रामपुर की रजा लाइब्रेरी बनेगी 'अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र', राज्यपाल ने भारतीय ज्ञान के व्यापक अनुवाद पर दिया बल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रामपुर की रजा लाइब्रेरी को अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र बनाने और भारतीय ज्ञान के व्यापक अनुवाद पर बल दिया। रजा लाइब्रेरी को सभी ...और पढ़ें
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लखनऊ में पत्रिका विमोचन करतीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, साथ में राजपुर रजा लाइब्रेरी के निदेशक पुष्कर मिश्र एवं अन्य
जागरण संवाददाता, रामपुर। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश की सभी लाइब्रेरी को रामपुर की रजा लाइब्रेरी से जाड़ने की आवश्कता है, ताकि ज्ञान-संपदा का व्यापक आदान-प्रदान हो सके। राज्यपाल रजा लाइब्रेरी बोर्ड की लखनऊ राजभवन में हुई बैठक में बोल रही थीं। वह रजा लाइब्रेरी बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं। उनकी अध्यक्षता में हुई बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में रजा लाइब्रेरी के निदेशक डा. पुष्कर मिश्रा भी शामिल हुए।
उन्होंने फोन पर बताया कि बैठक में राज्यपाल ने लाइब्रेरी की विरासत को सुरक्षित रखने पर जोर दिया। कहा कि रजा लाइब्रेरी भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है, जिसमें सदियों पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियां, सुलेख, मिनिएचर पेंटिंग्स, ऐतिहासिक दस्तावेज तथा अन्य महत्वपूर्ण संग्रह संरक्षित हैं। लाइब्रेरी की विरासत को सुरक्षित रखने के लिए समर्पित, समयबद्ध और वैज्ञानिक प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के वैज्ञानिक संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने, डिजिटलीकरण कार्य की गति बढ़ाने, लाइब्रेरी भवन के संरक्षण एवं संरचनात्मक मजबूती के लिए आवश्यक कार्य किए जाने, शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी की सुविधा और पहुंच में सुधार, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के साथ सहयोग की संभावनाओं को बढ़ाए जाने पर जोर दिया।
कहा कि रजा लाइब्रेरी को आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से जोड़कर इसे एक वैश्विक शोध एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस अनमोल धरोहर से लाभान्वित हो सकें। बच्चों को मोबाइल से दूर करने तथा उन्हें पुस्तकों से जोड़ने पर विशेष जोर देते हुए राज्यपाल ने जिलाधिकारी रामपुर को निर्देश दिया कि जिले में रजा लाइब्रेरी के सहयोग से पढ़े रामपुर बढ़े रामपुर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिसके अंतर्गत सभी विद्यार्थी तीन घंटे पुस्तक पढ़ें।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में प्रार्थना के समय छात्र भारत के महान व्यक्तित्वों की जीवनी तथा प्रेरणादायी साहित्य पढ़ने की परंपरा स्थापित की जाए। बच्चों में सोचने, पढ़ने और संवाद करने की स्वस्थ आदतें विकसित करनी चाहिए। विश्व में क्या हो रहा है? भारत में कौन-कौन से नवाचार हो रहे हैं? इन विषयों पर भी विद्यार्थियों को नियमित रूप से पढ़ने और जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिया कि विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में ऐसा वातावरण बने, जहां पठन-पाठन का माहौल स्वत: निर्मित हो। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि केवल उपदेश देने से परिवर्तन नहीं आता, इसके लिए स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। शिक्षक नियमित रूप से पुस्तकें पढ़ें, ताकि उनके व्यवहार से छात्रों में भी पढ़ने की प्रेरणा विकसित हो।
राज्यपाल ने लाइब्रेरी में अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने पर भी विशेष बल देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान, इतिहास और साहित्य को अधिक से अधिक भाषाओं में उपलब्ध कराना आवश्यक है, ताकि हर वर्ग और हर क्षेत्र तक ज्ञान का विस्तार हो सके।

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