न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव सहित अन्य जजों का रोस्टर बदला, 2010 तक की प्रथम अपीलों की करेंगे सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार भंसाली के आदेश से न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव व कुछ अन्य न्यायमूर्तियों के मुकदमों की सुनवाई के रोस्टर में बदलाव किया गया है। 16 दिसंबर से प्रभावी होने वाले नए रोस्टर के तहत न्यायमूर्ति यादव 2010 तक की पुरानी प्रथम अपीलों की सुनवाई करेंगे जबकि नई दाखिल प्रथम अपीलों की सुनवाई के लिए अलग न्यायमूर्ति नामित किए गए हैं।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार भंसाली के आदेश से जारी अधिसूचना में न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव व कुछ अन्य न्यायमूर्तियों के मुकदमों की सुनवाई के रोस्टर में बदलाव किया गया है। आगामी 16 दिसंबर से प्रभावी होने वाले रोस्टर के तहत न्यायमूर्ति यादव 2010 तक की पुरानी प्रथम अपीलों की सुनवाई करेंगे।
नई दाखिल प्रथम अपीलों की सुनवाई के लिए अलग न्यायमूर्ति नामित किए गए हैं। इससे पहले वह 15 अक्टूबर से आपराधिक जमानत मामलों की सुनवाई कर रहे थे। ये मामले दूसरे न्यायमूर्ति की पीठ को नामित किए गए हैं।
विपक्षी नेताओं ने महाभियोग चलाने की मुहिम छेड़ी
अभी हाल ही में एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यादव के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी है। उनके खिलाफ विपक्षी नेताओं ने महाभियोग चलाने की मुहिम छेड़ रखी है।
न्यायमूर्ति यादव ने विश्व हिंदू परिषद विधि प्रकोष्ठ की कार्यशाला में आठ दिसंबर को कहा था कि भारत बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा के मुताबिक काम करेगा, जिसने तूल पकड़ लिया। न्यायमूर्ति यादव ने यह भी कहा था कि देश में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। हालांकि, रोस्टर बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है।
हाई कोर्ट: सालाना वसूली के लिए रोका कर्मचारियों का वेतन
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के दो जुलाई 2024 के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 600 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कर्मचारियों के वेतन को इस वसूली लक्ष्य से जोड़ दिया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने कमल कृष्ण मिश्रा की याचिका पर पारित किया। दो जुलाई के आदेश में कहा गया है कि बैंक की सुचारु कार्य प्रणाली के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 660 करोड़ रुपये की वसूली अनिवार्य है। शाखाओं और क्षेत्रीय कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन का भुगतान इस आदेश में निर्धारित वसूली के आधार पर किया जाएगा।
याची का कहना था कि इस आदेश के आधार पर जुलाई 2024 से उसे वेतन नहीं दिया गया है। न्यायालय ने पाया कि आदेश कोआपरेटिव सोसायटी के सेवा नियमावली के विरुद्ध है। इस आधार पर दो जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया। हालांकि, आदेश का लाभ याची को ही मिलेगा।
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