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    Saharanpur News : बहुत पुराना है लखनौती का इतिहास, मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारतें बढ़ा देती हैं इसका महत्व

    Saharanpur News सहारनपुर जिले का लखनौती ऐतिहासिक नगर है। बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच चले युद्ध के दौरान इसका विस्तार हुआ। मुगलकाल के दौरान लखनौती महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था जहां क्षेत्र का सबसे बड़ा सर्राफा बाजार हुआ करता था। यहां की खेतीबाड़ी का क्षेत्रफल लगभग 52000 बीघा था और मालगुजारी की राशि अधिक थी। यहां कई ऐतिहासिक स्मारक मौजूद हैं।

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha Updated: Wed, 27 Aug 2025 12:06 AM (IST)
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    सहारनपुर के लखनौती में स्थित किला। जागरण

    नौशाद चौधरी, जागरण, गंगोह (सहारनपुर)। लखनौती का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारतें इसके महत्व को और बढ़ा देती हैं। लखनौती उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर स्थित यूपी की अंतिम न्याय पंचायत है। लेकिन अब लखनौती की ऐतिहासिक इमारतों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

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    लखनौती में 1.772 हेक्टेयर भूमि में फैले किले को अपीलीय न्यायालय ने सरकारी संपत्ति माना है। लखनौती राजस्व अभिलेखों में खसरा नंबर 174 आबादी किला के रूप में दर्ज है। जमीदारा खात्मे से पहले इस भूमि पर एएनडब्ल्यू पाल का नाम दर्ज था। चकबंदी में इस भूमि को आबादी घोषित कर दिया गया था। इस मामले को लेकर किले में रह रहे फरजंद अली, शाह हसन, मोहम्मद कारिब, मोहम्मद शारिब और मोहम्मद कुमैल ने एसडीएम सदर के 12 जुलाई 2021 के आदेश को जिला जज की अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने और पत्रावली पर आए साक्ष्य के आधार पर पाया कि एसडीएम सदर का आदेश सही है। इसमें किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस आदेश में एसडीएम ने किले को सरकारी संपत्ति घोषित की थी। अपीलेट कोर्ट ने एसडीएम का आदेश बरकरार रखते हुए किले की भूमि को सरकारी संपत्ति बताया है। बता दें कि गांव के कुछ लोगों ने किले पर कब्जे की शिकायत की थी।

    ऐतिहासिक महत्व पर एक नजर

    बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच चले युद्ध के दौरान लखनौती का विस्तार हुआ। मुगलकाल के दौरान लखनौती महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था, जहां क्षेत्र का सबसे बड़ा सर्राफा बाजार हुआ करता था। यहां की खेतीबाड़ी का क्षेत्रफल लगभग 52,000 बीघा था और मालगुजारी की राशि अधिक थी। यहां कई ऐतिहासिक स्मारक मौजूद हैं, जिनमें एक प्राचीन किला, भूलभुलैया, मंदिर, मस्जिदें, इमामबाड़ा, ईदगाह और शाही कब्रिस्तान शामिल हैं।

    मुगलकाल के दौरान अलग-अलग जगहों पर छोटे-छोटे किले बनाए गए थे। ऐसे किले स्थानीय शासकों द्वारा बनवाए गए थे, जो मुगल साम्राज्य के अधीन थे। लखनौती का किला भी ऐसा ही एक गढ़ हो सकता है, जो दिल्ली सलतनत, मुगल साम्राज्य और बाद में स्थानीय जमींदारों के शासन के अधीन रहा है। संभवतः ऐसे किले रक्षा, क्षेत्रीय नियंत्रण या स्थानीय शक्ति के रूप में बनाए जाते थे। खसरा नं. 174 पुराना खसरा नंबर 1483/2 रकबा 8-13-0 आबादी के रूप में और 1359 फसली वर्ष में अंग्रेज एएनडब्लू पौल के नाम अंकित है। भू-अभिलेखों में आबादी जमींदारा खात्मे के बाद आबादी किले के रूप में दर्ज है।