Prayagraj News: करछना में कटान से बस्ती बचाने के लिए बनाया जा रहा बांध, अधिकांश हिस्से पर भूस्खलन का खतरा
प्रयागराज के टोंस नदी किनारे बसे गांवों में कटान से खतरा बढ़ रहा है। सुलमई हथसरा जैसे गांवों में जमीन नदी में समा रही है जिससे मछुआरा समाज प्रभावित है। पनासा में कटान रोकने के लिए बांध बन रहा है पर ग्रामीणों को और बांध की ज़रूरत है ताकि गांव को बचाया जा सके।

संवाद सूत्र, करछना। टोंस नदी के किनारे बसे गांव हर वर्ष बाढ़ के खतरे से जूझते हैं। तेज बहाव और कतर के कारण अधिकांश जमीन टोंस नदी में समा रही है। तहसील क्षेत्र के सुलमई, अरई, बघेड़ा, लोहंदी, भगनपुर,हथसरा, झीरी लच्छीपुर, महेवा,कटका,मेंडरा,देहली भगेसर व पनासा गांव नदी के किनारे बसे हुए हैं। इन गांवों मैं कई बस्तियां किनारे पर होने के कारण बाढ़ से अधिक प्रभावित होती हैं। पानी के तेज बहाव से बस्ती की जमीन कटान व भूस्खलन से नदी में समा रही है।
बीते 20 वर्षों में 20 मीटर से अधिक जमीन का अस्तित्व नदी में समा गया। क्षेत्रीय लोगों ने कई बार कटान से बचाव के लिए अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक अपनी समस्या को लेकर गुहार लगाई। कटान के कारण धीरे-धीरे लोग दूसरी जगह पलायन कर चुके हैं। सबसे अधिक प्रभावित मछुआरा समाज हो रहा है।
हथसरा,पनासा,कटका गांव में कटान के कारण मछुआरों की बस्ती का अस्तित्व मिट रहा है। कहीं और जमीन न होने के कारण मजबूरी में खतरे में रहकर जीवन यापन को मजबूर हैं।मेंडरा गांव में कटहल से बचाव के लिए तीन वर्ष से बांध बनाया जा रहा है। पनासा गांव में भूस्खलन व कटान से बस्ती को बचाने के लिए लगभग 400 मी बांध का निर्माण बाढ़ कार्य प्रखंड से कराया जा रहा है। जिसकी लागत तीन करोड रुपए है। जबकि बस्ती को बचाने के लिए अभी और बांध बनाने की जरूरत है।
ग्रामीणों का कहना है कि आगे तक बांध का निर्माण कराया जाएगा तो गांव कटान से बच सकता है। नहीं तो बीते कुछ सालों में नदी किनारे की बस्ती का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
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