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    प्राइवेट वाहनों को 9 हजार से ज्यादा सरकारी नंबर बांटकर RTO फरार, दब गईं निलंबन की फाइलें

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 04:29 PM (IST)

    रामपुर में सरकारी नंबरों के घोटाले में एआरटीओ और सहयोगी लापता हैं प्राथमिकी दर्ज है। परिवहन आयुक्त की निलंबन सिफारिश शासन में अटकी है जिससे नंबर सीरीज बदलने की प्रक्रिया रुकी हुई है। एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद से वे गायब हैं। शासन के आदेश का इंतजार है जिससे नए नंबर आवंटित हो सकें।

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    सरकारी नंबर बांटकर एआरटीओ हुआ लापता। जागरण

    जागरण संवाददाता, रामपुर । निजी वाहनों को नौ हजार से अधिक सरकारी सीरीज के प्रतिबंधित नंबर बांटने के मामले में आरोपित एआरटीओ व उनके सहयोगी लापता हैं। अभी सिर्फ उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है। परिवहन आयुक्त की ओर से की गई निलंबन की संस्तुति शासन में दब गई है। वहां से कोई आदेश जारी न होने के कारण सरकारी सीरीज बदलने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पा रही है।

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    कूट रचना व धोखाधड़ी के आरोप में 14 सितंबर को सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बाद से एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव लापता हैं। उनका निजी व सीयूजी मोबाइल भी बंद हैं। अस्थायी तौर पर कार्यालय का कार्यभार आरआइ अविनाश कनौजिया संभाल रहे हैं। परिवहन विभाग से बांटे गए सरकारी सीरीज यूपी-22 बीजी के 9469 नंबर निरस्त हो चुके हैं।

    नये सिरे से नंबर आवंटित किए जाएंगे

    इनके बदले दूसरी सीरीज जारी कर वाहन स्वामियों को नये सिरे से नंबर आवंटित किए जाने हैं। मगर शासन से अब तक आरोपित एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव के निलंबन की सिफारिश की फाइल पर कोई आदेश ही जारी नहीं हुए हैं।

    इसके चलते किसी अन्य एआरटीओ की यहां नियुक्ति भी नहीं हो रही है। वहीं परिवहन आयुक्त के यहां से शासन से की गई सिफारिश में उन्हें निलंबित करने के साथ ही उनसे व दो अन्य दोषी बाबुओं से जुर्माना वसूल करने की बात भी कही गई है। निरस्त सीरीज के दोबारा नंबर बांटने पर परिवहन विभाग का लगभग एक करोड़ रुपये खर्च होगा। अब तक शासन से इस प्रकरण में कोई दिशा-निर्देश जारी न होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

    ये था मामला

    परिवहन विभाग ने बीते 27 अप्रैल को रामपुर के निजी वाहनों के लिए यूपी 22 बीएच सीरीज के नंबरों का आवंटन शुरू किया या था। इस सीरीज को शुरू करने के मौखिक निर्देश एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव ने डीबीए (डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर) रामेश्वर द्विवेदी को दिए थे। डीबीए ने एआरटीओ के आइडी व पासवर्ड से ये सीरीज शुरू कर दी। 12 अगस्त तक इस सीरीज के 9469 नंबर निजी वाहनों को आवंटित हो गए।

    इसके बाद एआरटीओ ने अगली सीरीज बीएच खोल दी। नौ सितंबर के अंक में दैनिक जागरण ने इस प्रकरण को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद 10 सितंबर को बरेली से उप परिवहन आयुक्त कमल गुप्ता जांच को रामपुर पहुंचे। उनकी जांच में सारे तथ्य सामने आ गए।

    उनकी रिपोर्ट पर ही परिवहन आयुक्त ने एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव व डीबीए समेत तीन लोगों के खिलाफ निलंबन, जुर्माना और प्राथमिकी की संस्तुति करते हुए अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है। जानकारी में आने के बावजूद सरकारी सीरीज के नंबरों को आवंटित करते रहने को आपराधिक कृत्य माना गया। इसी क्रम में मुरादाबाद के आरटीओ ने एआरटीओ समेत तीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।