आजम खां की कम नहीं हुईं मुश्किलें, HC से जमानत के बाद भी नहीं आ सकेंगे जेल से बाहर; ये है वजह
सपा नेता आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। क्वालिटी बार मामले में जमानत मिलने के बाद शत्रु संपत्ति के रिकॉर्ड में हेरफेर के एक अन्य मामले में उन पर तीन और धाराएं लगाई गई हैं। कोर्ट ने उन्हें 20 सितंबर को तलब किया है जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं क्योंकि अब उन्हें इन नई धाराओं में भी जमानत करानी होगी।

जागरण संवाददाता, रामपुर। क्वालिटी बार प्रकरण में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी सपा नेता आजम खां की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। वह अब भी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। उनके खिलाफ शत्रु संपत्ति से संबंधित रिकॉर्ड को खुर्द बुर्द करने के एक अन्य मामले में पुलिस ने अग्रिम विवेचना के बाद तीन धाराएं बढ़ा दी हैं। इसमें एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) ने गुरुवार को आजम खां को वारंट बनाए जाने के लिए सीतापुर जेल से 20 सितंबर को तलब किया है। अब आजम खां को इन तीन धाराओं में भी जमानत करानी होगी।
आजम खां ने क्वालिटी बार प्रकरण में एमपी-एमएलए कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आजम खां की जमानत याचिका मंजूर कर ली है।
यह मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हाईवे पर स्थित सईद नगर हरदोई पट्टी में क्वालिटी बार पर कथित तौर पर अवैध कब्जा करने से जुड़ा है। इस संबंध में 21 नवंबर 2019 को तत्कालीन राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
पुलिस ने पहले जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फात्मा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को नामजद किया था। पहले इसमें आजम खां का नाम नहीं था। बाद में अग्रिम विवेचना में पुलिस ने आजम खां के खिलाफ भी धोखाधड़ी, साक्ष्य नष्ट करने और आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इसमें जमानत के बाद उनके जेल से बाहर आने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन अब उनके खिलाफ एक अन्य मुकदमे में अग्रिम विवेचना के बाद पुलिस ने कुछ धाराएं बढ़ा दी हैं।
यह मुकदमा शत्रु संपत्ति से संबंधित अभिलेख खुर्द बुर्द करने के आरोप का है, जिसे कलक्ट्रेट स्थित रिकॉर्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद की ओर से सिविल लाइंस थाने में नौ मई 2020 को दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे में आजम खां और उनके परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त कलक्ट्रेट के पूर्व कर्मचारी भगवंत को भी आरोपित बनाया था। आजम खां की इसमें जमानत हो चुकी है।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी राकेश कुमार मौर्य और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कुमार सक्सेना ने बताया कि आरोपित सेवानिवृत्त कर्मचारी भगवंत सरकारी गवाह बन गया है। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने मुकदमे में अग्रिम विवेचना की थी, जिसके बाद आजम खां पर मुकदमे में आईपीसी की तीन धाराएं 467, 471 और 201 बढ़ाते हुए पूरक आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किए थे। अब आजम खां को इन तीन धाराओं में भी जमानत करानी होगी।
अभियोजन की ओर से न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर तीनों धाराओं में आजम खां को न्यायिक अभिरक्षा में लेने और वारंट बनाए जाने के लिए सीतापुर जेल से तलब करने का प्रार्थना पत्र दिया गया। बचाव पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति दाखिल की गई। गुरुवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल ने बचाव पक्ष की आपत्ति और अभियोजन के प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुए आजम खां को वारंट के लिए 20 सितंबर को तलब किया है।
तीनों गंभीर धाराएं, आजीवन कारावास की सजा का प्राविधान
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संदीप कुमार सक्सेना ने बताया कि आजम खां पर जो धाराएं बढ़ाई हैं, वे सभी गंभीर हैं। इनमें धारा 467 अभिलेख की जालसाजी से संबंधित है, जबकि धारा 468 धोखाधड़ी के इरादे से जाली दस्तावेज को पेश करने से संबंधित है। इसके अलावा धारा 201 साक्ष्य मिटाने से संबंधित हैं। तीनों धाराओं के तहत किए गए अपराध गंभीर होते हैं और इनमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है।
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