Azam Khan के राजनीतिक इतिहास में 45 साल बाद घटी ऐसी घटना, रामपुर के चुनाव में सपा नेता के परिवार से नहीं
Azam Khan Political History सपा नेता आजम खां के राजनीतिक इतिहास के 45 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है कि रामपुर में चुनाव हो और उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में न हो। उपचुनाव में आजम के परिवार से कोई नहीं लड़ रहा।

रामपुर, जेएनएन। Azam Khan Political History : रामपुर शहर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। रामपुर की सियासत में ऐसा 45 साल बाद होने जा रहा है कि सपा नेता आजम खां के परिवार से कोई भी सदस्य रामपुर के चुनावी मैदान नहीं है। दरअसल, आजम खां के परिवार ने उपचुनाव से किनारा कर गया।
आजम पहली बार 1977 में लड़े थे चुनाव
रामपुर शहर सीट से आजम खां 1977 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। पहला चुनाव वह हार गए थे, लेकिन इसके बाद 1980 से लेकर अब तक 10 चुनाव जीत चुके हैं। प्रदेश में जब भी समाजवादी की सरकार बनी तब आजम कई-कई विभागों के मंत्री रहे। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी बने, राज्यसभा सदस्य भी रहे।
एक बार सांसद भी बने आजम खां
साल 2019 में वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद बने। इसके बाद उन्होंने विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया। तब उपचुनाव में उनकी पत्नी डा.तजीन फात्मा सपा प्रत्याशी बनीं और शहर विधायक बन गईं, लेकिन इस बार ऐसा हुआ कि उनके परिवार से कोई भी प्रत्याशी नहीं हैं।
रामपुर सीट पर कब कौन बना विधायक
- 1952 फजले हक खां
- 1957 असलम खां
- 1962 किश्वर आरा
- 1968 अख्तर अली
- 1969 मुर्तजा अली खां
- 1974 मंजूर अली खां
- 1977 मंजूर अली खां
- 1980 मुहम्मद आजम खां
- 1985 मुहम्मद आजम खां
- 1989 मुहम्मद आजम खां
- 1991 मुहम्मद आजम खां
- 1993 मुहम्मद आजम खां
- 1996 अफरोज अली खां
- 2002 मुहम्मद आजम खां
- 2007 मुहम्मद आजम खां
- 2012 मुहम्मद आजम खां
- 2017 मुहम्मद आजम खां
- 2019 डा. तजीन फात्मा
- 2022 मुहम्मद आजम खां
उपचुनाव में आसिम राजा को आजम ने बनाया उम्मीदवार
उन्हाेंने अपने करीबी आसिम राजा को ही प्रत्याशी घोषित किया है। आसिम राजा इसी साल हुए लोकसभा उपचुनाव में भी सपा प्रत्याशी थे। विधानसभा उपचुनाव में इस बार भी सपा और भाजपा के बीच ही घमासान रहने की उम्मीद है। इसके लिए दोनों के बीच चुनावी जंग का मैदान सज गया है।
भाजपा-सपा में रहता है सीधा मुकाबला
इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा में सीधा मुकाबला रहा था। इससे पहले 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और सपा में सीधी टक्कर हुई थी, लेकिन उन दोनों चुनाव में सपा जीत गई थी। दोनों ही चुनाव में कांग्रेस और बसपा को मिलाकर भी 10 हजार वोट नहीं मिल पाए थे।
कांग्रेस चुनाव मैदान से बाहर
इस बार कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही मैदान छोड़ दिया है, जबकि बसपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। निर्दलीय भी नामांकन पत्र खरीद रहे हैं, लेकिन प्रमुख दलाें में भाजपा और सपा के प्रत्याशी ही अब तक घोषित हुए हैं। भाजपा से आकाश सक्सेना हैं। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भी वह प्रत्याशी थे।
आकाश ने आजम पर दर्ज कराए हैं कई मुकदमे
आजम खां के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराने के कारण इनकी पहचान आजम के धुरविरोधियों में है। इनके पिता पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना चार बार विधायक रहे हैं। आकाश सक्सेना इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष भी रहे हैं, जबकि इनके मुकाबलेे चुनाव लड़ रहे सपा प्रत्याशी आसिम राजा की गिनती आजम खां के बेहद करीबी लोगों में होती है। वह लंबे समय से सपा के नगराध्यक्ष रहे हैं। जून में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी सपा प्रत्याशी थे।
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