महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन कैसे मची थी भगदड़? कोर्ट में 110 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर संगम तट पर भगदड़ मच गई थी। मजिस्ट्रेट ने 110 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए हैं, जिसमें उन्होंने भीड़ के बेकाबू होने की बात कही। इस घटना में 37 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी, जिनमें से 36 को मुआवजा मिला है। जांच के लिए गठित आयोग ने बयान दर्ज करने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। महाकुंभ में मुख्य अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या की रात में संगम के पास श्रद्धालुओं की भीड़ के बेकाबू होने के कारण भगदड़ मची थी। इस मामले में अब तक 110 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान मजिस्ट्रेट ने दर्ज किए हैं।
बयान दर्ज के दौरान मजिस्ट्रेट के साथ ही मेला के एएसपी भी मौजूद रहे। बयान में चश्मदीदों ने ही यह बताया कि अमृत स्नान के लिए लाखों की भीड़ संगम तट पर शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा में थी, तभी पीछे से बेकाबू भीड़ आई और बैठे लोगों को रौंदने लगी, जिससे भगदड़ मची थी।
इसी वर्ष 28-29 जनवरी की रात इस भगदड़ में 37 श्रद्धालुओं की मौत को शासन ने माना था। अब तक कुल 36 लोगों को मुआवजा मिल चुका है जबकि एक व्यक्ति की अभी भी पहचान नहीं हो सकी है। भगदड़ की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।
आयोग में सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी डीके सिंह और सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी वीके गुप्ता भी शामिल हैं। जांच के लिए आयोग तीन बार यहां आ चुका है। इस मामले में जांच का दायरा बढ़ाते हुए मजिस्ट्रेट से प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कराए जा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों में मृतकों व घायलों के परिवारीजन अथवा उनके साथ आए लोग ही हैं जिनके बयान दर्ज कराए गए हैं।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण मुख्यालय में इस हफ्ते भी कई प्रत्यक्षदर्शियों के बयान उप मेलाधिकारी विवेक शुक्ला तथा पुलिस के राजपत्रित अधिकारी ने दर्ज किया है। चश्मदीदों के बयान की रिपोर्ट शीघ्र ही शासन को भेजी जाएगी।
उप मेलाधिकारी ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया अब लगभग खत्म हो चुकी है। शीघ्र की इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे की कार्यवाही होगी।

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