Maha Kumbh 2025: आस्था से ऊर्जित मन, बेअसर साबित हो रही गलन; श्रद्धालु जमकर लगा रहे संगम में डुबकी
Maha Kumbh Mela 2025 संगम तट पर कड़ाके की ठंड में भी लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। आस्था की गर्माहट ऐसी कि दस मिनट भी बैठना मुश्किल है लेकिन श्रद्धालुओं का मन डगमगाया नहीं। आस्था का ज्वार ऐसा कि तट हर हर गंगे के जयघोष से गूंज उठता है। लाखों श्रद्धालु संगम की रेती पर डेरा जमाए हुए हैं।

जितेंद्र पाण्डेय, महाकुंभ नगर। संगम तट पर ओस की बूंदें चंद मिनटों में ही तन को भिगो दें रहीं हैं, पर मन आस्था से ऊर्जित है। इस ठंड में यहां दस मिनट बैठना भी मुश्किल है, लेकिन लाखों श्रद्धालु संगम की रेती पर डेरा जमाए हुए हैं। मोक्षदायिनी की तरंगें मन में उमंग पैदा कर रहीं हैं। रह-रह कर आस्था का ज्वार आता है तो तट हर हर गंगे के जयघोष से गूंज उठता है। संगम का यह दृश्य रामचरितमानस की चौपाई का जीवंत चित्रण प्रस्तुत कर रहा है-
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं।
सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥
यहां कोई अपने पूजन अर्चन में है तो कोई अपने स्थान पर बैठकर किस्से सुना रहा है कि पिछली बार आए थे तो क्या हुआ। यहां पर तमाम लोग चैन की नींद भी ले रहे हैं, लेकिन ठंड का असर किसी पर नहीं है। लोग अपने में ही मगन हैं। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के फुलपुर थाने के हरीगहपुर निवासी हरिदास तीन दिन संगमघाट पर टिके हुए हैं।
Maha Kumbh 2025: स्नान करने जाते श्रद्धालु। - उत्तम राय चौधरी
उनके समूह में कुल नौ लोग हैं। घाट पर ही भोजन हो रहा है। घाट के किनारे क्यों रह रहे हैं। वह बताते हैं कि पहले तो रहने के कोशिश की कि कहीं कोई व्यवस्था हो जाए, लेकिन जब उपाय काम नहीं आया तो डाल दिया डेरा गंगा तट पर। वह कहते हैं कि गंगा मईया चाहती ही नहीं थीं कि उनका बेटा उनसे कहीं दूर जाए। वह आए थे सिर्फ एक दिन के लिए और तीन दिन से यहीं पड़े हैं।
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आगरा से अपनी टीम के साथ आए राहुल दिन भर में कई बार स्नान करते हैं। आपको ठंड नहीं लगती, पूछने पर कहते हैं कि आपको लगती है क्या? गंगा मईया का जो दर्शन करने आएगा उसे ठंड कैसे लगेगी। ठंड लग रही है। यानी ध्यान कहीं और है। वह कहते हैं कि पांच बार जोर से गंगा मईया व महादेव का नाम लीजिए। सुखद अनुभूति होगी। ठंड नहीं लगेगी।
महाकुंभनगर के त्रिवेणी मार्ग से गुजरते संत-महात्मा। मुकेश कनौजिया
महाराजगंज जिले के कोल्हुई कस्बे के रामकुबेर चौधरी भी महाकुंभ स्नान करने आए हुए हैं। वह भी घाट पर अपना डेरा जमाए हुए हैं। वह कहते हैं कि रुकने के लिए कहीं कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन यहां न रुकते तो संगम का अलौकिक दृश्य देखने को न मिलता।
महाकुंभ नगर के डमरू द्वार के समीप से संगम तट स्नान के लिए जाते श्रद्वालु। मुकेश कनौजिया
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वह कहते हैं रात में शास्त्री पुल पर चढ़ जाएं और ऊपर की बजाय नीचे देखिए। खुद को आसमान से ऊपर पाएंगे। तंबू नगरी का टिमटिमाता प्रकाश आपको तारों का आभास कराएगा। ये तारे यहां गंगा मईया का श्रृंगार कर रहे हैं। श्रद्धा की ऊष्मा से तन को गर्माहट मिल रही है। गंगा तट पर अखाड़ों के संत अपनी धूनी रमाए हुए हैं। हर- हर महादेव। हर- हर गंगे।
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