MahaKumbh: आग लगने के 24 घंटे बाद कैसे हैं हालात, खंडहर जैसा दिख रहा परिसर- देखिए तस्वीरें
रविवार को महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 में भीषण आग लगी जिससे 180 गीता प्रेस काटेज जलकर खाक हो गए। आग प्रसाद बनाने के दौरान शुरू हुई और टेंट में रखे सिलेंडरों के ब्लास्ट से तेज़ी से फैल गई। दमकल की टीम ने मशक्कत से आग पर काबू पाया। घटना में कई टेंट और सामान नष्ट हो गए लेकिन पुलिस की सक्रियता से भगदड़ टाली गई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/महाकुंभ नगर। Maha Kumbh Fire: महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को भीषण आग लग गई थी, जिस पर काबू पा लिया गया है। आग शास्त्रीय ब्रिज के नीचे सेक्टर 19 के इलाके में लगी थी। आग की लपटें इतनी भयानक थी कि श्रद्धालु कांप गए थे।
बताया गया कि खाना बनाते समय टेंट में आग लगी थी। मौके पर पहुंची दमकल की गाड़ियों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था। आग बुझने के बाद गीता प्रेस का परिसर खंडहर जैसा दिख रहा है। जमीन पर पड़े छप्पर और काली राख।
आग लगने से पहले यहां काफी भीड़ थी, लेकिन अब सिर्फ जला हुआ सामान पड़ा है। जानकारी के मुताबिक, शाम करीब चार बजे सेक्टर 16 स्थित दिगंबर अनी अखाड़ा में प्रसाद तैयार किया जा रहा था। इसी दौरान भीषण आग लग गई। टेंट में रखे तीन सिलेंडर भी ब्लास्ट हो गए। धमाका इतना तेज हुआ कि 20 से 25 टेंट खाक हो गए।
काफी मशक्कत के बाद बुझी थी आग
जानकारी मिलते ही मौके पर फायर बिग्रेड की टीम पहुंच गई। काफी मशक्कत के बाद आग को बुझाने में टीम को सफलता मिली। भीड़ अधिक होने के कारण दमकल को पहुंचने में समय लगा। पूरे महाकुंभ मेला में अलर्ट जारी कर दिया गया था।
महाकुंभ नगर के सेक्टर-19 के गीता प्रेस के शिविर में लगी आग के कारण सिलेंडर निकालता पुलिसकर्मी।-हृदेश चंदेल
गोरखपुर निवासी देवेंद्र तिवारी ने बताया कि वह आग से करीब 200 मीटर दूर थे। अचानक उड़ती हुई चिंगारी दिखाई दी और फिर कुछ ही क्षण बाद आग की लपटें आसामान की ओर उठने लगीं। वह मदद के लिए आगे बढ़े लेकिन एक पुलिसकर्मी ने रोक दिया।
उनकी दृष्टि दूसरी तरफ पड़ी तो लोग अपने-अपने टेंट से गैस सिलिंडर और रजाई, गद्दा समेत अन्य सामान बाहर निकालने लगे। कुछ देर बाद पटाखे की तरह सिलिंडर फूटने लगे तो भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई, मगर पुलिस की सक्रियता ने उसे संभाल लिया।
गीता प्रेस के 180 काटेज जले
गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने मीडिया को बताया कि लगभग 180 काटेज बनाए गए थे। काटेज बनाने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी। जिन्हें काटेज उपलब्ध कराया गया था, उनसे कहा गया था कि अग्नि का कोई काम नहीं करेगा। उनकी सीमा क्षेत्र से बाहर से चिंगारी आई थी,जिसके बाद आग लगी और फैल गई। इससे सबकुछ खत्म हो गया।
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