Maha Kumbh 2025: आस्था की लहरों पर पुण्य की हिलोरें, अमृत स्नान पर साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी
Mahakumbh 2025 पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद मंगलवार को महाकुंभ में अमृत स्नान पर्व पर महास्नान शुरू प्रातः काल से ही शुरू हो गया। मकर संक्रांति पर सबसे पहले अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। संगम तट पर देश-विदेश से आए साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ मेला प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।

जागरण टीम, महाकुंभनगर। 14 जनवरी को मकर संक्रांति में 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने सूर्य के उत्तरायण में आने पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। श्रद्धा और आस्था की अतुलित माया ने जनसागर के सरिता में उतर जाने का आभास कराया। पुण्य अमृत की बूंदों से तन-मन भीगा तो पोर-पोर विभोर और गीली हो उठी पलकों की कोर। अनुभूति में अध्यात्म की गहराई, जैसे जुड़ गई हो आत्म से परमात्म की डोर।
पौष पूर्णिमा इस बार सोमवार को थी और उससे ही संलग्न मकर संक्रांति के अनूठे संयोग पर मंगलवार को देश भर से जुटे श्रद्धालुओं ने पुण्यार्जन के दोहरे योग का सौभाग्य पाया। अमृत स्नान के लिए अस्त्र-शस्त्र और पूरी साज-सज्जा के साथ निकले संतों-संन्यासियों के आध्यात्मिक वैभव के साक्षी बन विभोर हुए और उनकी चरण रज को सिर-माथे लगा कर अघाया।
दिव्य अनुभूति के साथ गौरव का पल जिसने आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापित वैदिक महाकुंभ में अटल संदेश गुंजाया, जिसमें पूरा देश एक हो आया। कदाचित महान संत की संकल्पना से अनुप्राणित सरोकार के तहत ‘शाही’ से इस बार ‘अमृत’ हो गए स्नान ने गौरवान्वित किया।
यह रथों-बग्घियों और सुसज्जित वाहनों के काफिले में भोर से ही संगम की ओर बढ़ चले संतों-संन्यासियों के साथ उनके दर्शन के लिए जुटे-डटे हर सनातन धर्मावलंबी चेहरे पर भी स्पष्ट रूप से झलका। सरकार की ओर से स्नानार्थियों पर हेलीकाप्टर से कई चरणों में पुष्प वर्षा ने इस भाव को समृद्ध कराया।
पूर्ण पौष की डुबकी लगाने के बाद अखाड़ों के शिविर, रैन बसेरा या कहीं सड़क किनारे सोए बैठे श्रद्धालुओं ने ‘रवि के माघ मकर गत’ होने का इंतजार किया। इस प्रतीक्षा अवधि का उपयोग अखाड़ों में नागा संन्यासियों के दर्शन, पंडालों में संतों के कथामृत वर्षण में भीग कर पुण्य को द्विगुणित करने में किया तो जनधार का प्रवाह विस्तार पाता रहा।
कई किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद भी वृद्धजन, महिलामन और युवापन के उत्साह, हुलास व आह्लाद से मेला सजता रहा। इसमें अधिकतर सपरिवार या दोस्तों-रिश्तेदारों के संग आए, बच्चों को भी साथ लाए जो हर पल सनातन संस्कृति के संस्कार से सिंचित होकर अघाते रहे।
निरंतर आगे बढ़ते जाते, हर हर गंगे, जय श्रीराम और हर हर महादेव के उद्घोष से खुद ऊर्जान्वित होते और दूसरों में भी इसका प्रवाह करते दिखे। त्रिवेणी संगम पर पहुंच दिव्य जलधार को शीश नवाया, करबद्ध प्रणाम किया। सूर्यदेव के उत्तरायण व मकर संक्रांति के पुण्य काल में भोर के साथ महाकुंभ का दूसरा स्नान किया और हृदय के भाव ऐसे जैसे जीवन में सब कुछ पा लिया।
श्रद्धा के इन भावों से शीत ऋतु लजाती रही। पर्व विशेष पर उत्तराभिमुख हुए सूर्यदेव भले सुबह देर तक बादलों की ओट में छिपे रहे लेकिन दोपहर होते-होते उनकी किरणें चहकती हुईं धरा पर उतरीं। तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश के साथ सुख-समृद्धि का आशीष दिया। मौसम में लगातार होते बदलाव को श्रद्धालुओं ने कुछ इसी रूप में लिया।
सिर पर गठरी, बगल में झोला लेकर आधी रात से ही गंगा की तरफ दौड़े श्रद्धालु
नागवासुकी मंदिर और संगम क्षेत्र में तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सभी अपने सिर पर गठरी लादे आस्था से भरे हुए संगम की ओर बढ़ते दिखे। स्नान के लिए श्रद्धा ऐसी थी कि लोग रात से ही गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाना शुरू कर चुके थे।
चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध, घुड़सवार पुलिस ने किया मार्च
महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण, एसएसपी राजेश द्विवेदी समेत पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अमृत स्नान जा रहे अखाड़ा साधुओं का मार्ग प्रशस्त किया।
पवित्र त्रिवेणी के तट पर कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची थी। जय श्रीराम, जय गंगा मैया और हर-हर महादेव के गगनभेदी जयघोष के बीच कोई हाथों में ध्वज लिए संगम की ओर दौड़ लगा रहा था तो कोई दंड-कमंडल, मनका लिए हुए लपकते पांवों से बढ़ता रहा।
संक्रांति पर क्या करें?
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान जरूर करना चाहिए। इसमें गरीब व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए। साथ ही कंबल, खिचड़ी, तांबा, स्वर्ण का दान करना चाहिए। लोहा व उड़द का दान नहीं करना चाहिए। इसका दान वर्जित है।
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