Maha Kumbh: पूरे महाकुंभ में इतनी सस्ती चाय नहीं मिलेगी, कीमत देख सभी के रुक रहे कदम!
महाकुंभ में श्रद्धालुओं को मात्र 5 रुपये में घर जैसा स्वादिष्ट चाय परोस रही हैं कीर्ति टीचर। नागवासुकी मार्ग पर स्कूटी से चाय और वड़ा पाव बेचने का उनका अनोखा स्टार्टअप रातभर श्रद्धालुओं की सेवा में जुटा है। गंगा किनारे ठंडी हवा और चाय की गर्म चुस्की श्रद्धालुओं को आनंदित कर रही है। शिक्षिका कीर्ति ने इस पहल को अपनी बहनोई मनीष के साथ मिलकर शुरू किया।

अमरीश मनीष शुक्ल, महाकुंभ नगर। घर की चाय पीनी है ? मिल जाएगी। घर वाला स्वाद चाहिए चाय में ? बिल्कुल आएगा। चाय की कीमत ज्यादा तो नहीं होगी? नहीं, भाई बिल्कुल नहीं। पूरे महाकुंभ में इतनी सस्ती चाय नहीं मिलेगी।
यह कीर्ति टीचर की चाय है, जो दारागंज सरस्वती मूर्ति चौराहा से नागवासुकि मार्ग के बीच सड़क किनारे आपको अचानक ही मिलेगी। कीमत होगी मात्र पांच रुपया। कदाचित आपने एक बार चाय पी ली, तो दूसरे दिन खुद ही जगह ढूंढ निकालेंगे। चाय पीने का स्थान ऐसा कि दृश्य और वातावरण बस कल्पना में ही संभव है।
गंगा के बहाव से लगभग 20 फीट ऊपर पक्की ईंट की बेंच लगी हैं। ध्यान लगाएंगे तो कल-कल करती ध्वनि भी पहुंच जाएगी। दूर तक गंगा का किनारा। जहां तक दृष्टि जाती है श्वेत प्रकाश और चमकती तरंगे। शीतल हवाएं इस आनंद को कई गुना बढ़ा देती हैं और उसकी बीच गर्म चाय की चुस्की...ओह हो ! मानो अमृत का घूंट है।

महाकुंभ-2025 चाय केवल पांच रुपये में
रात के लगभग 12 बज रहे थे। हाथ में लाल रंग का एक बोर्ड लिए एक युवती आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी थी। दर्जनों की संख्या में लोग खड़े होकर चाय पी रहे। कुछ वड़ापाव खा रहे । बोर्ड में लिखा है महाकुंभ-2025 चाय केवल पांच रुपये में.....।
साथ में स्वादिष्ट बड़ा पाव भी उपलब्ध है। उस पार तंबुओं का शहर है और पीपा के पुल से जो भी नागवासुकि की ओर आ रहे है, स्कूटी की यह दुकान उन्हें रुकने पर विवश कर रही है। चाय पीने वालों की जिह्वा पर प्रशंसा के कुछ शब्द है, कीर्ति टीचर की चाय, वाह भाई वाह...।


कैसे खुली टीचर जी की चाय
शैल शिक्षा निकेतन नैनी में बतौर शिक्षिका बच्चों का भविष्य संवार रही कीर्ति भरद्वाजपुरम यानी पूर्व के अल्लापुर में रहती हैं। कीर्ति कहती है कि पूरा प्रयागराज किसी न किसी रूप से देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में जुटा है। मुझे भी लगा कि कुछ करना चाहिए।
चाय और बड़ा पाव की दुकान चलाने के लिए घर वालों से बात की पर बात नहीं बनी। बहनोई मनीष श्रीवास्तव से कहा तो उन्हें भी विचार पसंद आया । कुछ भी निश्शुल्क नहीं देना था और इतने पैसे भी नहीं लेने थे कि उसे आम श्रद्धालु वहन न कर सके। अपनी स्कूटी पर ही दुकान चलाने का निर्णय लिया और शुरू हो गया नया स्टार्टअप।
नागवासुकि मार्ग पर शाम छह से रात में 12-1 बजे तक तब तक हम यहां रहते हैं जब तक हमारे पास खाने-पीने के लिए चीजें बची होती है। विधि स्नातक मनीष कहते हैँ उद्देश्य व्यापार नहीं है, लेकिन भविष्य का मार्ग यही है। लोगों की प्रतिक्रिया और दुकान पर आती श्रद्धालुओं की संख्या उत्साहजनक है।

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