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    आजम खान के खिलाफ बढ़ाई गई तीन गंभीर धाराओं पर अब दांवपेंच शुरू, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 02:50 PM (IST)

    रामपुर में शत्रु संपत्ति को जौहर विश्वविद्यालय में मिलाने के मामले में आजम खान के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेज हो गई है। सरकारी गवाह के बयान पर बढ़ी धाराओं के खिलाफ आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। विशेष अदालत में मामलों को क्लब करने पर सुनवाई होगी। आरोप है कि आजम खान ने सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया है।

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    सपा नेता आजम खान के खिलाफ बढ़ाई गई तीन गंभीर धाराओं पर अब दांवपेंच शुरू।

    जागरण संवाददाता, रामपुर। कागजों में हेरफेर कर शत्रु संपत्ति काे जौहर विश्वविद्यालय में मिलाने के मामले में सरकारी गवाह बने लेखपाल के बयानों के आधार पर पूर्व मंत्री व सपा नेता आजम खान के खिलाफ बढ़ाई गई तीन गंभीर धाराओं पर अब दांवपेंच शुरू हो गए हैं।

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    एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में आजम खान के अधिवक्ता के प्रार्थनापत्र पर शत्रु संपत्ति संबंधित तीन मामले क्लब किए जाने को लेकर पहली अक्टूबर की तिथि नियत की गई है। इसमें आजम खान को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के आदेश दिए गए हैं। वहीं आजम खान के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद अग्रिम विवेचना के आधार पर तीन गंभीर धाराएं बढ़ाने की कार्रवाई को साजिश करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। वहां से राहत न मिलने की दशा में आजम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

    शत्रु संपत्ति के जिस मुकदमे में पुलिस ने अग्रिम विवेचना के बाद तीन धाराएं बढ़ाई थीं, वह मुकदमा कलक्ट्रेट के रिकार्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद की ओर से सिविल लाइंस थाने में नौ मई 2020 को दर्ज कराया गया था। इसमें पहले लखनऊ के पीरपुर हाउस निवासी सैयद आफाक अहमद व अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी हुई थी। यह शत्रु संपत्ति आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी के आसपास थी, जो इमामुद्दीन कुरैशी पुत्र बदरुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी। इमामुद्दीन कुरैशी विभाजन के समय देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। वर्ष 2006 में यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर ली गई थी।

    भूमि के रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला था कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा कर शत्रु संपत्ति को खुर्द बुर्द करने के लिए आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से राजस्व रिकार्ड में अंकित किया गया था। रिकार्ड के पन्ने फटे हुए मिले थे। इसमें आजम खान, उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फात्मा और उनके बेटे अब्दुल्ला समेत जौहर ट्रस्ट के अन्य सदस्य आरोपित बनाए गए। ट्रस्ट में अधिकतर सदस्य आजम खान के परिवार के हैं।

    इस मुकदमे में सेवानिवृत्त कलक्ट्रेट कर्मचारी भगवंत भी आरोपित हैं, जो अब सरकारी गवाह बन गए हैं। उनके बयान के आधार पर पुलिस ने मुकदमे में अग्रिम विवेचना की थी, जिसके बाद आजम खान पर मुकदमे में आईपीसी की तीन धाराएं 467, 471 और 201 बढ़ाते हुए पूरक आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संदीप कुमार सक्सेना ने बताया कि ये धाराएं धोखाधड़ी के इरादे से जाली दस्तावेज तैयार करने व साक्ष्य मिटाने से संबंधित हैं। इनके तहत आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है।

    अभियोजन पक्ष का तर्क है कि निजी लाभ के लिए आजम खान ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर करवाया है। वहीं आजम खान के अधिवक्ता मुहम्मद जुबैर ने बताया कि पुलिस ने इस प्रकरण में आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। उसमें आजम खान समेत अन्य आरोपितों ने जमानत भी करा ली थी। दूसरे प्रकरण में जब हाईकोर्ट ने आजम खान को जमानत दे दी तो साजिशन जेल में रखने की नीयत से उनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया। कहा कि वह इस ज्यादती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं, जल्द ही वहां से उन्हें न्याय मिलेगा।

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