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'धर्माचार्यों व व्यासपीठ के अनादर से भाजपा को अयोध्‍या में मिली हार...', शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने PM-CM पर साधा निशाना

पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रीय नियम व परंपरा होती है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान उसकी अनदेखी की गई। प्रधानमंत्री ने कहीं भी शास्त्रीय परंपरा का पालन नहीं किया सिर्फ उसके प्रचार-प्रसार में जोर रहा। यही कारण है कि भाजपा को अयोध्या में पराजय मिली देश के विभिन्न प्रदेशों में उन्हें अपेक्षा के अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।

By Mehmood Alam Edited By: Vivek Shukla Sun, 09 Jun 2024 01:55 PM (IST)
'धर्माचार्यों व व्यासपीठ के अनादर से भाजपा को अयोध्‍या में मिली हार...',  शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने PM-CM पर साधा निशाना
झूंसी स्थित शिवगंगा आश्रम पहुंचे पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य जगद्गुरू स्वामी निश्चलानंद सरस्वती । जागरण

संवाद सूत्र, झूंसी। पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने लोकसभा चुनाव परिणाम का उल्लेख करते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। सात दिवसीय प्रवास पर शनिवार की सुबह झूंसी स्थित शिवगंगा आश्रम पहुंचे शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा करके सोचा था कि उनकी तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाएगी, लेकिन वैसा हुआ नहीं। इसके पीछे धर्माचार्यों व व्यास पीठ का अनादर करना प्रमुख कारण है।

कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रीय नियम व परंपरा होती है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान उसकी अनदेखी की गई। प्रधानमंत्री ने कहीं भी शास्त्रीय परंपरा का पालन नहीं किया, सिर्फ उसके प्रचार-प्रसार में जोर रहा। यही कारण है कि भाजपा को अयोध्या में पराजय मिली, देश के विभिन्न प्रदेशों में उन्हें अपेक्षा के अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।

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कहा कि संत किसी का अहित नहीं चाहते, लेकिन उनकी वाणी का असर होता है। स्पष्ट बहुमत न मिलने पर केंद्र में मिलीजुली सरकार बनेगी। राजनीति में तोड़फोड़ होती रहती है, लेकिन बीच में व्यवधान भी आ सकता है।

आगे बोले, नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ अंहकार की पराकाष्ठा पार करके धर्मगुरुओं की उपेक्षा कर रहे हैं। एक स्वयंयू शंकराचार्य को देश-विदेश में घुमाया जा रहा है। यह मान्य पीठ के शंकराचार्यों के लिए अपमान का विषय है। प्रफुल्ल ब्रह्मचारी, ऋषिकेश ब्रह्मचारी, रामकैलाश पांडेय, आशुतोष सिंह, प्रतीक त्यागी आदि मौजूद रहे।

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