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    कोई स्कार्पियों तो कोई एक करोड़ के ट्रैक्टर से करता है भारत भ्रमण, महाकुंभ पहुंचे बाबाओं को देखने के ल‍िए लग रही भीड़

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 01:36 PM (IST)

    महाकुंभ में इन अजग-गजब बाबाओं की अनोखी साधनाएं श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा देने के साथ-साथ सनातन धर्म की विविधता को भी दर्शाती हैं। कोई मिठास बा ...और पढ़ें

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    ट्रैक्‍टर वाले बाबा और स्‍कॉर्प‍ियो वाले बाबा।

    जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। महाकुंभ (Mahakumbh 2025) जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम आस्थावानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, वहीं कई विशेष संत और बाबाओं की अनूठी साधनाएं भी श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रही हैं। महाकुंभ में इन अजग-गजब बाबाओं की अनोखी साधनाएं श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा देने के साथ-साथ सनातन धर्म की विविधता को भी दर्शाती हैं। कोई मिठास बांट रहा है, कोई योग साधना से आत्मशक्ति दिखा रहा है, तो कोई अनोखे तरीकों से धर्म का प्रचार कर रहा है। हर कुंभ में कुछ संत अपनी अलग पहचान और अनूठे कार्यों से प्रसिद्ध होते हैं। इस बार भी महाकुंभ में ऐसे कई बाबा अपनी विशेष साधना और धर्म प्रचार के तरीकों से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

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    रबड़ी बाबा में भक्ति और मिठास का संगम

    भगवती महाकाली के उपासक महंत देवगिरी जी महाराज, जिन्हें 'रबड़ी बाबा' के नाम से जाना जाता है, इस बार भी कुंभ में अपनी विशेष सेवा के लिए प्रसिद्ध हो रहे हैं। वह प्रतिदिन लगभग 130 लीटर दूध से रबड़ी बनाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। वह इसमें बेहद कम चीनी डालते हैं ताकि कोई भी बिना किसी स्वास्थ्य चिंता के खा सकता है। वह कहते हैं कि देवी की कृपा से ही उन्हें यह सेवा करने की प्रेरणा मिली। कुंभ में आने वाले श्रद्धालु उनके आश्रम में बैठकर यह प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

    15 मिनट तक मिट्टी में सिर दबाने वाले बाबा

    नागा संन्यासी योगिराज गौतम अपनी अद्भुत हठयोग साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। वह लगभग 15 मिनट तक अपना सिर मिट्टी में दबा सकते हैं। उनका मानना है कि यह साधना भगवान शिव को प्रसन्न करने और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए की जाती है। उनकी इस अलौकिक साधना को देखने के लिए कुंभ में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है और वह आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

    एक करोड़ के ट्रैक्टर पर चलते हैं ट्रैक्टर बाबा

    सनातन धर्म के प्रचार के लिए भारत भ्रमण पर निकले ट्रैक्टर बाबा अपने अनोखे वाहन के कारण चर्चा में हैं। उन्हें एक विशेष ट्रैक्टर उपहार में मिला था, जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये है। इस ट्रैक्टर में हवाई जहाज के टायर लगे हैं, और इसी वाहन से वे पूरे भारत का भ्रमण कर रहे हैं। उनका उद्देश्य लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक करना और धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। नाम पूछने पर वह स्वयं को ‘रमता जोगी’ कहते हैं।

    भारत में सनातन के प्रचारक हैं स्कार्पियो बाबा

    महाकुंभ में श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं स्कार्पियो बाबा कुशपुरी, जो अपने वाहन स्कार्पियो से पूरे भारत में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। वह द्वारका से आए हैं और उनकी आध्यात्मिक यात्रा का उद्देश्य लोगों को धर्म के मूल सिद्धांतों से जोड़ना है। महाकुंभ में वे न केवल अपने प्रवचनों से बल्कि अपने विशिष्ट यात्रा अंदाज से भी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। वह कहते हैं कि स्कार्पियों ही उनका घर और वाहन दोनों है।

    कांटे वाले बाबा: शरीर पर कांटों का चमत्कार

    'कांटे वाले बाबा' के नाम से प्रसिद्ध रमेश कुमार मांझी इस बार भी अपनी अनूठी साधना के कारण श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वे कई वर्षों से कांटों पर लेटने की साधना कर रहे हैं, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक प्रेरणा मिलती है। बाबा का कहना है कि गुरु की कृपा और साधना के बल पर वे यह कर सकते हैं और इससे उनके शरीर को कोई नुकसान नहीं होता। वे अपनी आधी दक्षिणा दान कर देते हैं और बाकी से अपने जीवनयापन की व्यवस्था करते हैं।

    दिगंबर महाकाल क्षिप्रा गिरी का बंदरों से अनोखा प्रेम

    आनंद अखाड़े से जुड़े दिगंबर श्री महाकाल क्षिप्रा गिरी जी महाराज अपने जीव-जंतुओं के प्रति विशेष प्रेम के कारण चर्चा में हैं। विशेष रूप से बंदरों के प्रति उनका प्रेम अनूठा है, जो उनके आश्रम के आसपास बड़ी संख्या में निवास करते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु क्षिप्रा गिरी जी महाराज के दर्शन करने आते हैं। इस दौरान, बंदर भी उनके आस-पास बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं।

    ऐसा माना जाता है कि यह बंदर वर्षों से महाराज जी के साथ रह रहे हैं और उन्होंने इन्हें कभी भी भगाया नहीं। बल्कि वे उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराते हैं और अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। वह बताते हैं गुरुपूर्णिमा को मिले एक बंदर से बच्चे से उनका विशेष अनुराग है। उसकी मां विद्युत आघात के कारण मर गई थी, इसके बाद से बच्चे को उन्होंने ही पाला। आश्रम में कुछ कुत्ते भी रहते हैं, जिनमें "खपच्चू" और "लक्ष्मी" नामक दो प्रमुख हैं। महाकाल क्षिप्रा गिरी जी महाराज का मानना है कि सभी जीवों में ईश्वर का अंश होता है। उनका यह आदर्श मां के उपदेशों से प्रेरित है, जिन्होंने उन्हें सिखाया कि "किसी भी जीव से डरना नहीं चाहिए, बल्कि प्रेमपूर्वक उनका पालन-पोषण करना चाहिए।"

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