संगम नगरी में 50 वर्षों बाद धड़का छात्र जीवन, भावनाओं में भीगा MLN Medical College के पुरनियों का मन, परिवार संग की मस्ती
प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में मिलन-2025 कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 50 साल बाद पुराने छात्र मिले। स्वर्ण और रजत जयंती बैच के छात ...और पढ़ें

प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में आयोजित पुरा छात्र सम्मेलन में ऊंट पर सवार होकर प्रवेश करते चिकित्सक। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज (MLN Medical College) के पुरा छात्र सम्मेलन 'मिलन-2025' उमड़ती भावनाओं ने जीवंत स्वरूप लिया। गोल्डन जुबली बैच और सिल्वर जुबिली बैच के पुरा छात्र वर्षों बाद एक-दूसरे से आमने-सामने हुए तो समय मानो थम सा गया। कोई मुस्कराया, कोई भर्राए स्वर में बोला और कोई बिना कुछ कहे ही गले लगकर सब कह गया। एक तरफ मंच पर पुरानी कहानी तो दूसरी तरफ बैंडबाजा के साथ बारात के रूप में परंपरागत शोभायात्रा निकाली।
100 से अधिक पुरा छात्र परिवार के साथ शामिल हुए
सम्मेलन में एमबीबीएस सिल्वर व गोल्डन जुबिली बैच के 100 से अधिक पुरा छात्र अपने परिवार के साथ शामिल हुए। छात्रावास में कदम रखते ही स्मृतियों का सैलाब उमड़ पड़ा। वही कमरे, वही बरामदे, वही सीढ़ियां और वही छत जहां कभी देर रात तक पढ़ाई, हंसी-ठिठोली और सपनों की बातें हुआ करती थीं। क्लासरूम में बैठते ही मानो फिर वही लेक्चर, वही बोर्ड और वही युवावस्था की बेचैनी लौट आई।

मेस में पुराने स्वाद को ताजा किया
मेस में जाकर पुरानी थालियों और स्वादों को याद किया गया। फिर मंच पर पुरनियों का सम्मान हुआ और किस्सागोई का दौर चला। किसी ने पहली परीक्षा की घबराहट सुनाई, तो किसी ने रातों की पढ़ाई और शरारतों का जिक्र किया।
डॉक्टरों को किया गया सम्मानित
मुख्य अतिथि डाॅ. एसएल तिवारी तथा विशिष्ट अतिथि डाॅ. वीके अग्रवाल ने प्रो. रागिनी मेहरोत्रा और प्रो. एलएस मिश्रा को उनके अतुलनीय योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। एल्यूमिनाई वेलफेयर एसोसिएशन में बहुमूल्य योगदान के लिए डाॅ. भूपेश द्विवेदी और डाॅ. राजकुमार को सम्मानित किया गया। गोल्डन जुबिली बैच के सचिव डाॅ. एके कुलश्रेष्ठ, सिल्वर जुबिली के सचिव डाॅ. शिरीश मिश्रा, एल्यूमिनाई वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. ज्योति भूषण, उपाध्यक्ष डाॅ. शरद जैन, डाॅ. जीएस सिन्हा, डाॅ. सुशील कुमार आदि उपस्थित रहे।
पगड़ी बांध बग्घी पर निकली 'विंटेज' यादों की शोभायात्रा
सिर पर गुलाबी पगड़ी, कदमों की लय के साथ आगे बढ़ता ऊंट, उसकी पीठ पर सवार गौरव से दमकते पुरा छात्र और पीछे घोड़े, सफेद विंटेज कार तथा बग्घी पर सवार स्मृतियों का कारवां। कुछ क्षणों में यह दृश्य किसी राजसी उत्सव में बदल गया जहां हर मुस्कान, हर ठहाका और हर कदम अतीत की ओर लौटने का उत्सव बन गया। अवसर था मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के पुरा छात्र सम्मेलन 'मिलन-2025' का जिसमें गोल्डन जुबली और सिल्वर जुबली बैच के पुरा छात्रों ने भव्य शोभा यात्रा निकालकर अपने स्वर्णिम दिनों को जीवंत कर दिया।
घोड़ों की टाप और विंटेज कार की रफ्तार
शोभायात्रा की अगवानी करता ऊंट जैसे ही आगे बढ़ा, उसके पीछे घोड़ों की टापों की गूंज और विंटेज कार की शालीन रफ्तार ने माहौल को उत्सवधर्मी बना दिया। ढाेल-नगाड़ों की आवाज ने गंभीर दिखने वाले चिकित्सकों को मस्तमौला बना दिया। बग्घी पर बैठे पुरा छात्र हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करते दिखे। सड़क के दोनों ओर खड़े छात्र इस अनोखे दृश्य को कैमरों में कैद करते रहे। महिलाएं अलग-अलग टोलियां पारंपरिक धुनों पर थिरकती रहीं। कहीं विंटेज कार के साथ मुस्कान, तो कहीं बग्घी पर बैठे दोस्तों के साथ ठहाके।
तब सड़कों पर दिखतीं थीं इक्का-दुक्का कारें
गोल्डन जुबिली वर्ष 1975 बैच की डा. पूनम चंद्रा अबूधाबी से पुरा छात्र सम्मेलन में शामिल होने आईं। पचास साल बाद संस्थान की देहरी पर कदम रखते ही सामने पुराने बैचमैट दिखे और चेहरा अपने आप खिल उठा। दोस्ती की हंसी, क्लासरूम की गूंज और युवा दिनों के सपने सब कुछ जैसे हवा में तैरने लगा। आंखों में चमक और दिल में वही पुराना अपनापन मानो जीवन की घड़ी एक बार फिर पीछे घूम गई हो।
...लगा जैसे छात्र जीवन के सुनहरे दिन लौट आए
डाॅ. पूनम कहती हैं कि कालेज पहुंचते ही ऐसा लगा जैसे छात्र जीवन के वे सुनहरे दिन लौट आए हों। वह प्रयागराज याद आया, जहां सड़कों पर इक्का-दुक्का कारें नजर आती थीं और साइकिलों का राज हुआ करता था। सादगी, अपनापन और ठहराव सब कुछ अलग था। आज वही शहर बदला-बदला सा दिखता है। साइकिलों की जगह कार और बाइक ने ले ली है, रफ्तार बढ़ गई है, शोर बढ़ गया है।
रैगिंग के डर ने दो महीने छात्रावास से रहा दूर
उत्तर प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य राज्य मंत्री और 1975 बैच के पुरा छात्र रामबाबू हरित ने पुरा छात्र सम्मेलन में कालेज के दिनों की किस्सागोई की। उन्होंने बताया कि आगरा से पढ़ाई के लिए प्रयागराज आए पर रैगिंग का दौर खत्म होने तक पूरे दो महीने बाहर ही रहे। हरित ने उस दौर के प्रयागराज की तस्वीर खींचते हुए कहा कि शाम ढलते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था। आज की तरह चौबीसों घंटे की रौनक तब कहां थी। उन्होंने बताया कि यूं तो वे कई बार प्रयागराज आए, मेडिकल कालेज का निरीक्षण भी किया पर पुरा छात्र सम्मेलन में पहली बार शामिल होने का सुख कुछ अलग ही था। पत्नी और बेटी के साथ आए हरित ने मेस के खाने की यादें साझा कर कहा कि कभी-कभी मेस का खाना इतना उबाऊ हो जाता था कि बाहर जाकर पेट पूजा करनी पड़ती। एक बार बाहर ढाबे पर 23 रोटियां खा गया।
पुराने साथियों से मिलकर भर आईं आंखें
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद डा. मयंक श्रीवास्तव ने यहीं से एमएस किया और रेजीडेंट बन गए। नेत्ररोग विभाग में सेवा की लंबी अवधि पूरी कर 2021 में सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने कहा कि बैचमेट के साथ एक लंबे अर्से की मुलाकात यादगार रही। जिनके साथ चार साल बिताए थे, वह एक झटके में चले गए। आज इनमें से कई से तो 45 साल बाद मुलाकात हो रही है।

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