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    Maha Kumbh 2025 में हुई घटना ने पुरानी याद की ताजा, 2013 और 1954 में भी हुई थी ऐसी भगदड़

    Maha Kumbh 2025 में हुई भगदड़ ने श्रद्धालुओं के मन में पुरानी यादों को ताजा कर दिया है। 2013 और 1954 में भी कुंभ मेले के दौरान भगदड़ हुई थी जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। इस बार भी संगम क्षेत्र के पास भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई। इस घटना ने कुंभ मेले के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ दिया है।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 29 Jan 2025 08:21 AM (IST)
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    Maha Kumbh Mela 2025: हादसे के बाद रोते-बिलखते परिजन। जागरण

     जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025 महाकुंभ मेले में मंगलवार देर रात हुई भगदड़ ने तमाम श्रद्धालुओं के मन में पुरानी याद ताजा कर दी। मेला क्षेत्र में मौजूद कुछ स्नानार्थियों को जब पता चला कि संगम क्षेत्र के आसपास भदगड़ में कई की जान गई है तो वह हतप्रभ रह गए।

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    रमेश कुमार ने कहा कि वर्ष 2013 में कुंभ के दौरान जंक्शन पर हुई भगदड़ में उनके पिता सकुशल बच गए थे। इस बार महाकुंभ में व्यवस्था बेहतर बताई गई लेकिन न जाने कैसे हृदयविदारक घटना हो गई। पुरानी यादों को ताजा करते हुए वह द्रवित हो गए। इसी तरह कई और श्रद्धालुओं ने पुरानी घटनाओं को याद करते हुए कुव्यवस्था को कोसते रहे।

    जंक्शन पर भगदड़ में 36 लोगों की हुई थी मौत

    वर्ष 2013 के कुंभ मेला के दौरान 10 फरवरी को मौनी अमावस्या का स्नान था। प्रयागराज जंक्शन (इलाहाबाद) पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंच चुके थे। सभी प्लेटफार्म ठसाठस भरे हुए थे। ओवरब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी। शाम करीब सात बजे प्लेटफार्म छह की ओर जाने वाले फुट ओवरब्रिज की सीढिय़ों पर अचानक भगदड़ मची। धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे जबकि कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया।

    Maha Kumbh 2025: संगम पर स्नान के लिए जुटी भीड़। जागरण


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    कुचलने और गिरने से 36 लोगों की मौत हो गई थी और ज दर्जनों लोग घायल हुए थे। उनका अस्पताल में कई दिनों तक इलाज चला था। दर्दनाक हादसे में जान गवांने वाले श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्य की तीर्थयात्री थे।

    1954 के कुंभ मेले में सैकड़ों श्रद्धालुओं की गई थी जान

    देश की आजादी के बाद वर्ष 1954 के कुंभ में भी भगदड़ हुई थी। उस मेले में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर मची भगदड़ में सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मेला प्रशासन ने घटना को छिपाने का पूरा प्रयास किया था किंतु एक फोटोग्राफर ने उसे उजागर कर दिया था। दो छायाकारों के पास ही भगदड़ के समय की फोटो थी।

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    दुर्घटना की फोटो उस समय एक बड़े अखबार के छायाकार ने अपनी जान की परवाह न कर फोटो खींची थी और फिर सचित्र समाचार प्रकाशित होने पर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे।