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    Railway Board का महत्वपूर्ण निर्णय, NCR समेत सभी जोनल रेलवे से छिना सर्वे मंजूरी का अधिकार, छोटे कार्य को बोर्ड की मुहर जरूरी

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 07:43 PM (IST)

    रेलवे बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए जोनल रेलवे से सर्वे मंजूरी का अधिकार छीन लिया है। अब नई रेल लाइनों और पुलों के सर्वे के लिए जोनल रेलवे को बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी जिससे छोटे कार्यों में देरी हो सकती है। यह फैसला जोनल रेलवे की स्वायत्तता पर अंकुश है लेकिन बोर्ड का कहना है कि इससे परियोजनाओं में पारदर्शिता आएगी।

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    रेलवे बोर्ड द्वारा केंद्रीकृत सर्वेक्षण अनुमोदन से क्षेत्रीय रेलवे की स्वायत्तता प्रभावित

    अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। नई रेल लाइनों, पुल और विभिन्न रेल परियोजनाओं के सर्वे को अब जोनल मुख्यालय नहीं, बल्कि रेलवे बोर्ड मंजूरी देगा। यानी ऐसा कोई कार्य, जिसमें सर्वे आदि की आवश्यकता होगी, उसके लिए अब जोनल रेलवे को बोर्ड की मुहर की आवश्यकता होगी, स्थानीय स्तर से केवल प्रस्ताव भेजा जा सकेगा।

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    इससे छोटे कार्यों में देरी होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि जोनल रेलवे को अब हर मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड का इंतजार करना होगा। यह एक तरह से जोनल रेलवे की स्वायत्तता और शक्ति पर अंकुश है, जिसे बोर्ड ने परियोजनाओं को और अधिक पारदर्शी व समयबद्ध बनाने, कार्यप्रणाली को और चुस्त-दुरुस्त करने के लिए लागू किया है।

    इसके लिए बोर्ड के संयुक्त निदेशक /वर्क्स(जी) विवेक माथुर ने एनसीआर के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह समेत सभी जोनल रेलवे को पत्र जारी कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि बोर्ड ने जोनल रेलवे से फिजिबिलिटी स्टडी (पीईटी/आरईटी सर्वे) और फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) को मंजूरी देने का अधिकार वापस ले लिया है। अब यह जिम्मेदारी पूरी तरह रेलवे बोर्ड के पास होगी।

    बोर्ड ने 28 अक्टूबर 2022 और 26 मई 2023 को पत्र जारी कर जोनल रेलवे को नई रेल लाइनों और परियोजनाओं के लिए फिजिबिलिटी स्टडी और एफएलएस को मंजूरी देने का अधिकार दिया था। फिजिबिलिटी स्टडी में यह जांच की जाती है कि कोई रेल परियोजना बनाना तकनीकी और आर्थिक रूप से संभव है या नहीं। वहीं, एफएलएस में रेल लाइन के लिए सटीक रूट, जमीन और अन्य तकनीकी विवरण तय किए जाते हैं।

    विवेक माथुर ने बताया कि जोनल रेलवे सर्वे की मंजूरी के बाद समय पर सूचना नहीं दे रहे थे, जिससे संसद के सवालों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआइपी) के अनुरोधों का जवाब देने में देरी हो रही थी। इसके अलावा, अतिरिक्त फंड की मांग से प्रोजेक्ट्स की लागत और समयसीमा प्रभावित हो रही थी। इन समस्याओं को दूर करने के लिए रेलवे बोर्ड ने सभी सर्वे की मंजूरी का अधिकार अपने पास ले लिया।

    एक से अधिक जोनल रेलवे से जुड़े प्रोजेक्ट्स पहले ही रेलवे बोर्ड के पास थे। अब सभी सर्वे की मंजूरी एक जगह से होने से समन्वय में सुधार होगा। एनसीआर के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि बोर्ड के सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है।