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    Maha Kumbh 2025 के इन गजब बाबाओं को जरूर देखिए; साढ़े आठ सालों से हाथ ऊपर... कोई 9 सालों से बैठा ही नहीं!

    Updated: Tue, 14 Jan 2025 07:57 PM (IST)

    Maha Kumbh 2025 | महाकुंभ में अजब-गजब बाबाओं (Maha Kumbh Baba) का संगम देखने को मिल रहा है। हार्ले डेविडसन बाबा आधुनिकता और साधना के बीच संतुलन स्थापित कर रहे हैं तो चाय वाले बाबा और पर्यावरण बाबा मानवता और प्रकृति की सेवा का संदेश दे रहे हैं। देश के कोने-कोने से आए कड़े खड़े और फलाहारी बाबा जैसे हठयोगी अपनी प्रबल इच्छा शक्ति से अचंभित करते हैं।

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    महाकुंभ के दौरान संगम की रेती पर अजब-गजब बाबा पहुंचे हैं। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। Maha Kumbh 2025 | महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी का महासंगम अजब-गजब बाबाओं का भी संगम बन गया है। हार्ले डेविडसन बाबा जैसे साधु आधुनिकता और साधना के बीच संतुलन स्थापित कर रहे हैं, जबकि चाय वाले बाबा और पर्यावरण बाबा जैसे संत मानवता और प्रकृति की सेवा का संदेश दे रहे हैं।

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    देश के कोने-कोने से आए कड़े, खड़े और फलाहारी बाबा जैसे हठयोगी सोचने पर विवश करते हैं कि क्या इतनी प्रबल इच्छा शक्ति संभव है। अजब-गजब बाबा श्रद्धालुओं के बीच न केवल आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि अचंभित भी करते हैं।

    अनोखे अंदाज में हार्ले डेविडसन बाबा

    महाकुंभ के शिविरों में चर्चा का विषय हैं हार्ले डेविडसन बाबा। वह शक्तिशाली हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर सवार होकर यहां पहुंचे। वह न केवल साधु-संतों, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच भी आकर्षण हैं। बाबा का मानना है कि आधुनिक साधन यदि धर्म प्रचार और सेवा के लिए उपयोग किए जाएं तो यह तपस्या का ही एक रूप है।

    पास आने वाले श्रद्धालुओं को वह यह संदेश देते हैं कि साधना केवल जंगलों और गुफाओं में सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक युग में धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार नए तरीकों से भी किया जा सकता है। उनकी मोटरसाइकिल भगवा झंडा है। जयकारों के साथ उनका स्वागत होता है।

    ढाई फीट के बौना बाबा साधना में लीन

    मात्र ढाई फीट लंबाई वाले 75 वर्षीय अवधूत बौना बाबा महाराष्ट्र के पंढरपुर से आए हैं। दत्त महाराज की साधना में लीन यह संत किसी भी संकल्प या मांग से परे केवल ईश्वर की आराधना में तल्लीन रहते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जीवन को पूरी तरह भक्ति के लिए समर्पित कर दिया है। श्रद्धालु उनके छोटे कद और उनकी साधना के प्रति श्रद्धा से भर जाते हैं।

    हाथ खड़ा कर साधना करते हैं कड़े बाबा

    मध्य प्रदेश के महाकाल गिरि, जिन्हें कड़े बाबा के नाम से जाना जाता है। वे साढ़े आठ सालों से अपना हाथ ऊपर उठाए हुए हैं। उनका यह कठोर तप गो-माता की रक्षा के लिए कानून बनाए जाने के लिए है। उनके नाखून सात-आठ सेंटीमीटर तक बढ़ चुके हैं।

    45 किलो की रुद्राक्ष मालाएं सिर पर धारण करते हैं महंत गीतानंद

    कोट का पुरा पंजाब से आए सवा लाख रुद्राक्ष वाले के नाम से चर्चित श्रीमहंत गीतानंद गिरि ने अपने सिर पर रुद्राक्ष की मालाओं को धारण कर रखा है। 2019 के अर्धकुंभ में उन्होंने 12 साल तक सिर पर रुद्राक्ष धारण का संकल्प ले लिया था। वर्तमान में रुद्राक्ष की संख्या सवा दो लाख पहुंच चुकी है, जिनका वजन करीब 45 किलो हो गया है। उनकी हठयोग का उद्देश्य सनातन धर्म की मजबूती से रक्षा और जनकल्याण है।

    साढ़े आठ वर्ष से खड़े हैं खड़ेश्वर बाबा

    हरियाणा के रमेश पुरी, जिन्हें खड़ेश्वर बाबा के नाम से जाना जाता है, पिछले साढ़े आठ वर्षों से खड़े हैं। वह कभी लेटते नहीं और अपनी कमर से कुछ ऊंचे स्थित सहारे पर टिक कर साधना जारी रखते हैं। यह कठिन साधना क्यों? इस पर इतना ही कहते हैं, ‘आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा छोड़।’ यह उनके निर्विकार रूप को दर्शाता है।

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