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    Rampur Upchunav : स्वार सीट जीत कर आजम पर एक और वार करेगी भाजपा, जीत के लिए करेगी मंथन

    By Rajeev DixitEdited By: Mohammed Ammar
    Updated: Thu, 30 Mar 2023 09:37 PM (IST)

    पिछले दो विधान सभा चुनावों में इस सीट पर आजम परिवार का वर्चस्व रहा है। आजम के पुत्र अब्दुल्ला आजम यहां से 2017 और 2022 में सपा विधायक निर्वाचित हुए थे। यह विडंबना ही है कि दोनों बार उन्हें विधायकी से हाथ धोना पड़ा।

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    Rampur : स्वार सीट जीत कर आजम पर एक और वार करेगी भाजपा

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ : रामपुर की स्वार विधान सभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा होते ही भाजपा की निगाहें सपा के दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां के इस आखिरी गढ़ पर टिक गई है। स्वार सीट आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम की विधान सभा सदस्यता रद होने से रिक्त हुई है। भाजपा की कोशिश है कि उसके धुर विरोधी रहे आजम के इस आखिरी गढ़ को जीत कर रामपुर में उनकी सियासत के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी जाए।

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    रामपुर की संसदीय और विधान सभा सीटें जीतकर भाजपा सपा के इस गढ़ में एक और उलटफेर कर जिले की सियासत में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए आतुर है तो इसकी वजह भी है। मुस्लिम बहुल स्वार सीट पर अतीत में भारतीय जनसंघ और भाजपा विजय पताका लहरा चुके हैं।

    वर्ष 1969 में जनसंघ के राजेन्द्र कुमार शर्मा यहां विजयी हुए तो 1980 में भाजपा के बलबीर सिंह ने यहां सफलता का झंडा गाड़ा। 1989 से 1996 तक हुए चार चुनावों में भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना ने यह सीट भाजपा की झोली में डाली। रामपुर में पिछले दो उपचुनावों में मिली सफलता से उत्साहित भाजपा स्‍वार सीट को जीतकर जिले में उपचुनावों की हैट्रिक पूरी करना चाहेगी।

    गौरतलब है कि पिछले साल जून में आजम खां के इस्तीफे से रिक्त हुई रामपुर लोक सभा सीट भाजपा ने झटक ली थी। सजायाफ्ता होने के कारण आजम को पिछले वर्ष अक्टूबर में ही विधान सभा की सदस्यता भी गंवानी पड़ी। उनकी सदस्यता जाने से रिक्त हुई रामपुर विधान सभा सीट पर दिसंबर में हुए उपचुनाव में आजम के करीबी आसिम राजा को मात देकर भाजपा के आकाश सक्सेना ने दिग्गज सपा नेता के चार दशक पुराने इस गढ़ को ढहा दिया था। अब भाजपा ने स्वार सीट पर निगाहें गड़ा दी हैं।

    पिछले दो विधान सभा चुनावों में इस सीट पर आजम परिवार का वर्चस्व रहा है। आजम के पुत्र अब्दुल्ला आजम यहां से 2017 और 2022 में सपा विधायक निर्वाचित हुए थे। यह विडंबना ही है कि दोनों बार उन्हें विधायकी से हाथ धोना पड़ा।

    राजनीति से लेकर कानून और सेहत के मोर्चे पर दुश्वारियां झेल रहे आजम के परिवार के किसी सदस्य के स्वार सीट पर उपचुनाव लडऩे की संभावना नहीं है। अपने आखिरी गढ़ को बचाने के लिए आजम उपचुनाव में सपा की ओर से घोषित प्रत्याशी की पीठ पर किस कदर हाथ रखते हैं, इस पर भी निगाहें लगी होंगी। दिलचस्पी का विषय यह भी है कि रामपुर में लगातार मिली जीतों से लबरेज भाजपा स्वार उपचुनाव में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारती है या पिछली बार की तरह अपने सहयोगी अपना दल (एस) को मौका देती है।

    फिलहाल पार्टी का स्थानीय संगठन यहां भाजपा प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ाने की वकालत कर रहा है। पिछले विधान सभा चुनाव में स्वार सीट अपना दल (एस) के कोटे में गई थी। तब यहां से रामपुर के नवाब खानदान के हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने अपना दल (एस) उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी कहते हैं कि फिलहाल प्राथमिकता स्वार सीट को जीतने की है। उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी उतरेगा या अपना दल (एस) का, यह दोनों दल आपसी बातचीत के जरिये तय करेंगे।