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    Mahakumbh: मां गंगा के तट पर कल्पवास करने पहुंचे 128 साल के बाबा शिवानंद, राष्ट्रपति से मिल चुका है पद्मश्री

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 09:13 AM (IST)

    Mahakumbh 2025 महाकुंभ मेला 2025 में 128 वर्षीय काशी के पद्मश्री बाबा शिवानंद ने कल्पवास के लिए प्रयागराज में डेरा डाला है। बाबा शिवानंद नई पीढ़ी को आशीष देंगे और मां गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती से आशीष प्राप्त करेंगे। प्रकृति प्रेम और संवेदनाओं के जीवंत स्वरूप बाबा शिवानंद योग से निरोग की ओर बढ़ने का संदेश देंगे। शिवानंद को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।

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    मां गंगा के तट पर कल्पवास करने पहुंचे 128 साल के बाबा शिवानंद

    जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। संगम पर आस्था का मेला सज चुका है। कल्पवासी जुट चुके हैं। सोमवार को संकल्प लेकर महीने भर का जप तप शुरू कर देंगे। 128 वर्षीय काशी के पद्मश्री बाबा शिवानंद भी कल्पवास के लिए आ चुके हैं।

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    यूं तो वह नई पीढ़ी को आशीष देंगे, लेकिन स्वयं मां गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती से आशीष प्राप्त करेंगे संपूर्ण मानवता के हित के लिए। प्रकृति प्रेम और संवेदनाओं के जीवंत स्वरूप बाबा शिवानंद यहां से योग से निरोग की ओर बढ़ने का संदेश भी देंगे। योग उनकी दिनचर्या का नियमित हिस्सा है।

    बाबा शिवानंद का जन्म आठ अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना-बाहुबल) में गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ। वर्तमान में यह स्थान बांग्लादेश में है।

    आश्रम में रहकर कर रहे कल्पवास

    सेक्टर 16 स्थित आश्रम में रहकर कल्पवास करने वाला बाबा शिवानंद ने दैनिक जागरण को बताया कि वह छह वर्ष की आयु से संयमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। ब्रह्ममुहूर्त में चारपाई छोड़ देते हैं। स्नान-ध्यान के बाद नियमित घंटे भर योग करते हैं। सुबह पिसे हुए चिउड़ा के पाउडर नाश्ते के रूप में लेने वाले बाबा शिवानंद भरपेट भोजन नहीं करते। इसके पीछे वजह है। उनके पिता श्रीनाथ गोस्वामी और मां भगवती देवी ने चार साल की उम्र में बेहतर भविष्य के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया।

    फिर उन्होंने काशी में गुरु के सानिध्य में अध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू की। छह साल के हुए तो माता-पिता और बहन का भूख से निधन हो गया। बचपन में कभी भरपेट भोजन नसीब नहीं हुआ था। इसलिए जीवनभर आधा पेट भोजन का संकल्प लिया। दोपहर में बगैर तेल-मसाले की सब्जी के साथ चावल-रोटी और शाम को केवल एक रोटी खाते हैं।

    गजब की फिटनेस... रह जाएंगे दंग

    अविवाहित बाबा शिवानंद की फुर्ती ऐसी है कि दंग रह जाएं। शिविर में प्रवेश द्वार के ठीक बगल वाले कमरे से वह बिना किसी सहारे निकलते हैं। बिना चश्मा स्पष्ट रूप से देख लेते हैं। हर मौसम में केवल कुर्ता-धोती ही पहनते हैं। सुबह घंटे भर योग के बाद एक घंटे तक उसी कमरे में चहलकदमी करते हैं।

    वाराणसी के कबीरनगर (दुर्गाकुंड) में बाबा शिवानंद का ठिकाना तीसरे तल पर हैं। रोजाना सीढ़ियों से तीन से चार बार चढ़ते-उतरते हैं। योग करते 122 साल बीत चुके हैं। उनके शिविर में स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, गुवाहटी, असम, त्रिपुरा, पुरी और बेंगलुरु के अनुयायी ठहरे हैं।

    126 साल की उम्र में पद्मश्री

    21 मार्च 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बाबा शिवानंद को पद्मश्री से अलंकृत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में नाम पुकारे जाने के बाद अपने स्थान से खड़े हुए बाबा शिवानंद ने सम्मान लेने तक तीन बार नंदीवत योग मुद्रा में प्रणाम किया। पहले प्रधानमंत्री के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम ने भी झुककर अभिवादन किया। इसके बाद राष्ट्रपति के सामने पहुंचने पर उन्होंने इसी मुद्रा में प्रणाम किया और पास पहुंचने के बाद फिर झुके तो राष्ट्रपति ने आगे बढ़कर सहारा दिया।

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