Updated: Sun, 01 Jun 2025 10:23 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मऊ जिले के याकूबपुर में चकमार्ग पर अतिक्रमण के मामले में जिलाधिकारी से हलफनामा मांगा है। दो कमीशन के बाद भी सीमांकन स्पष्ट न होने पर कोर्ट ने यह निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि दोबारा नाप पहली नाप से अलग है। कोर्ट ने दो अलग-अलग रिपोर्ट देखते हुए डीएम से 14 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मऊ जिले के याकूबपुर (मुहम्दाबाद गोहना) के चकमार्ग पर हुए अतिक्रमण के मामले में दो कमीशन के बाद भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोर्ट ने कहा कि अभी तक चकमार्ग खाता संख्या 743 व चकमार्ग संख्या 665 का खतौनी के रकबा का सीमांकन स्पष्ट नहीं हो पाया है।
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जबकि इसके लिए दो बार कमीशन भेजकर चिह्नांकन की कोशिश की गई। दोनों बार की रिपोर्ट अलग-अलग है। इसलिए जिलाधिकारी हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करें। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सेवानिवृत्त फौजी महेश सिंह की जनहित याचिका पर अधिवक्ता चंद्रकांत त्रिपाठी को सुनकर दिया है।
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण मामले में दोबारा नाप कराई गई, जो पहले बार कराई गई नाप से अलग है। कोर्ट ने दो अलग-अलग सीमांकन रिपोर्ट को देखते हुए डीएम से रिपोर्ट तलब किया। 14 जुलाई को सुनवाई तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले के अनुसार पहला न्यायिक कमीशन सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण मऊ, बाकर शमीम रिजवी के नेतृत्व में गाव याकूब पुर गया था। कमीशन की रिपोर्ट स्पष्ट न आने पर दूसरा न्यायिक कमीशन विशेष जज पाक्सो को भेजा गया था। दूसरे कमीशन की रिपोर्ट अलग आई। प्लाट का चिन्हांकन नहीं किया जा सका।
गांव का नक्शा की दोषपूर्ण है जिसके कारण संबंधित प्लाटो का चिह्नांकन नहीं हो सका है। कोर्ट ने जिला कलेक्टर से चक अतिक्रमण भूमि की रिपोर्ट हलफनामे में तलब की है।
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