की मृत्यु के बाद ही सड़क हादसे में घायल हुए उनके इकलौते बेटे अनुज शर्मा की भी उपचार के दौरान मौत हो गई। अनुज परिवार का इकलौता चिराग था, जिसकी विदाई से बुजुर्ग मां और दो बहनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। अनुज की शादी भी नहीं हुई थी, जिससे परिवार की त्रासदी और गहरी हो गई।

    अनुज के पिता की मृत्यु के बाद मानवीय आधार पर अनुज को कुछ समय के लिए बैंक संविदा कर्मी के रूप में काम पर रखा था। वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य बन गया था। पिता के निधन से पहले ही बुजुर्ग मां का सहारा टूट चुका था, और अब बेटे की मौत ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया। रोती-बिलखती मां प्रमिला देवी ने बार-बार यही कहा, बस-बस... अब मेरा बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा, कैसे गुजारा होगा? बेटे से पहले मैं ही चली जाती। उनकी आवाज में इतना दर्द था कि आसपास के लोग भी भावुक हो गए। 

    अनुज दो बहनों मोना और नेहा में दूसरे नंबर का इकलौता भाई था। बहनें भी फूट-फूटकर रो रही हैं। बहनों का कहना था कि, भाई हमारा कुल का चिराग था। अब हमारा क्या होगा? वह हमेशा कहता था कि भले ही पिता नहीं है लेकिन वह उनका हर तरह से ख्याल रखेगा। लेकिन अब सब कुछ अधूरा रह गया। रोती बिलखती हुई बहनों ने कहा कि अनुज बहुत जिम्मेदार था। वह न केवल परिवार का भरण-पोषण करता था, बल्कि बहनों के भविष्य की चिंता भी करता रहता।