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    UP News: प्राकृतिक मेंथा आयल होगा सस्ता, सिंथेटिक महंगा; किसानों व कारोबारियों को मिलेगी बड़ी राहत

    Updated: Wed, 23 Oct 2024 07:29 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के लाखों मेंथा किसानों और कारोबारियों के लिए बड़ी खबर है। सरकार प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी 7% घटाकर 5% करने जा रही है। वहीं सिंथेटिक मेंथाल पर जीएसटी 6% बढ़ाकर 18% किया जाएगा। इस फैसले से किसानों और कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। हाल के वर्षों में आयातित सिंथेटिक मेंथाल का देश में तेजी से चलन बढ़ा है।

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    किसानों और कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी।- जागरण

     अजय जायसवाल, जागरण, लखनऊ। मेंथा के पौधे की खेती करने वाले लाखों किसानों और मेंथा आयल के कारोबारियों को सरकार जल्द बड़ी राहत देने वाली है। सस्ता होने से आयातित सिंथेटिक मेंथाल की बढ़ती मांग से घरेलू प्राकृतिक मेंथा आयल के चौपट होते धंधे को देखते हुए सरकार जहां प्राकृतिक मेंथा आयल पर सात प्रतिशत जीएसटी घटाने जा रही है वहीं सिंथेटिक मेंथाल पर छह प्रतिशत बढ़ाएगी।

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    विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दर तय करने को बनाए गए मंत्री समूह (जीओएम) ने प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी 12 से घटाकर पांच प्रतिशत और सिंथेटिक मेंथाल पर बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का निर्णय किया है। मंत्री समूह के अहम निर्णय पर जल्द ही जीएसटी काउंसिल भी मुहर लगाएगी।

    देश में सर्वाधिक मेंथा की खेती उत्तर प्रदेश में होती है। प्रदेश के बाराबंकी के अलावा अयोध्या, अंबेडकरनगर, लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद, बदायूं, बरेली, पीलीभीत आदि जिलों के 20 लाख से ज्यादा किसान नकदी फसल के तौर पर मेंथा की खेती करते रहे हैं।

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    सालाना लगभग 50 हजार टन मेंथा तेल के उत्पादन में किसानों के साथ ही पांच लाख ग्रामीण मजदूर और एक लाख से अधिक औद्योगिक श्रमिक जुड़े रहे हैं। मिंट मैन्यूफैक्चर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के मुताबिक 500 से अधिक एमएसएमई इकाइयां इससे जुड़ी हैं और जीडीपी में लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का योगदान करती हैं।

    एसोसिएशन के फूल प्रकाश और प्रतीश गुप्ता के अनुसार हाल के वर्षों में आयातित सिंथेटिक मेंथाल का देश में तेजी से चलन बढ़ा है। पर्सनल केयर से लेकर फार्मा सेक्टर में बड़े पैमाने पर अब सिंथेटिक मेंथाल का ही इस्तेमाल हो रहा है। स्थिति यह है कि इसकी कुल मांग में अब 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी सिंथेटिक मेंथाल की है।

    कारण है कि सिंथेटिक की कीमत कम है जबकि प्राकृतिक की उत्पादन लागत अधिक है। सिंथेटिक के चलते प्राकृतिक मेंथा आयल की अच्छी कीमत न मिलने से किसानों का जहां इसकी खेती से मोहभंग हो रहा है वहीं एमएसएमई इकाइयों में ताले लग रहे हैं।

    इस पर एसोसिएशन ने वित्त मंत्री और जीएसटी काउंसिल के सदस्य सुरेश कुमार खन्ना को ज्ञापन सौंप राहत दिलाने की मांग की थी। लाखों किसानों, मजदूरों और कारोबारियों के सामने सिंथेटिक मेंथाल से पैदा होते संकट को देखते हुए खन्ना ने जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी की दर घटाने का प्रस्ताव रखा।

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    काउंसिल द्वारा जीएसटी की दर तय करने के लिए बनाए गए जीओएम की हाल ही में हुई बैठक में संबंधित प्रस्ताव पर विचार किया गया। जीओएस के सदस्य खन्ना ने बताया कि प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी को 12 से घटाकर पांच और सिंथेटिक मेंथाल पर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत जीएसटी करने के प्रस्ताव को जीओएम ने सर्वसम्मति से हरी झंडी दे दी है।

    जीओएम के निर्णय को जल्द ही काउंसिल से भी मंजूरी मिल जाएगी। खन्ना का मानना है कि इससे सिंथेटिक मेंथाल की कीमत बढ़ने से जहां उसकी मांग घटेगी वहीं प्राकृतिक मेंथा आयल का मूल्य कम होने से इसकी मांग बढ़ेगी जिससे किसानों-कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी।