Prayagraj Durga Puja : GTB नगर दुर्गापूजा पंडाल जरूर देखिएगा, बंगाल के ग्रामीण परिवेश की झलक आपको लुभाएगी
Prayagraj Durga Puja प्रयागराज के जीटीबी नगर में दुर्गा पूजा पंडाल बंगाल की समृद्ध संस्कृति को दर्शाएगा। पंडाल में ग्रामीण परिवेश वाद्य यंत्र और सामाजिक जीवन की झलक मिलेगी जिससे दर्शकों को बंगाल की सैर का अनुभव होगा। प्रवेश द्वार पर बंगाल की लोक शैली को दर्शाया जाएगा जिसमें झोपड़ियों का अहम स्थान होगा। बांस झाल और रंगों से सजी झोपड़ियां बनाई जा रही हैं।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Prayagraj Durga Puja प्रयागराज में हर त्योहार का अपना अलग महत्व है। बात जब नवरात्र की हो तो धार्मिक नगरी यानी संगम नगरी की बात ही निराली होती है। सभी लोग परंपरा और आस्था से मनाने में पीछे नहीं हटते। हर ओर आस्था की गंगा बहती है।
शारदीय नवरात्र में पूरा शहर ध्वजा और पताकाओं से सज जाता है। वेद-पुराणों में वर्णित यहां के प्राचीन देवी मंदिर हों या फिर सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी और मां खेमामाई आदि का महत्व ही निराला है। सुबह से देर रात तक यहां भक्त लाइन में लगकर दर्शन करते हैं।
पूजा पंडालों में स्थापित की जाती है मां दुर्गा की प्रतिमाएं
अब प्रयागराज के दुर्गा पूजा की बात करते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक सैकड़ों की संख्या में दुर्गा पूजा पंडालों को बनाकर इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। पूरे नवरात्र पूजन-अर्चन और मां की एक झलक पाने को पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
जीटीबी नगर का दुर्गा पूजा पंडाल आकर्षक होगा
नवरात्र के उत्सव में रंगने को तैयार दुर्गा पूजा पंडालों में थीम और कलात्मक झांकियों का मनमोहक प्रदर्शन इस बार भी होने वाला है। शहर के जीटीबी नगर की दुर्गा पूजा कमेटी सबसे अलग नजर आएगी। यहां बंगाल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की झलकियां दिखाने के लिए उसी तरह से पंडाल साज सज्जा कराया जा रहा है।
पूजा पंडाल कराएगा बंगाल की सैर
यहां के पंडाल में कदम-कदम पर ग्रामीण परिवेश, वाद्य यंत्र, सामाजिक जीवन का जीवंत अनुभव होगा। आप यहां दुर्गा पूजा देखने जाएंगे तो एक बारगी लगेगा कि बंगाल की सैर पर निकल आए हैं। कमेटी ने पंडाल के अलावा प्रवेश द्वार से ही बंगाल की लोक शैली को दिखाने की तैयारी की है।
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स्थापना का 41वां वर्ष मना रही दुर्गा पूजा कमेटी
जीटीबी नगर करेली में दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से आयोजन का इस बार 41वां वर्ष है। इसे खास तरह से मनाने के लिए थीम बंगाल की कला संस्कृति रखी गई है। काली मां की नगरी बंगाल में रहन सहन से लेकर ग्रामीण शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग की लोककला प्रसिद्ध है।
हुगली नदी, हावड़ा ब्रिज भी आएगा नजर
हुगली नदी, हावड़ा ब्रिज, वाद्य यंत्र ढाक, तानपुरा आदि की झलक पूजा पंडाल में दिखेगी। साथ ही बंगाल के सुप्रसिद्ध कलाकार जामिनी राय ने कालीघाट चित्रकला से प्रभावित होकर स्वदेशी भारतीय सौंदर्य शास्त्र विकसित किया था। इसमें मोटी रेखाओं, रंगों और सरल आकृतियों का प्रयाेग होता था। पूजा पंडाल के निर्माण और सजावट में इस लोक कला को भी आधार बनाया गया है।
प्रवेश के रास्ते दिखेंगी झोपड़ियां
बंगाल के ग्रामीण परिवेश में झाेपड़ियां अब भी अपना अहम स्थान रखती हैं। पूजा पंडाल में प्रवेश वाले रास्ते पर झाेपड़ियां बनाई जा ही हैं। बांस, झाल, कपड़े और रंग आदि का इसमें इस्तेमाल किया जा रहा है। जीटीबी नगर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप कुमार दत्ता ने बताया कि 27 सितंबर से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन शुरू होंगे। पहले दिन आनंदी मेला लगेगा। ढाक पार्टी कोलकाता से बुलाई जाएगी। इसका प्रदर्शन पंडाल की थीम को प्रासंगिक करेगा।
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