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    खीरे की खेती से किसान को मिली नई पहचान, पांच लाख प्रति माह हो रही आमदनी

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 12:10 PM (IST)

    रायबरेली के लालजी शुक्ल के संजय सिंह ने ग्रेजुएशन के बाद नौकरी न मिलने पर खीरे की खेती शुरू की। उन्होंने नई तकनीक का उपयोग करके लाखों रुपये कमाए और 16 परिवारों को रोजगार दिया। कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया और वैज्ञानिक तरीके से खीरे की खेती की। उनकी सफलता से अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।

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    खेत में तैयार खीरा दिखाते प्रगतिशील किसान संजय सिंह।-जागरण

    लालजी शुक्ल, ऊंचाहार (रायबरेली)। कदम चूम लेती है खुद बढ़कर मंजिल, मुसाफिर अगर अपनी हिम्मत ना हारे। उक्त पंक्तियां जमुनापुर निवासी प्रगतिशील किसान संजय सिंह पर सटीक बैठती है। कारण ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर दर-दर नौकरी के लिए भटकना पड़ा। सफलता न मिलने पर किसान ने चार बीघे भूमि पर नई तकनीक से खीरा की खेती कर साधारण नौकरी करने वालों को पछाड़कर लाखों की आमदनी के साथ क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर परिवार को नई दिशा दे रहे हैं। वहीं क्षेत्र के लगभग 16 परिवार के लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं।

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    उक्त गांव निवासी राम बहादुर सिंह पारंपरिक रूप से धान और गेहूं की खेती करके परिवार का भरण पोषण करते थे। इनके दो बेटे हैं, पिता की मृत्यु के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी बड़े बेटे संजय सिंह सारंग पर आ गई। वर्ष 2013 में ग्रेजुएशन के बाद संजय नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते रहे लेकिन इन्हें मनमुताबिक कहीं भी रोजगार नहीं मिल सका। और इनका परिवार आर्थिक तंगी का शिकार होता गया।

    इसके बाद युवक अपने मामा के घर छत्तीसगढ़ शहर चला गया। जहां कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में नई तकनीक से खेती करने का प्रशिक्षण लिया। संजय सिंह वर्ष 2023 में अपने घर लौटे और दो बीघे अगेती वैज्ञानिक तौर तरीके से खीरे की खेती करने की शुरुआत की।

    दरियापुर स्थित उद्यान विभाग से संपर्क कर इरिगेशन सिस्टम ड्रिप के साथ जिगजैग व मल्चिंग विधि से बीएनआर कृष किस्म की पांच हजार खीरे की नर्सरी डाली। फसल को नुकसान न हो इसलिए रस्सियों से बाड़ बनाकर चढ़ा दिया।

    संजय सिंह ने बताया कि यह फसल फसल सामान्यतः 60 से 70 दिनों की होती है। 28 दिनों बाद फल टूटने शुरू हो जाते हैं। हर तीसरे दिन मजदूरों द्वारा तैयार होने वाली फसल खेतों से निकाली जाती है। इनके मुताबिक एक एकड़ खेत से हर तीसरे दिन 25 से 30 क्विंटल खीरे पैदावार होती है। जिसका औसतन 25 से 30 रुपए प्रति किलो यानि 60 से 70 हजार रुपए की आमदनी होती है।

    इस तरह महीने में पांच से छह लाख रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो रही है। बताया कि तैयार खीरे की फसल को वाहन में भरकर ऊंचाहार, लालगंज, रायबरेली तथा प्रयागराज की थोक मंडियों में भेजा जाता है।

    किसान संजय सिंह ने बताया है कि वैज्ञानिक विधि से खीरे की खेती करने पर अच्छी आमदनी के साथ बच्चों की शिक्षा व परिवार का भरण पोषण बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहा है। कोई भी किसान खीरे की खेती से अच्छा लाभ ले सकते हैं।

    सीख ले रहे किसान

    पचखरा निवासी उदय सिंह कछवाह, बबलू मिश्र, कोटिया चित्रा निवासी नीरज सिंह बघेल, होरैसा निवासी यशु सिंह, बाहर पुर गांव के कुलदीप सिंह, पूरे छेदी निवासी गणेश प्रसाद आदि किसान भी उनसे सीख लेकर खीरे की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

    16 मजदूरों को निरंतर मिल रहा रोजगार

    शिव शंकर, विनोद कुमार, गणेश प्रसाद, गोपाल, राजू, महेश प्रसाद आदि ने बताया कि बरसात के दिनों में जल भराव के कारण शासन द्वारा संचालित मनरेगा योजना भी बंद हो जाती है। जिसके चलते परिवार आर्थिक तंगी से गुजरने लगे। फसल की रखवाली, रखरखाव व तोड़ाई का काम मिला तो इनके परिवार खुशी से झूम उठे।

    कृषि विभाग के ब्लाक तकनीकी प्रबंधक शिवचरन वर्मा ने बताया कि किसान के द्वारा खीरे की खेती से उत्कृष्ट उत्पादन किया जा रहा है। जिसकी वजह से अन्य किसान भी प्रेरणा लेकर नई तकनीक से खेती कर समृद्धवान बन सकते हैं। उन्नशील किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्र मांग पर समय से उपलब्ध कराए जाएंगे।

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    क्या कहते हैं चिकित्सक

    सीएचसी अधीक्षक डा मनोज शुक्ल ने बताया कि खीरे में मुख्य रूप से विटामिन के पाया जाता है। जो रक्त के हमने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा खीर विटामिन सी और विटामिन बी कंपलेक्स, (जैसे- बी1, बी2, बी3, बी5, बी6 बी कंपलेक्स और फोलिक एसिड) का अच्छा स्रोत है। इन विटामिनों के अलावा खीरा पानी, फाइवर, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे खनिजों से भरपूर होता है। जो शरीर को हाइड्रेट रखना पाचन में सुधार करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

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