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    आसमान में चमकेंगे ड्रैकनिड और ओरियोनिड उल्का, इस दिन प्रति घंटे 10 से 20 उल्का पिंड की होगी बौछार

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 06:00 AM (IST)

    प्रयागराज में इस महीने ड्रैकनिड और ओरियोनिड उल्का वर्षा का अद्भुत नज़ारा दिखाई देगा। ड्रैकनिड उल्का वर्षा 8 अक्टूबर को चरम पर होगी जो 6 से 10 अक्टूबर तक चलेगी। ओरियोनिड उल्का बौछार 21 अक्टूबर को देखी जा सकती है। वैज्ञानिक सुरूर फातिमा के अनुसार ये उल्काएं पृथ्वी के वायुमंडल में तेज़ी से प्रवेश करती हैं और कभी-कभी आग के गोले भी बनाती हैं।

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    आसमान में चमकेंगे ड्रैकनिड और ओरियोनिड उल्का।

    अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। इस महीने ड्रैकनिड और ओरियोनिड उल्का वर्षा का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। ड्रैकनिड उल्का वर्षा की चरम स्थिति आठ अक्टूबर को होगी, जबकि इसकी शुरुआत छह अक्टूबर से हो जाएगी और यह दस अक्टूबर तक जारी रहेगी।

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    हर वर्ष इसी माह यह उल्का वर्षा होती है, जिसे जियाकोबिनिड्स भी कहा जाता है, क्योंकि यह जियाकोबिनी जिनर धूमकेतु के मलबे से उत्पन्न होती है। इस महीने के दौरान, सात अक्टूबर को सुपर मून भी दिखाई देगा।

    खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए ड्रैकनिड उल्का देखने का सबसे अच्छा समय आठ अक्टूबर की रात है। इस रात प्रति घंटे लगभग 10 उल्का दिखाई देंगी। आसमान साफ होने पर इसे बिना टेलिस्कोप के भी देखा जा सकता है।

    इसी क्रम में, ओरियोनिड उल्का बौछार को देखने का सही समय 21 अक्टूबर की रात दो बजे है। इस दिन अमावस्या होने के कारण इसे प्रभावी तरीके से देखा जा सकेगा। अगले दिन भी यह बारिश जारी रहेगी, जिसमें प्रति घंटे 10 से 20 उल्का नजर आएंगी।

    ये उल्कापिंड तेज गति से चलते हैं और कभी-कभी चमकीले आग के गोले भी बनाते हैं। इनकी सक्रियता 12 नवंबर तक रहती है, लेकिन उल्का की संख्या कम होने के साथ धीरे-धीरे यह दिखना बंद कर देती हैं।

    जवाहर तारामंडल की वैज्ञानिक सुरूर फातिमा के अनुसार, ये उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 70 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से प्रवेश करती हैं। ओरियोनिड्स धूमकेतु स्विफ्ट-टटल के मलबे से उत्पन्न होते हैं।

    पूर्णिमा का चंद्रमा हंटर मून

    इस माह की पूर्णिमा विशेष है, जो सात अक्टूबर को आएगी। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा और यह साधारण चंद्रमा से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देगा। इसे सुपर मून कहा जाता है।

    इसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 357,000 से 363,300 किलोमीटर के बीच होगी, जबकि औसत दूरी लगभग 384,400 किलोमीटर है। चंद्रमा की अंडाकार कक्षा के कारण यह दूरी बदलती रहती है।

    जवाहर तारामंडल की विज्ञानी सुरूर फातिमा ने बताया कि इस माह की पूर्णिमा के चांद को हार्वेस्ट मून या हंटर मून कहा जाता है।

    यह नाम मूल अमेरिकी जनजातियों द्वारा रखा गया था, क्योंकि वे इस समय शिकार करते थे और चंद्रमा की रोशनी से उन्हें शिकार का पता लगाने में मदद मिलती थी।

    छह को शनि के करीब रहेगा चंद्रमा

    इस महीने छह अक्टूबर को चंद्रमा शनि ग्रह के निकट दिखाई देगा। 13 अक्टूबर को यह बृहस्पति के साथ युग्मन करेगा, जबकि 19 अक्टूबर को शुक्र ग्रह के साथ दिखाई देगा। 23 अक्टूबर को चंद्रमा मंगल ग्रह के करीब नजर आएगा।

    वर्तमान में सूर्य कन्या राशि में है और एक नवंबर को तुला राशि में प्रवेश करेगा। बुध और मंगल भी तुला राशि में हैं, जिन्हें सूर्योदय से एक घंटा पहले देखा जा सकता है।

    शुक्र कन्या राशि में है, जिसका उदय प्रात: 4:40 बजे है। बृहस्पति मिथुन राशि में है, जो रात 11 बजे उदय होता है। शनि मीन राशि में है और प्रात: 3:45 बजे अस्त होता है।

    धूल और बर्फ के कणों की धाराओं से गुजरने पर उल्का वर्षा

    ड्रैकनिड्स और ओरियोनिड उल्का वर्षा पृथ्वी के धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों द्वारा छोड़े गए धूल और बर्फ के कणों की धाराओं से होकर गुजरने के कारण होती है। ड्रैकनिड्स धूमकेतु 21पी/गियाकोबिनी-जिनर के मलबे से आते हैं, जबकि ओरियोनिड्स हैली धूमकेतु के पीछे छोड़े गए कणों से उत्पन्न होते हैं।

    जब ये छोटे कण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण के कारण जल जाते हैं, जिससे चमकती हुई लकीर की आकृति दिखाई देती है, जिसे हम उल्का वर्षा के रूप में देखते हैं।

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