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    इंग्लैंड के जैकब पहली बार पहुंचे महाकुंभ, सनातन धर्म अपनाकर बने जय किशन सरस्वती; बताई ये वजह

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 11:22 AM (IST)

    MahaKumbh 2025 इंग्लैंड में मैनचेस्टर के रहने वाले जैकब बताते हैं कि सनातन संस्कृति और उसकी आध्यात्मिक शक्ति से बहुत प्रभावित हैं। लगभग 10 वर्षों से भारत में ही रह रहे हैं। काशी हरिद्वार ऋषिकेष मथुरा वृंदावन उज्जैन समेत पुरी जैसी धार्मिक नगरी की यात्रा की है। महाकुंभ में पहली बार आए हैं। हिंदी संस्कृति के जानकार जैकब ने सनातन धर्म ग्रहण कर लिया है।

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    इंग्लैंड में मैनचेस्टर के रहने वाले जैकब बने जय किशन सरस्वती।

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। इंग्लैंड से 2013 में भारत आए जैकब को अब जय किशन सरस्वती कहिए महराज...। जैकब अब अंग्रेज नहीं सनातनी हैं। हिंदी, संस्कृति के जानकार जैकब ने सनातन धर्म ग्रहण कर लिया है। उन्हें जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर उमाकांतानंद ने दीक्षा दी है। इंग्लैंड में मैनचेस्टर के रहने वाले जैकब बताते हैं कि सनातन संस्कृति और उसकी आध्यात्मिक शक्ति से बहुत प्रभावित हैं। लगभग 10 वर्षों से भारत में ही रह रहे हैं। काशी, हरिद्वार, ऋषिकेष, मथुरा, वृंदावन, उज्जैन समेत पुरी जैसी धार्मिक नगरी की यात्रा की है। महाकुंभ में पहली बार आए हैं।

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    जय किशन सरस्वती ने बताया कि वे मैनचेस्टर से कला स्नातक हैं। निजी कंपनी में कार्य कर रहे थे। इसी दौरान भगवत गीता के अध्ययन से पूरा जीवन बदल गया। हिंदी और संस्कृत भाषा भी सीखी। अब स्वामी उमाकांतानंद के साथ पूरे देश में प्रवास और भ्रमण करते हैं।

    प्रयागराज के महाकुंभ को लेकर वह कहते हैं यह दिव्य है, भव्य है, ऐसा दुनिया में कुछ नहीं है। इस बार मकर संक्रांति पर जूना अखाड़ा के साथ संगम में अमृत स्नान करने वाले जय किशन सरस्वती मानते हैं कि महाकुंभ अध्यात्म का ऐसा केंद्र है, जहां आने के बाद फिर कुछ शेष नहीं रहता है।

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि बोले, महाकुंभ दे रहा दुनिया को एकता का संदेश

    महाकुंभ में 10 देशों के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने संगम क्षेत्र में स्थित विभिन्न अखाड़ों का दौरा किया। इस यात्रा में उन्होंने न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को समझा, बल्कि भारतीय संस्कृति के अद्भुत पहलुओं का भी अनुभव लिया। त्रिवेणी में डुबकी लगाने के बाद दल ने महाकुंभ क्षेत्र का भ्रमण किया। इससे उन्हें इस विशाल धार्मिक आयोजन की व्यापकता साक्षात देखने को मिली।

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने दुनिया के इस सबसे बड़े आयोजन के दिव्य और भव्य प्रबंध की जमकर प्रशंसा की। कहा कि महाकुंभ दुनिया को एकता का संदेश दे रहा है। भारतीय संस्कृति को देखने और समझने के लिए सभी देशों के लोगों को यहां महाकुंभ नगर अवश्य आना चाहिए। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की प्रतिनिधि सैली एल अजाब ने कहा कि वो मध्य पूर्व से भारत आई हैं। यह एक अद्भुत क्षण है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। यहां सब कुछ पूरी तरह से व्यवस्थित है।

    उन्होंने महाकुंभ की भव्यता की प्रशंसा करते हुए बताया कि यह आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को एकता का संदेश दे रहा है। उन्हें यहां करोड़ों श्रद्धालुओं और उनकी विधिवत सुरक्षा व्यवस्था को देखकर भारतीय संस्कृति की महानता का अनुभव हुआ। अंतरराष्ट्रीय दल ने महाकुंभ के दौरान विभिन्न अखाड़ों का भ्रमण किया। यहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की और महाकुंभ के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जाना। साधु-संतों ने महाकुंभ की प्राचीन परंपराओं, अखाड़ों की भूमिका और भारतीय संस्कृति की महिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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