Maha Kumbh 2025: आज से महाकुंभ का पहला अमृत स्नान शुरू, 20 देशों के 100 विदेशी संत व महामंडलेश्वर भी लगाएंगे डुबकी
Maha Kumbh 2025 | महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान आज से शुरू हो रहा है। आज मकर संक्रांति के अवसर पर 100 से अधिक विदेशी संत भी शाही स्नान के लिए संगम में डुबकी लगाएंगे। आध्यात्मिक गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी मिश्रा के आगमन से बढ़ी तैयारियां निर्मोही अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर लेंगे दीक्षा। जानिए इस भव्य आयोजन की खासियतें।

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। 14 जनवरी यानी आज महाकुंभ का पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) होगा। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर नागा साधु और संत शाही स्नान करेंगे। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन करीब डेढ़ करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।
महाकुंभ का यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का प्रयास है। यह न केवल भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है, बल्कि विश्वभर के अनुयायियों को भारतीय आध्यात्मिकता के साथ जोड़ने का माध्यम भी है।
100 से ज्यादा विदेशी संत अमृत स्नान करेंगे
अमेरिका, कनाडा, जापान, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया, यूके, चिली और मॉरीशस जैसे 20 देशों से आए 100 से अधिक विदेशी संत आज 14 जनवरी को अमृत स्नान करेंगे। आध्यात्मिक गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी मिश्रा के अपने सेक्टर 17 स्थित शक्तिधाम शिविर में आगमन के साथ ही अमृत स्नान की तैयारियां तेज हो गई हैं।
निर्मोही अनी अखाड़ा से जुड़कर सनातन की दीक्षा लेने वाले महामंडलेश्वर, ब्रह्मचारी, संन्यासी और अनुयायी अमृत स्नान का अधीरता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। अमृत स्नान के बाद 50 से अधिक अनुयायियों को साईं मां दीक्षा देंगी।

निर्मोही अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर अनंत दास के अनुसार, साईं मां के आगमन के साथ काशी के 16 प्रतिष्ठित पंडितों ने विशेष अग्नि यज्ञ का आयोजन किया। यह यज्ञ मानवता, व्यक्तिगत परिवर्तन और विशेष अवसरों के लिए आशीर्वाद प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है।
45 दिनों तक हर रोज 150 से ज्यादा यज्ञों का होगा आयोजन
साथ ही अगले 45 दिनों तक प्रतिदिन 150 से अधिक यज्ञों का आयोजन सुबह छह से रात 10 बजे तक होगा। उन्होंने बताया कि 14 जनवरी को सुबह 11 बजे साईं मां के साथ सभी महामंडलेश्वर और विदेशों से आए संत व उनके शिष्य अमृत स्नान में शामिल होंगे।

अगले तीन दिनों में साईं मां 50 से अधिक विदेशी अनुयायियों को आध्यात्मिक दीक्षा देंगी। कनाडा से आईं एलोडी बर्थोमियु, डेनियल गिगेरे, लिसेन सिने, आस्ट्रेलिया से केरी मेरियट, अमेरिका से सिंथिया पीटर्स, रान्डा अकिन, हीदर चार्लटन और एंजेला कॉफी, स्विटजरलैंड से विवियन केम्पफेन और जापान से रेइको ह्योदो सहित 200 ब्रह्मचारी और शिष्य भी शिविर पहुंच गए हैं। यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के अद्भुत मेल से प्रभावित हैं और सभी इस आयोजन को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण अनुभव मान रहे हैं।

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