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    Valentine Day: किसे नहीं मनाना चाहिए वैलेंटाइन डे? धर्मरत्न देवकीनंदन ठाकुर ने दिया ये जवाब

    Updated: Wed, 12 Feb 2025 11:24 PM (IST)

    कथावाचक धर्मरत्न देवकीनंदन ठाकुर ने भगवान शिव की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि उनका परोपकार अद्भुत है और उन्होंने सृष्टि की रक्षा के लिए विष का पान किया। उन्होंने वैलेंटाइन डे का विरोध किया और सनातन बोर्ड निर्माण को अत्यंत आवश्यक बताया साथ ही संगम स्नान करने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।

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    भगवान शिव की महिमा का बखान करते कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर। सौ. शिविर प्रबंधन

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। भगवान शिव का परोपकार अद्भुत है। सृष्टि की रक्षा के लिए उन्होंने विष का पान कर लिया। भूप-प्रेत उनके गण हैं। शिव का हर स्वरूप हमें परोपकार की सीख देता है। 

    उक्त बातें कथावाचक धर्मरत्न देवकीनंदन ठाकुर ने व्यक्त किए। शांति सेवा शिविर में 11 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण और श्री शिव महापुराण कथा में श्रद्धालुओं को भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का मर्म आत्मसात कराया।

    पारंपरिक सभ्यता के अनुरूप नहीं वैलेंटाइन डे

    उन्होंने वैलेंटाइन डे का विराेध करते हुए कहा कि यह हमारे भारतीय संस्कार और पारंपरिक सभ्यता के अनुरूप नहीं है। इसके माध्यम से हमारी संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है। 

    मेरा सभी सनातनी बेटों और बेटियों से निवेदन कि वह इससे दूर रहें। जो माता-पिता का सम्मान करते हैं वह वैलेंटाइन डे न मनाएं। कहा कि सनातन बोर्ड निर्माण अत्यंत आवश्यक है और आज पूर्णिमा के दिन हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही सनातन की सुरक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन हो। 

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    हमें पांच करोड़ लोग चाहिए जो सनातन के लिए खड़े हो, जो सनातन की रक्षा के लिए एकजुट हो। देवकीनंदन ने संगम स्नान करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी का आभार व्यक्त किया।

    वसंत विजयानंद गिरि बने जूना अखाड़ा के जगद्गुरु आचार्य

    दक्षिण भारत में सनातन धर्म की ख्याति बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वसंत विजय गिरि को जूना अखाड़ा ने जगदगुरु आचार्य की उपाधि प्रदान की है। माघी पूर्णिमा के पावन पर्व पर बुधवार को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के शिविर में उनका विधि-विधान से अभिषेक हुआ। 

    स्वामी अवेधशानंद ने मंत्रोच्चार के बीच तिलक लगाकर चादर ओढ़ाकर आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्हें जगदगुरु की महिमा और कर्तव्यों के बारे में बताया। जूना अखाड़े के संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने उन्हें शिष्य बनाकर अखाडे में शामिल किया। मुंडन करवाकर पिंडदान किया। 

    स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा में जूना अखाड़ा का अतुलनीय योगदान है। इसके धर्मगुरुओं का जीवन त्याग और संघर्षमय होता है। 

    महंत हरि गिरि ने कहा कि स्वामी वसंत विजयानंद गिरि के जगदगुरु आचार्य बनने से सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार और अधिक तेजी से होगा। इससे सातन धर्मतो मजबूत होगा ही भारतीय संस्कृति का परचम विश्व में फहरेगा। 

    श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर व जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि वसंत विजयानंद गिरि तपस्वी और संघर्षशील संत हैं। उन्होंने दक्षिण भारत में मतांतरण रोकने में अद्वितीय योगदान दिया है।

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