State University Convocation : रज्जू भैया विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह, छात्रों को 187 पदक, शिक्षक सम्मानित, खिलाड़ी पुरस्कृत
State University Convocation प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह में कुलाधिपति यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल पहुंची हैं। 187 मेधावियों को स्वर्ण रजत और कांस्य पदक के साथ उपाधियां प्रदान करेंगी। समारोह में 92109 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जाएगी। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय का रिपोर्ट कार्ड पढ़ा और पीएचडी शुरू करने की बात कही।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। शोध का उद्देश्य सिर्फ शोधपत्रों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए। विश्वविद्यालयों को अपने क्षेत्र के संसाधनों की छिपी हुई उपयोगिता का पता लगाने के लिए शोध करना चाहिए, ताकि उस संसाधन का राष्ट्रहित में उपयोग हो सके। यह प्रेरक संदेश सोमवार को प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय के अष्टम दीक्षा समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने दिया।
कुलाधिपति ने युवाओं और शिक्षकों को शिक्षा में परफेक्शन और राष्ट्र निर्माण के प्रति गहरी जिम्मेदारी का बोध कराने के साथ समाजोपयोगी शोध पर जोर दिया। शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए शोध के नए आयाम एवं क्षेत्र को खोजने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब समय आ गया है कि अनुसंधान केवल प्रयोगशालाओं तक न रहकर समाज की व्यावहारिक समस्याओं का हल खोजा जाए।
असम-नागालैंड के उन तीन रेल पुलों का भी जिक्र किया
कुलाधिपति ने उदाहरण देते हुए कहा कि असम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया का पहला बांस से एथेनाल प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसने प्रमाणित कर दिया कि प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करके समाज को नई दिशा दी जा सकती है। यह अनुसंधान का ही प्रतिफल था कि जहां गन्ने से अब तक एथेनाल बनता था अब बांस से भी बनेगा। उन्होंने असम-नागालैंड के उन तीन रेल पुलों का भी जिक्र किया, जिनके पिलर का निर्माण झारखंड के उस पत्थर से हुआ है, जो 13 हजार वर्ष पूर्व ज्वालामुखी के लावा से बना। आसाम यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने जब उसकी क्षमता पर शोध किया, तभी उसका समाजोपयोगी उपयोग संभव हो सका।
युवा स्पष्ट लक्ष्य बनाकर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ें
उन्होंने कहा कि असली शोध वही है, जिसमें छिपी हुई उपयोगिता को खोजकर समाज के सामने लाया जाए। राज्यपाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की 60 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है और यह ऊर्जा पूरे विश्व को बदलने की क्षमता रखती है। प्रधानमंत्री का विकसित भारत का सपना अगले दो दशकों में तभी साकार हो सकता है, जब युवा स्पष्ट लक्ष्य बनाकर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ें।
प्रयागराज में गंगा के जल और मिट्टी पर भी करें शाेध
उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे जिस तरह अयोध्या में पर्यावरण पर अनुसंधान हुआ, उसी तरह प्रयागराज में गंगा के जल और मिट्टी पर भी शोध करें। उदाहरणस्वरूप प्रयागराज की मिट्टी और जल में ऐसे गुण हो सकते हैं, जिनका वैज्ञानिक मूल्यांकन समाज के लिए वरदान सिद्ध हो।
शोध के व्यावहारिक उपयोग पर दिया जोर
उन्होंने शोध के व्यावहारिक उपयोग पर बल देकर कहा कि अयोध्या में राममंदिर बनने के बाद वाहनों की भीड़ से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ा। शोधकर्ताओं ने इस पर अध्ययन किया और निष्कर्ष उनके पास आए, परंतु इन्हें जिलाधिकारी को दिया जाना चाहिए था, ताकि नीतिगत निर्णय में उनका उपयोग हो सके। राज्यपाल ने जोर दिया कि “शोध करें, निष्कर्ष निकालें और उन्हें जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाएं।”
शिक्षा व्यवस्था पर सख्ती
समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को भी कई नसीहतें दीं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए और बायोमेट्रिक प्रणाली से उपस्थिति दर्ज कराई जानी चाहिए। परीक्षा और परिणाम समय पर कराने, मूल्यांकन में जल्दबाजी न करने और अंक पत्रों में गड़बड़ी रोकने की सलाह दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब गड़बड़ी होती है तो इसका अर्थ है कि जांच-पड़ताल में लापरवाही हुई।
