Maha Kumbh में रोबोट बना रहे चाय, एकदम देसी अंदाज में... हाईटेक टी-प्वॉइंट की तकनीक जान हैरान रह जाएंगे आप
महाकुंभ मेले में रोबोट बनी चाय का लुत्फ उठाएं! कर्नाटक मिल्क फेडरेशन और चाय प्वॉइंट के सहयोग से महाकुंभ क्षेत्र में 10 विशेष केंद्र बनाए गए हैं जहां दो रोबोट हर दिन 1500 लीटर चाय बनाते हैं। यह रोबोट भारतीय चाय पद्धति के अनुसार चाय को उबालकर और रेसिपी के अनुसार तैयार करता है। 12 मिनट में एक रोबोट 24 लीटर चाय बनाता है।

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। महाकुंभ में विशेष चाय पीनी है तो रोबोट की बनाई चाय पीजिए। वह भी बढ़िया उबाल-उबाल कर। चौंकिए नहीं! यह सच है। हाईटेक चाय प्वॉइंट ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन और चाय प्वॉइंट के संयुक्त प्रयास से महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर एक, दो, 24, 25, 20 व 21 में 10 विशेष केंद्र बनाए गए हैं।
हर केंद्र पर दो रोबोट चाय बनाते हैं। इसे परोसने के लिए कर्मचारी हैं। यहां चाय का दाम सामान्य चाय की तरह ही है। पूरे महाकुंभ के दौरान एक करोड़ कप से अधिक चाय का लक्ष्य रखा गया है। ब्रूइंग रोबोट को भारत में ही बनाया गया है। 2010 में बेंगलुरु से शुरुआत हुई थी। अब पूरे देश में पांच हजार स्थानों पर इस रोबोट काम कर रहे हैं।
हर दिन रोबोट 1500 लीटर बनाता है चाय
यह रोबोट का चौथा वर्जन है। हर दिन एक रोबोट लगभग 1500 लीटर चाय बनाता है। चाय प्वॉइंट के फाउंडर अमलिक सिंह बताते हैं कि यह चाय की मशीन नहीं है, यह भारतीय चाय पद्धति के अनुसार चाय को उबालकर और रेसीपी के अनुसार ही तैयार करता है।
12 मिनट में 24 लीटर चाय बनाता है एक रोबोट
गूगल क्लाउड पर मौजूद चाय की रेसीपी को सॉफ्टवेयर के माध्यम से ब्रूइंग रोबोट प्राप्त करते हैं। हम केवल उन्हें कमांड देते हैं। आदेश के अनुपालन में चाय बनती है। 12 मिनट में एक रोबोट 24 लीटर चाय तैयार करता है।
महाकुंभ में कुल 20 रोबोट काम कर रहे हैं। यहां 150 लोगों को इससे रोजगार मिला है। जबकि देश भर में 1600 से ज्यादा कर्मचारी तैनात है। अब हम एक एकेडमिक कोर्स भी लांच कर रहे हैं, जिससे प्रशिक्षित पांच हजार युवाओं को हर साल इसी क्षेत्र में नौकरी मिल सकेगी।
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पूरी तरह से राममय हुआ महाकुंभ
तीर्थराज प्रयाग में लगने वाला महाकुंभ और कुंभ मेला धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता की त्रिवेणी के साथ-साथ संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है। गंगा की रेती पर महाकुंभ और कुंभ का आयोजन एक लघु भारत को प्रदर्शित करता है। यहां पर करोड़ों धर्मावलंबी बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के आस्था के साथ ही खिंचे हुए चले आते हैं।
सनातन धर्म की ध्वजा के साथ संतों की मधुर वाणी से प्रवचन, रामकथा, श्रीमद्भागत की कथा चल रही है। सही मायने में कहा जाए तो संगम तट पूरी तरह से राममय हो चुका है। संतों के मुख से जहां राम कथा कही जा रही है वहीं अखाड़ों, खालसा और धार्मिक संगठनों के शिविर में आयोजित अन्न क्षेत्र में भी राम नाम की बयार बह रही है।
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