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    महाकुंभ में सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक क्यों बने स्वामी केशवानंद? बताई बड़ी वजह, लिया ये संकल्प

    Updated: Tue, 14 Jan 2025 08:44 AM (IST)

    Mahakumbh 2025 महाकुंभ के पावन अवसर पर दो प्रतिभाशाली युवाओं ने सनातन धर्म और आस्था से प्रेरित होकर संन्यास ग्रहण किया। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने उन्हें मंत्र दीक्षा प्रदान की। जानिए इन युवा संन्यासियों के बारे में और उनके धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के संकल्प के बारे में। आखिर क्यों उन्होंने सन्यासी बनने का फैसला लिया?

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    संन्यास लेने वाले युवाओं के साथ स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती। सौ. शिविर प्रबंधन

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। (Maha Kumbh 2025) सनातन, आस्था और महाविज्ञान से प्रभावित होकर दो प्रतिभाशाली युवाओं ने पौष पूर्णिमा पर संन्यास ग्रहण किया है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने दोनों को मंत्र दीक्षा प्रदान की।

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    कोलकाता के उपकुर्वाण ब्रह्मचारी संजयानंद को नैयष्ठिक ब्रह्मचर्य की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानंद नाम प्रदान किया गया। वहीं, सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुमार पांडेय को संन्यास की दीक्षा देकर स्वामी केशवानंद सरस्वती नाम प्रदान किया गया।

    दोनों सन्यासी धर्म और संस्कृति का करेंगे प्रचार-प्रसार

    दोनों युवा संन्यासियों ने दीक्षा के उपरांत कहा कि गुरु स्वामी जीतेंद्रानंद के मार्गदर्शन में सनातन धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना उनके जीवन का ध्येय है। इसके लिए समर्पित भाव से काम करेंगे। राष्ट्र और धर्म के हित में युवा संतों को आगे आने की जरूरत है। सनातन धर्म और संस्कृति की व्यापक सेवा में हमें गुरुदेव की कृपा मिलती रहे ऐसी कामना है।

    स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि विश्व के युवाओं में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ा है। यह बहुत ही शुभ है। ऐसे समय में जबकि दुनिया अनेक गंभीर युद्धों के संकट से जूझ रही है, प्रयागराज से सनातन का विश्व कल्याण का उद्घोष विश्व को उचित दिशा देने वाला है। मुझे विश्वास है कि संन्यास लेने वाले युवा धर्म और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे।

    शुरू हुआ अमृत स्नान

    तीर्थराज में महाकुंभ के महास्नान को उमड़ा देश-दुनिया का जन ज्वार -जीवनदायिनी गंगा, श्यामल यमुना व पौराणिक सरस्वती के पावन संगम में महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-दुनिया का जन समुद्र उमड़ पड़ा है।

    पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद अब मंगलवार को महाकुंभ का महास्नान शुरू हो चुका है। महाकुंभ मेला प्रशासन की तरफ से पूर्व की मान्यताओं का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। महानिर्वाणी अखाड़े के अमृत साधु-संत स्नान के लिए जा रहे हैं।

    नियमों का अनुशरण करते हुए सनातन धर्म के 13 अखाड़ों को अमृत स्नान में स्नान क्रम भी जारी किया गया है। मकर संक्रांति पर श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले अमृत स्नान किया। जिसके साथ श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने अमृत स्नान किया। दूसरे स्थान पर श्रीतपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा एवं श्रीपंचायती अखाड़ा आनंद अमृत स्नान किया।

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