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    लद्दाख के Mount Kun में बर्फीले तूफान में फंसे प्रयागराज के अनंत सिंह, 6,349 मीटर ऊंचाई से लौटे, रोमांच भरी रही यात्रा

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 07:08 PM (IST)

    प्रयागराज में झूंसी के रहने वाले 23 वर्षीय अनंत सिंह ने लद्दाख में 6349 मीटर की ऊंचाई तय की। इसके बाद खराब मौसम की वजह से इसके आगे नहीं बढ़ सके। उनकी टीम वहां से लौट रही है। अनंत की अगुवाई में माउंट कुन पर चढ़ाई के लिए निकली अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही टीम 6349 मीटर तक पहुंची। उनकी अगली मंजिल माउंट एवरेस्ट है।

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    प्रयागराज के अनंत सिंह और उनकी टीम लद्दाख के माउंट कुन अभियान:पर।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रयागराज में झूंसी के 23 वर्षीय अनंत सिंह ने एक बार फिर रोमांचक यात्रा में 6,349 मीटर की ऊंचाई लद्दाख में तय कर ली है। खराब मौसम के कारण अब वह नीचे उतर रहे हैं। नीचे आने के बाद वह घर वापस आएंगे।

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    अनंत की अगुवाई में माउंट कुन (7,077 मीटर) पर चढ़ाई के लिए निकली अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही टीम ने दो से 24 जुलाई तक चले रोमांचक अभियान में 6349 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ाई की थी। हालांकि बिगड़ते मौसम, हिमस्खलन की आशंका और खतरनाक राक फाल के कारण अभियान रोकना पड़ा। 25 जुलाई से वह नीचे उतर रहे हैं।

    अनंत का यह अभियान साहस, जिम्मेदारी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अनूठा उदाहरण बन गया। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रशिक्षक और भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन के पूर्व लायजन आफिसर अनंत ने अब तक 12 सफल पर्वतारोहण अभियान किया है। उनकी अगली मंजिल है माउंट एवरेस्ट, जहां वे तिरंगा लहराने का सपना देखते हैं।

    माउंट कुन : हिमालय की चुनौतीपूर्ण चोटी

    माउंट कुन, हिमालय की नुन-कुन पर्वत श्रृंखला में स्थित 7,077 मीटर की ऊंचाई के साथ भारत के सबसे ऊंचे और चुनौतीपूर्ण पर्वतों में से एक है। लद्दाख के सुरु घाटी में स्थित यह पर्वत अपनी खड़ी चढ़ाई, बर्फीले गलियारों और अप्रत्याशित मौसम के लिए जाना जाता है। माउंट कुन की चढ़ाई तकनीकी रूप से जटिल होती है, क्योंकि इसमें हिमनदों, बर्फीली ढलानों और रॉकफॉल जोन से होकर गुजरना पड़ता है।

    अनंत की टीम में फ्रांस, नीदरलैंड के भी लोग 

    अनंत और उनकी अंतरराष्ट्रीय टीम, जिसमें नीदरलैंड के 47 वर्षीय सोमेश शर्मा, फ्रांस के 43 वर्षीय सेड्रिक मुरे, और दार्जिलिंग-उत्तरकाशी के शेरपा कर्मा शेरपा, लेंडुप भूटिया, पासांग शेरपा शामिल थे, ने 2 जुलाई से 24 जुलाई तक इस रोमांचक अभियान को अंजाम दिया। 25 जुलाई से वह नीचे उतरने लगे हैं।

    पर्वतारोहण : साहस और तकनीकी कौशल का संगम

    पर्वतारोहण केवल शारीरिक शक्ति का खेल नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, तकनीकी कौशल और प्रकृति के साथ तालमेल का एक जटिल मिश्रण है। माउंट कुन जैसे ऊंचे पर्वतों पर चढ़ाई के लिए पर्वतारोही महीनों पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं।

    अनंत ने दिए पर्वतारोहण का टिप्स 

    अनंत सिंह नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षित हैं। वे बताते हैं कि चढ़ाई से पहले फिटनेस, हाई-एल्टीट्यूड ट्रेनिंग, राक क्लाइंबिंग और बर्फ पर चलने की तकनीक सीखना जरूरी होता है। इसके अलावा आक्सीजन की कमी, ठंड और अप्रत्याशित मौसम से निपटने के लिए विशेष उपकरण जैसे क्रैम्पंस, आइस एक्स, रोप्स और ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया जाता है।

    पर्वतारोहण में कैंप स्थापित करना महत्वपूर्ण प्रक्रिया

    पर्वतारोहण में कैंप स्थापित करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अनंत की टीम ने माउंट कुन पर बेस कैंप (लगभग 4500 मीटर) से शुरूआत की, जहां से वे कैंप 1 (5,500 मीटर) और कैंप 2 (6,000 मीटर) तक पहुंचे। प्रत्येक कैंप पर तंबू लगाना, भोजन तैयार करना और बर्फ को पिघलाकर पानी बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

    राक फाल जोन में हर कदम पर खतरा था

    अनंत बताते हैं, कैंप 1 और 2 के बीच हमें पत्थरों की भयावह बारिश का सामना करना पड़ा। राक फाल जोन में हर कदम पर खतरा था। पर्वतारोही रस्सियों और हार्नेस की मदद से खड़ी चढ़ाई को पार करते हैं, लेकिन बर्फीली ढलानों पर फिसलन और हिमस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है।

    तूफान और हिमस्खलन : प्रकृति की चुनौतियां

    माउंट कुन पर इस बार जलवायु परिवर्तन ने अभियान को और कठिन बना दिया। अनंत ने बताया कि जुलाई में लद्दाख का शुष्क मौसम इस बार भारी बारिश में बदल गया। हमें कैंप 2 पर अचानक हिमस्खलन का अलर्ट मिला। बर्फ और पत्थरों की बारिश ने हमें सतर्क रहने को मजबूर किया। तूफान और हिमस्खलन से बचने के लिए पर्वतारोही मौसम के पूर्वानुमान पर निर्भर रहते हैं, लेकिन हिमालय में मौसम की अनिश्चितता सबसे बड़ी चुनौती है।

    इसलिए रोकना पड़ा अभियान 

    अनंत की टीम ने 6,349 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद अभियान रोकने का फैसला किया, क्योंकि आगे बढ़ना अन्य साथियों के लिए खतरनाक हो सकता था। अनंत कहते हैं, साहस महत्वपूर्ण है, लेकिन जिम्मेदारी उससे भी बड़ी है। अनंत का यह फैसला दर्शाता है कि अनुभवी पर्वतारोही न केवल अपनी सुरक्षा, बल्कि पूरी टीम की जिम्मेदारी को प्राथमिकता देते हैं।

    साहस का प्रतीक

    23 साल की उम्र में अनंत ने 12 पर्वतारोहण अभियानों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त अनंत ने हिमालय की विभिन्न चोटियों पर अपनी कुशलता साबित की है। उनके साथी, शेरपा कर्मा और पासांग, उनकी नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते हैं। अनंत का कहना है, हर चढ़ाई एक नई सीख देती है। माउंट कुन ने मुझे धैर्य और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया। उनकी अगली योजना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की है, जो 8,848.86 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है।