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    'दुष्कर्म व गैरकानूनी मतांतरण गंभीर अपराध, समझौते से केस खत्म नहीं'; इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम निर्णय

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 08:56 AM (IST)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि धोखे और दबाव में मतांतरण गैरकानूनी और गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में पक्षों के बीच समझौता करके केस खत्म नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में धर्म परिवर्तन तभी वास्तविक माना जा सकता है जब वयस्क स्वस्थ मस्तिष्क और स्वेच्छा से पैगंबर मोहम्मद में विश्वास करता हो और उसका हृदय परिवर्तन हुआ हो।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट की तस्वीर (फोटो- जागरण)

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मतांतरण हृदय परिवर्तन और विश्वास से हो सकता है। धोखे तथा दबाव में मतांतरण गैरकानूनी व गंभीर अपराध है। ऐसे प्रकरण में पक्षों के बीच समझौता मात्र से केस रद नहीं किया जा सकता।

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    इस्लाम में धर्म परिवर्तन तभी वास्तविक माना जा सकता है, जब वयस्क स्वस्थ मस्तिष्क व स्वेच्छा से पैगम्बर मोहम्मद में विश्वास करता हो और उसका हृदय परिवर्तन हुआ हो। कोर्ट ने धोखा व दबाव डालकर मतांतरण कराने व दुष्कर्म के अपराध को गंभीर अपराध माना।

    हाई कोर्ट ने केस रद करने से किया इनकार

    साथ ही इसे समाज व नारी गरिमा के विरुद्ध बताते हुए समझौते के आधार पर केस रद करने के लिए धारा 482 की अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने से इन्कार कर दिया। यह निर्णय न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने रामपुर के तौफीक अहमद की याचिका खारिज करते हुए दिया है।

    लड़की के मतांतरण से जुड़ा है मामला

    प्रकरण हिंदू लड़की के मंतातरण से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा, किसी भी धार्मिक परिवर्तन को वास्तविक तभी माना जाता है, जब मूल धर्म के सिद्धांतों के स्थान पर किसी नए धर्म के सिद्धांतों के प्रति ‘हृदय परिवर्तन’ और ‘ईमानदारी से विश्वास’ हो। मतांतरण में आस्था और विश्वास में परिवर्तन शामिल है।

    कार्रवाई रद करे की गई थी मांग

    याची ने रामपुर के स्वार थाने में धारा 420, 323, 376, 344 आईपीसी और धारा 3/4 (1) उप्र धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम, 2020 के अंतर्गत दर्ज पूरी कार्रवाई रद करने की मांग की थी। याची पर पीड़िता से दुष्कर्म करने व मतांतरण के लिए दबाव डालने का आरोप है। उसने हिंदू नाम रखकर इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम के पीड़िता से दोस्ती की। फिर शादी के लिए बुलाकर छह महीने तक बंधक बनाए रखा।

    महिला की गरिमा के साथ समझौता नहीं: हाई कोर्ट

    यह पता चलने पर कि याची हिंदू नहीं मुस्लिम है, पीड़िता ने बच कर निकलने पर प्राथमिकी लिखाई और अपने बयान में आरोपों की पुष्टि भी की। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। कोर्ट ने कहा, महिला की गरिमा के साथ समझौता नहीं हो सकता। यह अपराध है।

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