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    Maha Kumbh: पंजाब से ही नहीं, गंगा में डुबकी लगाने दुबई-ग्रीस से भी आ रहे सिख; नीले बाने का बताया मतलब

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Thu, 16 Jan 2025 07:24 PM (IST)

    महाकुंभ के संगम तट पर सिख संगत भी सनातन धर्म का संदेश दे रही है। दुबई और ग्रीस से आए सिख श्रद्धालु निर्मल और उदासीन अखाड़ों में भाग ले रहे हैं। अखाड़ों में भक्ति ज्ञान और सनातन धर्म का प्रचार किया जा रहा है। दुबई से जोगेंद्र सिंह सलारिया और ग्रीस से गुरु प्यार सिंह जैसे श्रद्धालु सनातन धर्म की महिमा का प्रचार कर रहे हैं।

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    साथी अमरीक सिंह के साथ मेला परिक्षेत्र में भ्रमण करते गुरु प्यार सिंह(दाएं) जागरण

    जितेन्द्र पाण्डेय, महाकुंभनगर। सनातन की आभा से दैदीप्यमान संगम तट पर सिख संगत भी पुण्य की डुबकी लगा रही है। इसमें दुबई व ग्रीस के भी सिख शामिल हैं। इस डुबकी से वह विश्व को संदेश दे रहे हैं कि सनातन से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

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    तंबुओं की विशाल नगरी में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़ा के यहां लंगर में रोज हजारों की संख्या में सिख संगत प्रसाद ग्रहण कर रही है। साथ ही, वह लोगों को सनातन धर्म का मर्म भी समझा रहे हैं। अखाड़े भारतीय धर्म, संस्कृति, और परंपराओं के प्रतीक हैं। यहां साधु-संत रहते हैं।

    वह धार्मिक और शारीरिक अनुशासन का पालन करते हैं। देश के 13 मुख्य धार्मिक अखाड़ों में निर्मल व उदासीन अखाड़े सिख समुदाय के हैं। सेक्टर 20 में स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के आचार्य गद्दी महंत दुर्गा दास जी कहते हैं कि सिख समुदाय शिष्य परंपरा का निर्वहन करता है। यह सनातन की एक शाखा है।

    इस अखाड़े की स्थापना गुरुनानक देव के पुत्र श्रीचंद्र भगवान ने की थी। इस अखाड़े के लोग सनत, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार के बताए मार्ग पर चलते हैं। इस अखाड़े के लोग भक्ति व ज्ञान के प्रचार के लिए जगह- जगह घूमते रहते हैं। अखाड़े के संत लोगों को बताते हैं कि सनातन धर्म अक्षुण है। यह किसी के प्रभाव में आने से खंडित होने वाला नहीं है।

    महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ इस बात को प्रमाणित भी करती है। जब-जब लोगों में भटकाव की स्थिति आई तो संतों ने संदेश दिया है कि भगवान के रूप अलग- अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि संत योगी जी इतने बड़े महाकुंभ का आयोजन कराया। इसमें सिख भी जुट रहे हैं और भक्तजन भी आ रहे हैं और सभी मिलकर यही संदेश दे रहे हैं कि हम सब एक हैं।

    दुबई से स्नान करने आए श्रृद्धालु

    उदासीन अखाड़े से जुड़े व दुबई से अपनी टोली के साथ महाकुंभ स्नान करने आए जोगेंद्र सिंह सलारिया ने बताया श्रीचंद भगवान शिवजी के अवतार माने जाते हैं। भगवान की आराधना के लिए तमाम माध्यम हैं। कोई शिवलिंग की उपासना करता है तो कोई कुछ और।

    उदासीन अखाड़े में आचार्य गद्दी के महंत दुर्गादास जी(बाएं से पहले) से सनातन धर्म पर चर्चा करते दुबई से जोगेंद्र सिंह सलारिया(दाएं से प्रथम) जागरण

    उदासीन अखाड़े के लोग भष्मिका गोला बनाकर श्रीचंद भगवान की आराधना करते हैं। अन्य अखाड़ों में मढ़ी की व्यवस्था है और उदासीन अखाड़े में पंगत की। इसमें रोजाना दस हजार से अधिक श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। जोगेंद्र सिंह बताते हैं कि उदासीन अखाड़ा दुबई व पाकिस्तान में भी लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।

    इनकी कोशिशों की देन है कि दुबई में दो लाख से अधिक लोग शाकाहारी हो चुके हैं। वह कहते हैं जैसा खाओ अन्न, वैसा होवे मन। सिख समुदाय के लोग सिर्फ अखाड़ों में ही नहीं हैं। वह अखाड़ों से बाहर निकलकर सनातन धर्म की महिमा का बखान कर रहे हैं।

    निर्मल अखाड़े से जुड़े ग्रीस से आए गुरु प्यार सिंह

    ग्रीस से आए गुरु प्यार सिंह नीले रंग के बाने में अपने साथी अमरीक सिंह के साथ मेला परिसर घूम रहे हैं। वह निर्मल अखाड़े से जुड़े हैं। वह बताते हैं कि उनके अखाड़े में केसरिया बाना ब्राह्मण व ज्ञानी लोगों के लिए होता है और नीला बाना क्षत्रिय व बहादुरों के लिए होता है।

    वह महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के रहने वाले हैं। बचपन से ही निहंग सिंह बुड्ढा दल से जुड़े हुए हैं। वह बताते हैं कि वह ग्रीस में थे। वहां पर भी अखाड़े का ही कार्य कर रहे थे। यहां आने के बाद खुद को पूरी तरह अखाड़े के लिए समर्पित कर दिया है।

    गुरु प्यार सिंह ने बताया कि ज्ञान सिंह उनके अखाड़े के महा मंडलेश्वर हैं। उनका अखाड़ा सैकड़ों वर्षों से सनातन व लोगो के कल्याण के लिए काम कर रहा है। इस अखाड़े का मुख्यालय हरिद्वार के कनखल में है, लेकिन इसके लोग देश भर में फैले हैं और लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

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