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    अब दारुल उलूम देवबंद की इन कक्षाओं में प्रवेश नहीं पा सकेंगे बाहरी छात्र

    By Praveen Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 08:25 PM (IST)

    Darul Uloom Deoband :दारुल उलूम देवबंद ने बाहरी छात्रों के लिए प्रवेश नियमों में बदलाव किया है। अब वे कक्षा चार से ही प्रवेश पा सकेंगे। यह निर्णय शिक् ...और पढ़ें

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    दारुल उलूम देवबंद (फाइल फोटो)

    संवाद सहयोगी, जागरण, देवबंद (सहारनपुर): विश्व प्रसिद्ध दारुल उलूम देवबंद में प्रवेश पाने के इच्छुक बाहरी छात्र अब इदारे में कक्षा चार से ही प्रवेश पा सकेंगे। शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर और व्यवस्थित बनाने के लिए संस्था प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है।

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    यानी अब अरबी कक्षा एक से अरबी कक्षा तीन तक के बाहरी छात्रों को अपनी प्राथमिक शिक्षा अन्य मदरसों में ही लेनी होगी, इसके बाद ही इनका एडमिशन दारुल उलूम में हो सकेगा। हालांकि स्थानीय छात्र पूर्व की भांति छोटी कक्षाओं में प्रवेश ले सकेंगे।

    दारुल उलूम के शिक्षा प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने इस बाबत निर्देश जारी किए है। इसमें बताया गया है कि संस्था की एकेडमिक काउंसिल की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि संस्था में अरबी की छोटी कक्षाओं यानी कक्षा एक से कक्षा तीन तक में बाहरी छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

    उन्हें शुरुआती पढ़ाई अपने पुराने और स्थानीय मदरसों में ही पूरी करनी होगी। कक्षा तीन के बाद ही उन्हें संस्था में प्रवेश मिल सकेगा। बताया कि पिछले कई सालों से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि स्थानीय मदरसे अपने यहां के बच्चों को अपनी ही संस्था में प्राथमिक शिक्षा दिलाएं, इसके बाद ही वह दारुल उलूम का रुख करें।

    इसके बावजूद मदरसों ने इस पर कोई तवज्जो नहीं दी। इसके नकारात्मक परिणाम सामने आए। क्योंकि जिन छात्रों का मेरिट या अन्य प्रवेश प्रक्रिया के चलते देवबंद में एडमिशन नहीं हो पाया, वह वापस अपने मदरसों तक पढ़ाई के लिए नहीं पहुंचे और इससे उनकी शिक्षा का नुकसान हुआ।

    ऐसे में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि अरबी कक्षा एक से कक्षा तीन तक के बाहरी छात्रों को संस्था में प्रवेश नहीं मिलेगा। मौलाना हुसैन के मुताबिक इस नई व्यवस्था में देवबंद के छात्रों, संस्था के उस्ताद व कर्मचारियों के बच्चों के लिए छूट रहेगी।

    छोटे मदरसों को होगा फायदा

    दारुल उलूम के इस नए फैसले से छोटे मदरसों को फायदा पहुंचेगा। इससे अन्य शहरों व कस्बों आदि के बच्चे दारुल उलूम का रुख करने के बजाय अपने स्थानीय मदरसों को तरजीह देंगे, जिससे छोटे मदरसों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी।

    ध्यान केंद्रित कर पढ़ाई कर सकेंगे छात्र

    दारुल उलूम विश्व विख्यात इदारा होने के कारण छात्रों की इच्छा होती है कि वह यहां से तालीम हासिल करें। इस फैसले के बाद बच्चे अपने मदरसों में ही प्रवेश पाने के बाद कक्षा तीन तक वहीं पढ़ाई करेंगे और उनका पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रहेगा।

    वहीं, यहां प्रवेश के लिए आने वाले छात्रों का समय भी बचेगा, क्योंकि दारुल उलूम की जटिल प्रवेश प्रक्रिया के कारण बड़ी संख्या में बच्चों का एडमिशन यहां नहीं हो पाता है और उन्हें वापस लौटना पड़ता है।

    अपनी शाखाओं को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम

    देश में चलने वाले अधिकांश छोटे मकतब व मदरसे दारुल उलूम देवबंद से संबद्ध है और राबता ए मदारिस ए इस्लामिया के तहत आते है। दारुल उलूम समय समय पर छोटे मदरसों की बेहतरी व मजबूती के लिए दिशा निर्देश भी जारी करता है। दारुल उलूम के इस कदम से छोटे मदरसों को मजबूती प्रदान होगी।