UP News: पीसीएस और आरओ/एआरओ के साथ दूसरी परीक्षाएं भी बनीं चुनौती, आसान नहीं है राह
यूपीपीएससी को पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं के बाद कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। छात्र संख्या अधिक होने और केंद्र निर्धारण के कड़े मानकों के कारण एक दिन में परीक्षा कराना मुश्किल होगा। प्रतियोगी छात्र दो दिवसीय परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। आयोग के सामने खंड शिक्षा अधिकारी और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा कराना भी चुनौती होगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, प्रयागराज। पीसीएस-2024 और आरओ/एआरओ-2023 प्रारंभिक परीक्षा को दो दिन में कराने की तैयारी कर घिरे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को आगे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यह चुनौतियां आगामी उन भर्ती परीक्षाओं की हैं, जिनमें छात्र संख्या काफी अधिक होती है और उत्तर प्रदेश परीक्षा अध्यादेश के तहत केंद्र निर्धारण के कड़े मानकों की वजह से उनकी परीक्षाएं एक दिन में परीक्षाएं कराना आसान नहीं होगा।
उधर, प्रतियोगी छात्र दो दिवसीय परीक्षा के विरोध में आर-पार की लड़ाई को तैयार हैं और सोमवार को आयोग के बाहर जुटी प्रतियोगी छात्रों की भीड़ इसकी बानगी है। आयोग ने सात व आठ दिसंबर को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा तथा 22 दिसंबर को प्रस्तावित आरओ/एआरओ में 10.70 लाख आवेदनों और केंद्रों की कमी के कारण दो दिन में कराने की योजना बनाई है।
छात्र विरोध में हैं कि दो दिन में परीक्षा कराने की स्थिति में नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया आयोग अपनाएगा। साथ ही यह भी कर रहे हैं कि प्रश्नपत्रों में प्रश्नों की प्रकृति (सरल व कठिन) के पहचान की कोई पद्धति नहीं होने से नार्मलाइजेशन विवादित हो जाएगा। ऐसे में आयोग के सामने खंड शिक्षा अधिकारी और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा कराना भी चुनौती होगी।
इसमें आवेदनों की संख्या पांच लाख से अधिक रहती है। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी की भर्ती लंबे समय से नहीं आई है। ऐसे में इस बार अधिक आवेदन की संभावना है। इसके अलावा राजकीय इंटर कालेज में प्रवक्ता और सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) परीक्षा करना भी चुनौती होगी। इनमें भी आवेदन अधिक होते हैं।
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ऐसे में केंद्र निर्धारण के कड़े मानक एक दिनी परीक्षा में चुनौती खड़ी करेंगे। इन परीक्षाओं को भी दो दिन कराने की स्थिति बनने पर विरोध का दायरा बढ़ेगा। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय के अनुसार केंद्रों की कमी का आधार बनाकर दो दिवसीय परीक्षा की तैयारी तर्कसंगत नहीं है। आयोग को एक दिन की परीक्षा के आधार पर ही रणनीति बनानी चाहिए। आयोग अपनी सुविधा के लिए प्रतियोगी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता है।
चार उप सचिवों की शिक्षा सेवा चयन आयोग को प्रतीक्षा
प्राथमिक से लेकर एडेड माध्यमिक, एडेड उच्चतर, तकनीकी और अल्पसंख्यक संस्थानों में शिक्षक भर्तियां करने के लिए गठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को सृजित चार पदों पर उप सचिवों की आज भी प्रतीक्षा है। आयोग में सृजित पदों पर रुक-रुक कर तैनाती किए जाने से कार्य पूरी गति से हो पा रहा है।
निर्णय लेने के लिए आयोग तो तैयार हो गया है, लेकिन उसके अनुरूप काम को रफ्तार देने के लिए अभी उप सचिव नहीं तैनात किए गए हैं, जबकि आयोग का गठन हुए छह माह से अधिक समय बीत गया है। आयोग में सृजित 12 पदों पर सदस्यों की नियुक्ति 14 मार्च 2024 को हुई और सभी ने 15 मार्च 2024 को कार्यभार ग्रहण कर लिया। 20 मार्च को प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल को आयोग का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया।
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उन्होंने आठ मई को पहली बैठक की। नियमित अध्यक्ष के रूप में एक सितंबर को प्रो. कीर्ति पाण्डेय की नियुक्ति हुई और उन्होंने पांच सितंबर को पदभार संभाला। आयोग में सचिव, वित्त नियंत्रक एवं परीक्षा नियंत्रक की तैनाती भी हो चुकी है। नियमित अध्यक्ष ने बैठक कर लंबित पुरानी भर्तियों के संबंध में जानकारी जुटाई।
परीक्षा एवं साक्षात्कार के संबंध में कमेटियां गठित कर रिपोर्ट ली। उसके अनुरूप तैयारियां तेजी से चल रही हैं, लेकिन आयोग में उप सचिवों की तैनाती नहीं होने से कार्य पर असर पड़ रहा है। चार उप सचिवों को प्रतिनियुक्ति पर तैनाती देने के लिए शासन ने आवेदन तो लिए, लेकिन आयोग गठन के छह महीने बाद भी किसी की नियुक्त नहीं की जा सकी।
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