परफेक्शन के लिए सार्थक प्रयास करें
उन्होंने विश्वविद्यालयों से परीक्षा से लेकर परिणाम तक परफेक्शन के लिए सार्थक प्रयास करने को कहा। उन्होंने अभिभावकों को भी याद दिलाया कि केवल विश्वविद्यालय या शिक्षक ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को कॉलेज भेजने और पढ़ाई पर ध्यान देने की जिम्मेदारी उठानी होगी। अंत में छात्रों से कहा कि दीक्षा समारोह में मिली उपाधि केवल सम्मान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक है। शिक्षा का असली अर्थ तभी है जब वह किताबों के साथ अनुभव और समाज से जुड़कर जीवन को दिशा दे।
राजभवन का माडल समझ विश्वविद्यालय करें बच्चों का कौशल विकास
अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने राजभवन की पहल को भी विश्वविद्यालयों के लिए माडल के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राजभवन में 700 लोग कार्यरत थे, जिन्हें समाजहित में कार्यों से जोड़ा गया। झोपड़ पट्टियों में जाकर पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की पहचान की गई और उन्हें राजभवन के स्कूल में दाखिला दिलाया गया। आज वहां 80 से अधिक बच्चे शिक्षा पा रहे हैं।उन्होंने श्रमशक्ति का उपयोग कर उन्हें साइकिल से भेजना, पौधारोपण कराना, कस्तूरबा विद्यालयों में स्वच्छता अभियान चलवाना, भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाना जैसे कार्य कराए। बच्चों को बांसुरी और स्केटिंग जैसी कला सिखाई गई और स्केटिंग रिंग बनवाकर प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। उन्होंने कहा कि यह रचनात्मकता उनके व्यक्तित्व विकास की धुरी बनी है।
24 विषयों में पीएचडी कार्यक्रम शुरू : कुलपति
समारोह में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 24 विषयों में पीएचडी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं और प्रथम प्रयास में ही विश्वविद्यालय को नैक ए ग्रेड प्राप्त हुआ है। मुख्य अतिथि संजय श्रीनेत ने विद्यार्थियों को सापेक्षिक मूल्यांकन के सार्थक परिणाम से अवगत कराया।साथ ही विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण, नैतिकता, राष्ट्रवाद समाज सेवा आदि को प्रेरित करने के लिए आध्यात्मिक, सामाजिक, स्वतंत्रता सेनानी एवं अन्य महानुभावों के अनुभवों को उदाहरणों से स्पष्ट किया।कहा कि आज आप अपने सर्वोत्तम उपलब्धि से सुशोभित हैं, इसलिए इन मान्यता मूल्यों को जीवन में सरोकार करके समाज, देश का मार्गदर्शन कीजिए।
मंत्री योगेंद्र उपाध्याय व रजनी तिवारी ने भी रखे विचार
कैबिनेट मंत्री उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार योगेंद्र उपाध्याय ने युवाओं से कहा योग्यता का प्रयोग देश समाज राष्ट्र के निर्माण में करेंगे। राज्य मंत्री उच्च शिक्षा रजनी तिवारी ने कहा कि 2047 तक भारत विकसित होगा और उसकी बाग डोर युवाओं के पास होगी। कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
55 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक
समारोह में कुल 187 मेधावियों को पदक प्रदान किए गए, जिनमें 55 को स्वर्ण, 65 को रजत और 67 को कांस्य पदक मिला। कुल मिलाकर 92,109 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में योग और रोइंग में कांस्य पदक विजेता कुनाल और रूपल यादव को सम्मानित किया गया। गोद लिए गए गांवों में आयोजित प्रतियोगिताओं के तीन विजयी छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया। साथ ही पांच शिक्षकों का विशेष सम्मान हुआ।
इन्हें भी मिला सम्मान
कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के प्रो. विवेक कुमार सिंह, डा. श्वेता कुमारी, डा. कविता गौतम, डा. मनोज वर्मा तथा डा. प्रियंका सक्सेना को उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान प्रदान किया। विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए प्राथमिक विद्यालय से आए नौनिहालों ने पर्यावरण जागरूकता का प्रदर्शन किया। कुलपति ने प्राथमिक विद्यालय के नौनिहालों को फल एवं चाकलेट वितरित करके उनके मनोबल को सशक्त किया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।