Saharanpur News: वेटलैंड को संरक्षित करने से बढ़ेगा भूजल स्तर, बाढ़ नियंत्रण में मिलेगी मदद, कई और भी हैं इसके लाभ
Saharanpur News सहारनपुर जिले में वेटलैंड संरक्षण की दिशा में काम शुरू किया जाएगा जिसके तहत नौ गांवों में स्थलों को चिह्नित किया गया है। यह कदम भूजल स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। वेटलैंड वर्षा जल से भूजल को रिचार्ज करते हैं और बाढ़ नियंत्रण में भी सहायक होते हैं।

जागरण संवाददाता, सहारनपुर। जिले में वेटलैंड को संरक्षित करने की दिशा में काम शुरू होगा। यहां नौ गांवों के स्थलों को वेटलैंड बनाने के लिए चिन्हित किया गया है।भूजल को संरक्षित करने की दिशा मे इस कदम को कारगर माना जा रहा है।वेटलैंड वर्षा जल के माध्यम से भूजल को रिचार्ज करते हैं। अगर वेटलैंड संरक्षित नहीं होंगे तो लगातार इस्तेमाल से भूजल लेवल कम होता जाएगा।
सहारनपुर में भारीदीनदारपुर, अंबेहटा शेखा, मलकपुर, गदरहेड़ी, कैलाशपुर उग्राहू, हलालपुर, बिन्नाखेड़ी, बिड़वी एवं खेड़ामुगल आदि में नौ वेटलैंड चिन्हित किए गए है। यह वेटलैंड भूमि का वह हिस्सा होता है जो स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में पानी से संतृप्त हो या उसमें डूबा रहे,इससे भूमि के पानी की जरूरत पूरी होती है।ऐसे क्षेत्रों में जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है।जैवविविधता की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील होती हैं।यहां विशेष प्रकार की वनस्पति ही फलती-फूलती हैं।
वेटलैंड उपयोग लायक पानी का एक बड़ा स्रोत होने के साथ-साथ बाढ़ से बचाने में भी सहयोग करते हैं।मछली और अन्य जलीय पौधों की खेती करने वाले लोगों का रोजगार वेटलैंड पर निर्भर करता है।वर्तमान में इनके संरक्षण के प्रयास शुरू किए गए है। भयानक बाढ़ को वेटलैंड आदि से नियंत्रित करने में भविष्य में मदद मिल सकेगी। तेजी से हो रहे शहरीकरण, खेती के बढ़ते रकबे की वजह से वेटलैंड धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
खेती और पर्यावरण के लिए अहम
खेती-किसानी और पर्यावरण की दृष्टि से वेटलैंड काफी महत्वपूर्ण हैं।खेती के लिए सबसे जरूरी पानी है़ जो भूजल एक महत्वपूर्ण स्रोत है।वेटलैंड वर्षा जल के माध्यम से भूजल को रिचार्ज करते हैं। अगर वेटलैंड संरक्षित नहीं होंगे तो लगातार इस्तेमाल से भूजल लेवल कम होता जाएगा। इसके अलावा वेटलैंड के पानी में जो पौधे होते हैं वह कार्बन को सोख लेते है जिससे पर्यावरण सुरक्षित होता है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित वेटलैंड के विकास की परियोजना को स्थानीय ग्राम पंचायत विकास योजना में शामिल करने से इनका बेहतर रखरखाव और संरक्षण होगा। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम वेटलैंड समिति बनेगी जिसमे ग्राम प्रधान अध्यक्ष होंगे,इसके अलावा पंचायत सचिव, लेखपाल, क्षेत्र के किसी विद्यालय के प्रधानाचार्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले किसी एनजीओ सहित छह नामित सदस्य होंगे।स्थानीय स्तर पर लोग वेटलैंड के महत्व को समझें और उन्हें संरक्षित करें।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा.आईके कुशवाहा ने कहा कि वेटलैंड को विकसित किए जाने से भूजल को रिचार्ज करने में मदद मिल सकेगी, इसके साथ ही इनमें मछली पालन करने से उसके पानी को खेती में उपयोग किया जा सकता है इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ने से फसलों का उत्पादन भी अच्छा होगा।
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