रामगंगा नदी की उपजाऊ जमीन हथियाने के लिए मारी थीं 4 गोलियां, 8 साल बाद मिला न्याय
रामगंगा नदी के किनारे स्थित उपजाऊ भूमि घोसीपुर और गंगापुर शर्की गांव के प्रधान के पति संजीव पांडे की हत्या का कारण बनी। 2017 में इस भूमि को लेकर हुए खूनी संघर्ष में संजीव पांडे मारे गए थे। अदालत ने इस मामले में दोषियों को सजा सुनाई है जिसके बाद पीड़ित परिवार ने संतोष जताया है।

संवाद सहयोगी, मिलक । घोसीपुर और गंगापुर शर्की गांव के समीप बहने वाली नदी की उपजाऊ भूमि प्रधान के पति संजीव पांडे की हत्या की वजह बनी थी। दोनों गांव के पास से बहने वाली रामगंगा नदी है। बारिश के दिनों में पहाड़ों से मिट्टी पानी के साथ बहकर आती है। यह मिट्टी नदी के दोनों किनारों पर जमा हो जाती है। नदी किनारे फैली सैकड़ों हेकड़ भूमि इस मिट्टी से इतनी उपजाऊ हो जाती है कि फसल बिना खाद लगाए ही लहलहा उठती हैं।
नदी की भूमि हीरे की खदान की भांति बहुमूल्य है। इस भूमि पर किसी का भी स्वामित्व नहीं है। सरकारी कागजों में ग्राम समाज भूमि के रूप में दर्ज है, लेकिन घोसीपुरा और गंगापुर शर्की गांव के ताकतवर इस भूमि को जोत कर पैदा होने वाली फसल को काटते हैं। वर्ष 2017 में जुलाई की 22 तारीख को इसी भूमि को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें गंगापुरशर्की की तत्कालीन ग्राम प्रधान सोनी पांडे के पति संजीव पांडे की मौत हो गई थी।
उस दिन नदी की उपजाऊ भूमि घोसीपुरा के लोगों द्वारा जोतने की सूचना पर ग्राम प्रधान के पति और उनके सहयोगी नदी पर गए थे। वहां घात लगाए दो दर्जन से अधिक लोगों ने फायरिंग कर दी थी। लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला किया था। इस हमले में प्रधान के पति की मौत हो गई थी।
मृतक के भाई को लगी थीं चार गोलियां
नदी की तलहटी में हुए खूनी संघर्ष में मृतक संजीव के भाई राजीव पांडे को चार गोलियां लगी थी। शुक्रवार को आए अदालत के फैसले के बाद उन्होंने बताया कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। उन्होंने अपने भाई की मौत के बाद लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन अदालत से इंसाफ मिलेगा और भाई की हत्या करने वालों को सजा मिलेगी। घटना वाले दिन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस दिन उनके भाई संजीव पांडे, गांव निवासी ताराचंद और अखिलेश के साथ वह नदी पर जा रहे थे।
नदी किनारे घात लगाए दो दर्जन से अधिक बंदूकधारियों ने गोलीबारी शुरू कर दी थी। उन्हें खुद चार गोलियां लगी थी। उनका कहना है कि जिस भूमि के लिए संघर्ष हुआ था, उस भूमि को आज भी घोसीपुरा के रहने वाले दोषियों के स्वजन जोत रहे हैं। उन्होंने बताया कि विवेचना के दौरान घोसीपुरा निवासी आरोपित इतवारी और कृपया पांडे निवासी भगवान स्वरूप का नाम प्राथमिकी से हटा दिया था।
देर से ही सही, मगर मिला इंसाफ : सोनी पांडे
पूर्व प्रधान सोनी पांडे ने अदालत के फैसले पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि फैसला आने में आठ साल लग गए। देर से ही सही, लेकिन उन्हें इंसाफ मिला है। पति की हत्या के बाद वह मानसिक रूप से टूट चुकी थी। उनके आगे दो बेटे और एक बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी आन पड़ी थी। उस समय बड़े बेटे कमल पांडे की उम्र 10 वर्ष, छोटे बेटे विवेक पांडे की उम्र आठ साल और बेटी अंजली पांडे की उम्र छह वर्ष थी। बच्चों की देखभाल करने और उनकी पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वह इंसाफ के लिए अदालत के चक्कर काटती रही। पति के हत्यारों को अदालत के द्वारा सजा देने के बाद आज की रात वह चैन से सो सकेंगीं।
घायलों ने कोर्ट में गवाही के दौरान बयां की थी घटना
अभियोजन ने केस को मजबूती से लड़ा और घटना को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में सफल रहा। हमने 20 गवाह पेश किए, जिसमें घायलों की गवाही महत्वपूर्ण रही। घायलों ने न्यायालय में गवाही के दौरान पूरी घटना बयां की। गवाहों के बयानों में कोई विरोधाभास नहीं रहा। इसके कारण मुकदमे में वादी पक्ष को इंसाफ मिला। -अमित कुमार सक्सेना, जिला शासकीय अधिवक्ता।
पुलिस की गुणवत्तापूर्ण विवेचना एवं प्रभावी पैरवी बनी सजा का आधार
पुलिस महानिदेशक के आदेश पर आपरेशन कन्विक्शन के अंतर्गत चिन्हित अपराधों में दोषी अभियुक्तों के विरुद्ध न्यायालय द्वारा अधिकतम दंडात्मक कार्यवाही के लिए जिले की पुलिस द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में मिलक के इस मुकदमे में विवेचक द्वारा गुणवत्तापूर्ण विवेचना की गई। न्यायालय में मानीटरिंग सेल, अभियोजन और पैरोकार द्वारा प्रभावी पैरवी की गई। - विद्यासागर मिश्र, पुलिस अधीक्षक।
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