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    रामपुर: 12 साल बाद हत्या के आरोप से बरी हुआ युवक, नाबालिग होने पर चला था मुकदमा

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 11:26 AM (IST)

    रामपुर में 2013 के एक जहर देकर हत्या के मामले में युवक सुरेंद्र को 12 साल बाद बरी कर दिया गया है। घटना के समय नाबालिग होने के कारण उसका मुकदमा किशोर न ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, रामपुर : ग्रामीण की जहर देकर हत्या के मुकदमे में 12 साल बाद युवक को राहत मिली है। उसे न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। घटना के समय वह नाबालिग था, जिसके कारण उसका मुकदमा किशोर न्यायालय में चला था। इस मुकदमे के कारण उसे सात माह जेल में भी बिताने पड़े थे।

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    शहजादनगर थाना क्षेत्र में हुई थी घटना


    हत्या की वारदात शहजादनगर थाना क्षेत्र में हुई थी। बकनौरी गांव के चंद्रसेन ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें कहा था कि उनके भाई राधेश्याम को 10 सितंबर 1013 को मेरा भाई खेत पर काम कर रहा था। वहां गांव के मुकंदी के एक रिश्तेदार आए और मेरे भाई से बीड़ी मांगी थी। भाई ने मना कर दिया। इसी को लेकर उनके बीच कहासुनी हुई। मेरा भाई घर आ गया। कुछ देर बाद मुकंदी पक्ष के लोग घर आए और भाई को लेकर खेत पर चले गए। वहां उसके साथ मारपीट की और जबरन जहर पिला दिया। इससे मेरे भाई की मृत्यु हो गई थी।

    नाबालिग होने पर किशोर न्यायालय में चला था मुकदमा

    पुलिस ने मुकंदी सिंह, उसके बेटे सुरेंद्र सिंह, भाई गजराम सिंह, भतीजे बिजनेस और लखपत के खिलाफ हत्या की धारा में प्राथमिकी दर्ज कर जांच की। विवेचना पूरी होने पर पांचों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। सेशन कोर्ट में सभी के खिलाफ मुकदमा चला, लेकिन सुरेंद्र की आयु घटना के समय 16 वर्ष होने के कारण उसे किशोर मानते हुए उसकी पत्रावली किशोर न्यायालय में स्थानांतरित कर दी गई।

    पूर्व डीजीसी अधिवक्ता सत्यपाल सैनी ने उसके मुकदमे में पैरवी की। अधिवक्ता ने बताया कि अभियोजन के दो गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। घटना का कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं था। इस पर न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए सुरेंद्र को बरी कर दिया है। इसके अतिरिक्त इसी मुकदमे में सेशन कोर्ट से बाकी चार आरोपित वर्ष 2017 में बरी हुए थे। इसका भी यहां युवक को लाभ मिला।

    सात माह तक जेल में रहा था युवक


    हत्या के मामले में न्यायालय से सुरेंद्र भले ही बरी हो गया, लेकिन उसे सात माह जेल में बिताने पड़े थे। प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उसके अधिवक्ता ने बताया कि सुरेंद्र को नाबालिग घोषित करने के लिए उसकी कक्षा पांच और हाईस्कूल की टीसी न्यायालय में दाखिल की थी, जिनके अनुसार उसकी जन्मतिथि पहली जनवरी 1997 है। इस तरह घटना के समय उसकी आयु 16 वर्ष थी। तब वह कक्षा 11 में पढ़ता था। उधर, इस संबंध में सुरेंद्र के स्वजन से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस संबध में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।