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    ग्राहक को नोटिस भेजना बैंक को पड़ा महंगा, उपभोक्ता फोरम ने लोन वसूली पर लगाई रोक; मगर क्यों?

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:33 PM (IST)

    केनरा बैंक ने एक ग्राहक को बिना सब्सिडी दिए सोलर लोन की वसूली का नोटिस भेजा, जिसके बाद उपभोक्ता फोरम ने बैंक को 30 हजार रुपये की सब्सिडी दिलाने का आदे ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, रायबरेली। केनरा बैंक ने ग्राहक को बिना सब्सिडी दिलाए सोलर के लोन की वसूली का नोटिस भेज दिया। उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक को राहत देते हुए बैंक से 30 हजार की सब्सिडी दिलाने का आदेश दिया। बैंक को हिदायत दी कि सब्सिडी आने तक किसी प्रकार वसूली ग्राहक से न की जाए।

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    लालगंज के विनोद कुमार मिश्र ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर बताया कि अलंकृता इंटरप्राइजेज से 70 हजार रुपये का कैन सोलर खरीदा था। इसके लिए वादी को दुकानदार ने बताया कि 30 हजार की छूट मिलेगी। इसके लिए वादी केनरा बैंक गया और लोन की सभी औपचारिकताएं पूरी कर 56 हजार का लोन करा लिया।

    इसके अतिरिक्त वादी ने 14 हजार रुपये का डाउन पेमेंट खाते से जमा किया। तीन माह बीतने के बाद भी सब्सिडी के 30 हजार रुपये नहीं मिले। वादी को बैंक से लोन में दो हजार 247 रुपये मूलधन और ब्याज बकाया होने का नोटिस मिला। वादी को बैंककर्मी ने बताया कि लोन के खाते से अलंकृता इंटरप्राइजेज ने सब्सिडी की धनराशि भी निकाल ली है।

    लोन का खाता वादी के नाम पर है, इसलिए इसको भरने की जिम्मेदारी भी वादी को है। उपभोक्त्ता फोरम की तरफ से दोनों को नोटिस तामील कराई गई। इस पर केनरा बैंक के अधिवक्ता ने जवाब में कहा कि बैंक का लोन वादी के नाम पर था। सब्सिडी दिलाने की जिम्मेदारी अलंकृता इंटरप्राइजेज की थी। बैंक को लोन व उसके ब्याज की पूरी धनराशि नहीं मिली।

    अलंकृता इंटरप्राइजेज के अधिवक्ता ने जवाब में कहा कि उसका काम सिर्फ सोलर बेचना है। ग्राहक को सब्सिडी संबंधित सभी जानकारी दी गई। सब्सिडी नाबार्ड बैंक ग्राहक के खाते में भेजता है। यह सारी प्रक्रिया नाबार्ड व बैंक के बीच की होती है।

    उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष मदन लाल निगम, सदस्य प्रतिमा सिंह व सुनीता मिश्रा ने निर्णय देते हुए कहा कि वादी को सब्सिडी दिलाने की जिम्मेदारी केनरा बैंक की है। बैंक वादी को सब्सिडी का 30 हजार रुपये नाबार्ड से दिलाए। इसके अतिरिक्त बैंक को यह भी आदेश दिया कि, जब तक सब्सिडी पैसा नहीं आ जाता, वादी से किसी प्रकार की वसूली बैंक की ओर से नहीं की जाएगी।