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    मुस्लिम पर्सनल लॉ में तब्दीली नहीं की जा सकती : दारुल उलूम

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 08 Oct 2016 08:01 PM (IST)

    तीन तलाक मसले पर केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील पर देवबंदी उलेमा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    सहारनपुर (जेएनएन)। तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील पर देवबंदी उलेमा आगबबूला हैं। दारुल उलूम ने भी साफ तौर पर कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ भारतीय संविधान में दी गई मजहबी आजादी के अनुसार ही है। इसमें किसी तरह की तब्दीली नहीं की जा सकती।

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    कुबूल-कुबूल-कुबूल तो तलाक-तलाक-तलाक क्यों नहीं

    आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं दारुल उलूम वक्फ के सदर मोहतमिम मौलाना मोहम्मद सालिम कासमी ने कहा कि कुरान, हदीस और शरीयत पर किसी किस्म की बहस कबूल नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार का धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मुस्लिमों के हकों पर हमला और ङ्क्षहदुस्तानी रिवायात के खिलाफ है। फतवा ऑन मोबाइल सर्विस के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारूकी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में तब्दीली बर्दाश्त नहीं होगी। इसके लिए चाहे आंदोलन ही क्यों न करना पड़ें।

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    यह कहा था केंद्र सरकार ने

    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में दलील दी है कि इस्लाम मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक, हलाला निकाह और बहुविवाह इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। धर्म निरपेक्ष लोकतंत्र वाले इस देश में महिलाओं को संविधान में मिले बराबरी और सम्मान से जीने के हक से कैसे इंकार किया जा सकता है। ऐसा कोई भी प्रचलन जिससे महिलाएं आर्थिक, भावात्मक और सामाजिक रूप से कमजोर होती हों और पुरुषों की इच्छाओं पर निर्भर हो जाती हों, संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में मिले बराबरी के मौलिक अधिकार के खिलाफ है।

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