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    Mahakumbh 2025: अद्भुत जीवनशैली से आकर्षित कर रहे बाबा... कोई लिख रहा वैदिक संविधान तो कोई पिला रहा आयुर्वेदिक चाय

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 10:56 AM (IST)

    Mahakumbh 2025 Baba महाकुंभ में इन दिनों समग्र भारत की झलक देखने को मिल रही है। बाबाओं के अद्भुत संसार के नजारे लोगों को मोहित कर रहे हैं। वहीं अपनी आध्यात्मिक शक्तियों के साथ बाबा भी भक्तों के कल्याण के लिए आशीर्वाद दे रहे हैं। यूपी में मध्यप्रदेश राजस्थान के बाबामहाकुंभ में पहुंचकर श्रद्धालुओं पर अपना आशीर्वाद आयुर्वेदिक चाय देकर बरसा रहे हैं।

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    Mahakumbh 2025: महाकुंभ में आए आए बाबाओं की विलक्षण जीवनशैली ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

    मृत्युंजय मिश्र, महाकुंभ नगर : महाकुंभ केवल एक 
धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातनी परंपराओं 
का सबसे बड़ा संगम है। यहां केवल आस्थावान श्रद्धालु ही नहीं आते, बल्कि सन्यासियों, नागाओं और संतों की अनूठी दुनिया भी देखने को मिलती है। इस बार महाकुंभ में आए विभिन्न बाबाओं और उनकी विलक्षण जीवनशैली ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

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    नाक से बांसुरी बजाने वाले संत है बांसुरी बाबा

    पंजाब के पटियाला से आए ईश्वर बाबा इस बार महाकुंभ में अपनी अनूठी कला के कारण आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वे एक साथ दो-दो बांसुरी बजाते हैं और सबसे अनोखी बात यह है कि वे अपनी नाक से भी बांसुरी बजा सकते हैं। जूना अखाड़े से जुड़े इस संन्यासी की प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई है कि उनका नाम बांसुरी बाबा पड़ गया। फोटो खिंचवाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं।

    नाक से बांसुरी बजाने वाले संत है बाबा।

    56 वर्षाें से सनातन का प्रचार कर रहे

    राजस्थान के हल्दीघाटी से आए शबदजाल भट्टारक पिछले 56 वर्षों से सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। वह पूरे देश में भ्रमण कर लोगों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे वैदिक संविधान लिख रहे हैं और इसे प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को सौंपेंगे। स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज बताने वाले भट्टारक का मानना है कि दुनिया में उनके जैसे केवल 48 साधक ही शेष हैं, जो धर्म के प्रचार के लिए यात्रा कर रहे हैं।

    राजस्थान के बाबा।

    चाय के साथ आशीर्वाद देने वाले संन्यासी हैं मारुति बाबा

    मध्य प्रदेश के भिंड से आए ध्यानपुरी बाबाजी को लोग प्यार से "मारुति बाबा" कहते हैं। उनकी पहचान उनकी 40 साल पुरानी मारुति कार से है, जिससे उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनकी "आयुर्वेदिक चाय" है, जिसे वे श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। उनका दावा है कि यह चाय बीपी, शुगर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करती है।

    संन्यासिन रामेश्वरी ने शुरू की लड्डू गोपाल के साथ आध्यात्मिक यात्रा

    गुजरात के सूरत से आईं संन्यासिन रामेश्वरी इस बार महाकुंभ में अपनी विशेष भक्ति के कारण चर्चाओं में हैं। वे निरंजनी अखाड़े की साधिका हैं और अपने गुरु लक्ष्मी गिरी के साथ शिविर में रह रही हैं। रामेश्वरी अपने साथ लड्डू गोपाल की मूर्ति रखती हैं और हर समय उनकी सेवा में लगी रहती हैं। उनका कहना है कि वे वृंदावन से लड्डू गोपाल को लेकर आई थीं। वे वेद-शास्त्रों का गहन अध्ययन कर रही है। उनका सपना है कि भारत को "सनातन राष्ट्र" के रूप में स्थापित किया जाए। 

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