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    'मेरी ड्यूटी खत्म हो चुकी है'...नाराज लोको पायलट ने मालगाड़ी चलाने से कर दिया इनकार, हुआ हाईवोल्टेज ड्रामा

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 11:31 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक लोको पायलट ने ड्यूटी खत्म होने के बाद मालगाड़ी चलाने से इनकार कर दिया, जिससे रेलवे स्टेशन पर हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ। प ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर

    संवाद सूत्र, प्रयागराज। कल्पना कीजिए, आप भीषण ठंड या काम की थकान में घर की ओर बढ़ रहे हैं और सामने रेलवे फाटक गिर जाए। आप इंतज़ार करते हैं कि ट्रेन गुज़रे और रास्ता खुले, लेकिन ट्रेन खड़ी की खड़ी रह जाए। इसलिए नहीं कि सिग्नल लाल है, बल्कि इसलिए क्योंकि ड्राइवर साहब नाराज हैं।

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    लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसा ही वाकया हुआ, जो किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं था। यह कहानी है अप ऊंचाहार' मालगाड़ी और उसके लोको पायलट की, जिसने रेलवे के सिस्टम को पटरी पर ही ठेंगा दिखा दिया।

    पं. दीनदयाल स्टेशन से फाफामऊ होते हुए अप ऊंचाहार जा रही मालगाड़ी शान से लालगोपालगंज पहुंची। तभी कंट्रोल से फरमान आया कि लखनऊ इंटरसिटी आ रही है, उसे रास्ता दो। सहायक अधीक्षक दिलीप कुमार ने आदेश का पालन किया और मालगाड़ी को प्लेटफार्म नंबर दो पर खड़ा कर दिया।

    इंटरसिटी आई और एक मिनट बाद फुर्र से निकल गई। नियम के मुताबिक अब मालगाड़ी को चलना था, लेकिन यहीं हुआ असली ट्विस्ट। जैसे ही हरी झंडी दिखाई गई, लोको पायलट ने हाथ खड़े कर दिए। पायलट का तर्क सीधा और सपाट था 'मेरी ड्यूटी का समय खत्म हो चुका है, मैं ओवरटाइम कर रहा हूं और अब आप लोगों ने मुझे प्लेटफार्म पर रोककर मेरी नाराजगी और बढ़ा दी है। मैं 9:30 घंटे से अधिक समय से लगातार मालगाड़ी चल रहा हूं। अब बर्दाश्त से बाहर है।'

    बस फिर क्या था इंजन खामोश हो गया। वहां सवा घंटे तक जो मंजर दिखा, वह रोचक भी था और झुंझलाहट भरा भी। पश्चिमी रेलवे क्रॉसिंग का फाटक गिरा रहा। जेठवारा मार्ग पर गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। लोग परेशान हो गए, हार्न बजाते रहे, लेकिन पायलट साहब अपनी जिद पर अड़े रहे।

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    पुलिस आई, आरपीएफ आई, पर ड्राइवर नहीं माना।

    स्टेशन पर हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कुंडा से आरपीएफ बुलाई गई, स्थानीय पुलिस पहुंची। खाकी वर्दी वालों ने पायलट को समझाने की कोशिश की, मिन्नतें कीं, थोड़ा रौब भी झाड़ा, लेकिन नाराज' पायलट का दिल नहीं पसीजा। करीब एक घंटे 17 मिनट तक लालगोपालगंज का पश्चिमी फाटक पूरी दुनिया से कटा रहा। राहगीर समझ नहीं पा रहे थे कि ट्रेन खराब है या ड्राइवर का मूड।

    आखिरकार, मामला बड़े अफसरों (कंट्रोल) तक पहुंचा। फोन पर लंबी मान-मनौव्वल हुई। जैसे किसी रूठे हुए रिश्तेदार को मनाया जाता है, वैसे ही पायलट को मनाया गया। तब कहीं जाकर दोपहर 12:43 बजे इंजन ने फिर से हुंकार भरी और मालगाड़ी रवाना हुई।

    यह घटना भले ही पढ़ने में किसी कॉमेडी फिल्म जैसी लगे, लेकिन यह रेलवे की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। एक तरफ लोको पायलटों पर काम का भारी दबाव और उनकी थकान है, जो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।

    वहीं दूसरी तरफ, सिस्टम की ऐसी जिद कि मालगाड़ी को प्लेटफार्म पर रोककर घंटों पब्लिक को बंधक बना दिया जाए। तो अगली बार जब आप फाटक पर रुकें, तो प्रार्थना कीजिएगा कि अंदर बैठा पायलट अपनी ड्यूटी की घड़ी और मूड, दोनों को दुरुस्त रखे। डीआरएम लखनऊ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है।