आजम के बेटे के लिए नियम ताक पर, पासपोर्ट अधिकारी पर कार्रवाई का रास्ता साफ; कोर्ट ने कहा- देश की छवि धूमिल हुई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के पासपोर्ट मामले में नियमों की अनदेखी करने वाले पासपोर्ट अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है ...और पढ़ें
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अब्दुल्ला आजम खां
जागरण संवाददाता, रामपुर। दो पासपोर्ट मामले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को सपा नेता आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला को सात साल के कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसमें बरेली कार्यालय के पासपोर्ट अधिकारी मोहम्मद नसीम की भी गवाही हुई थी। उनके द्वारा अब्दुल्ला का दूसरा पासपोर्ट जारी किया गया था। न्यायालय ने माना कि पासपोर्ट अधिकारी ने नियमों के विरुद्ध जाकर बिना पुलिस वैरीफिकेशन कराए एक ही दिन में अब्दुल्ला का पासपोर्ट जारी किया था।
पासपोर्ट जारी करने के अपने कृत्य को पूर्णतया वैद्य दर्शाते हुए न्यायालय में बयान भी दिए, जिसे न्यायालय ने आपत्तिजनक माना। न्यायालय ने फैसले में कहा है कि यह अपने आप में सिद्ध करता है कि पासपोर्ट अधिकारी मोहम्मद नसीम इस मुकदमे के अभियुक्त से कहीं न कहीं प्रभावित थे।
पासपोर्ट अधिकारी द्वारा सरकुलर में दी गई शर्तों का पालन न करते हुए एवं इनके विपरीत बिना पुलिस वैरीफिकेशन के आवेदन के दिनांक 10 जनवरी 2018 को ही पासपोर्ट जारी कर दिया। एक लोक प्राधिकारी (पासपोर्ट अधिकारी) द्वारा इस प्रकार के कृत्य से न केवल देश में बल्कि विदेश में देश की छवि धूमिल होती है तथा प्रभावशाली अपराधी गंभीर अपराध करने के बावजूद न्यायालय के क्षेत्राधिकार से भागने अथवा कारित अपराध से बचने में सफल हो जाते हैं।
इस कारण ऐसे लोक प्राधिकारी (पासपोर्ट अधिकारी), चाहे पद पर हो अथवा सेवानिवृत्त, के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने के लिए विदेश मंत्रालय भारत सरकार के सचिव को द्वारा सक्षम प्राधिकारी जनपद रामपुर के माध्यम से न्यायालय के निर्णय की प्रति आवश्यक दांडिक एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए प्रेषित की जाए, जिससे कि भविष्य में ऐसे अपराधों पर नियंत्रण रखा जा सके।
अभियोजन की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे सहायक अभियोजन अधिकारी स्वदेश शर्मा ने बताया कि पासपोर्ट अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक के माध्यम से विदेश मंत्रालय भारत सरकार के सचिव को लिखा जाएगा।
प्रभावशाली नेता के बेटे होने का नहीं मिल सकता लाभ
न्यायालय ने सजा के फैसले में यह भी कहा कि अब्दुल्ला उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के पुत्र हैं, जो कि प्रभावशाली नेता रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 40 साल से सक्रिय हैं। उन्हें न्यायालय कम सजा देती है तो यह न्याय की मंशा के विपरीत होगा।
दोष सिद्ध बंदी की सजा में किसी प्रकार की नरमी बरती जाती है तो जनता के मन में प्रश्न आएगा। प्रभावशाली नेता के पुत्र होने के कारण दोष सिद्ध बंदी को लाभ दिया गया। न्याय का उद्देश्य जनता के मन में यह उम्मीद रखने का है कि कोई भी व्यक्ति, संगठन, संस्थान आदि गलत कृत्य करने के उपरांत दंड से बच नहीं सकता है।

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