रेत पर बैठकर साधना-स्नान के बाद ली दीक्षा, Maha Kumbh पहुंचे विदेशी श्रद्धालु बाेले- 'गंगा में बह जाता मन का बोझ'
Maha Kumbh 2025 शनिवार को आठ देशों के 70 विदेशी नागरिक संगम नगरी पहुंचे और पुण्य की डुबकी लगाई। हर-हर गंगे के उद्घोष से संगम तट गूंज उठा। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने रेत पर बैठकर साधना की और भारतीय संस्कृति की गहराई को अनुभव किया। इनमें से कई सनातन की दीक्षा ले चुके हैं और कई अमृत स्नान के बाद दीक्षा ग्रहण करेंगे।

जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। महाकुंभ की दिव्यता और आध्यात्मिक आभा विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। शनिवार को आठ देशों के 70 विदेशी नागरिक संगम नगरी पहुंचे और पुण्य की डुबकी लगाई। हर-हर गंगे के उद्घोष से संगम तट गूंज उठा।
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने रेत पर बैठकर साधना की और भारतीय संस्कृति की गहराई को अनुभव किया। इनमें से कई सनातन की दीक्षा ले चुके हैं और कई अमृत स्नान के बाद दीक्षा ग्रहण करेंगे। निर्मोही अनी अखाड़ा से जुड़े ये विदेशी सेक्टर-17 स्थित शक्तिधाम शिविर में पहुंचे हैं।
गंगा केवल नदी नहीं, ऊर्जा का है स्रोत
दल में सर्वाधिक 25 नागरिक जापान से हैं। दक्षिण अमेरिका से 13, ऑस्ट्रिया, कनाडा और बेल्जियम से 2-2, बरमूडा और आयरलैंड से 1-1 और अमेरिका के 23 नागरिक शामिल हैं। अमेरिका के एरिक ब्लैक ने गंगा स्नान के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, "यह केवल नदी नहीं है, बल्कि ऊर्जा स्रोत है।
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गंगा के स्पर्श में जो दिव्यता वह कहीं और नहीं
उन्होंने कहा कि जब मैंने पहली बार गंगा में डुबकी लगाई, तो अनोखी शांति का अनुभव हुआ, मानों मेरी आत्मा को नया जीवन मिल गया हो।" उनके साथ आईं सेलेना लाएल ने कहा, "मैंने बहुत से धार्मिक स्थलों की यात्रा की है, लेकिन गंगा के स्पर्श में जो दिव्यता है, वह कहीं और नहीं मिली। गंगा जल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है।"
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"गंगा के जल में बह जाता है मन का बोझ"
दक्षिण अमेरिका के मार्सेला डियाज ने कहा, "भारत आकर अनुभव हुआ कि यहां हर तत्व में ईश्वर का वास है। गंगा में स्नान के दौरान ऐसा लगा जैसे मन के सारे बोझ धीरे-धीरे बह रहे हों।" उनकी साथी आईं कैरोलीना टोरेस अयाला ने कहा, "गंगा केवल जलधारा नहीं है, जीवनदायिनी शक्ति है। इस पवित्र जल में खड़े होकर प्रार्थना करने से मन की हर चिंता समाप्त हो गई।"
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संपूर्ण विश्व के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है भारत
जापान से आए शोजी त्सुचिया और उनकी पत्नी रेइला त्सुचिया ने कहा कि "गंगा किनारे साधना करने से मन को जो स्थिरता मिली, वह अनमोल है। यहां आकर समझ में आया कि ध्यान और आत्मज्ञान का असली स्रोत क्या है।" रेइला ने कहा, "भारत आकर हमने महसूस किया कि यह केवल एक देश नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है।"

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