Kailash Gautam Death Anniversary : कैलाश गौतम की कविताओं में समय और समाज का सच : न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र
Kailash Gautam Death Anniversaryप्रयागराज में जनकवि कैलाश गौतम की 19वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय काव्य कुंभ का आयोजन किया गया। अयोध्या के जमुना प्रसाद उ ...और पढ़ें

Kailash Gautam Death Anniversary जमुना प्रसाद उपाध्याय को जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ सम्मान 2025 से सम्मानित करते न्यायमूर्ति अशोक कुमार, न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र, न्यायमूर्ति विपिन दीक्षित व अन्य। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Kailash Gautam Death Anniversary हृदयस्पर्शी लेखन से लोक संस्कृति को जीवंत करने वाले जनकवि कैलाश गौतम की स्मृति में ख्यातिलब्ध रचनाकार सम्मानित किए गए। कैलाश गौतम सृजन संस्थान ने रविवार को हिंदुस्तानी एकेडेमी में 19वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय काव्य कुंभ समारोह का आयोजन किया। इसमें अयोध्या के ख्यातिलब्ध रचनाकार जमुना प्रसाद उपाध्याय को जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य-कुंभ सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया। इनके अलावा विभिन्न शहरों के रचनाकार सम्मानित हुए।
लोकरंग के अद्भुत कवि थे : न्यायमूर्ति क्षितिज
Kailash Gautam Death Anniversary मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने कहा कैलाश गौतम की कविताओं में समय और समाज का सच है। वह लोकरंग के अद्भुत कवि थे जिनकी कविताओं में जीवन का दर्शन और व्यवहारिक संकटों का यथार्थ चित्रण है।
उनकी रचनाएं अविस्मरणीय : न्यायमूर्ति विपिन दीक्षित
Kailash Gautam Death Anniversary अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि कैलाश गौतम आम आदमी व लोकरंग के कालजयी कवि थे। उनकी कविताएं अविस्मरणीय हैं। न्यायमूर्ति विपिन दीक्षित ने कहा कैलाश गौतम की रचनाएं आज भी सुनी और सराही जाती है।
प्रयागराज को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया : अंजनी
Kailash Gautam Death Anniversary विशिष्ट वक्ता अंजनी कुमार सिंह ने कहा, कैलाश गौतम की कविताओं ने प्रयागराज को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया। विशिष्ट अतिथि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय बबुआ ने उनकी कविताओं को प्रेरणादायी बताया। डाॅ. एसएम सिंह, अखिलेश शर्मा, मनोज कुमार सिंह, अजीत विक्रम सिंह, रघुनाथ द्विवेदी ने विचार व्यक्त किए। संचालन अजीत सिंह ने किया। संयोजन संस्था के अध्यक्ष डाॅ. श्लेष गौतम ने किया।
कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं पेश कीं
द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें जमुना प्रसाद उपाध्याय ने सुनाया, ''जुगनू भी मेरे घर में चमकने नहीं देते-कुछ लोग अंधेरों को सिमटने नहीं देते...।'' संचालन कर रहे डाॅ. श्लेष गौतम ने ''धरा कभी छोड़ी नहीं छूकर भी आकाश-अजर-अमर तुम हो गए कविता के कैलाश...'' सुनाकर तालियां बटोरीं। शशांक प्रभाकर ''नीरज'' ने, खोई हुई चीजों को यादों में पास रखता हूं-मैं अपने किरदार में सबकुछ ही ख़ास रखता हूं...।'' सुनाया। इनके अलावा दान बहादुर सिंह, डा. सुरेन्द्र सार्थक, सरोज त्यागी, डा. आदित्य जैन, महेश प्रताप श्रीवास्तव, हेमा पांडेय, अंकिता शुक्ला, शरीफ भारती, पुष्पेंद्र पुष्प, अभिषेक तिवारी ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में संतोष चौधरी, अजीत सिंह, सरदार हरजिंदर सिंह,अनिल गुप्ता अन्नू भैया, सरदार दिलजीत सिंह, अनिल अरोरा, संतोष तिवारी आदि मौजूद रहे। आभार अनुराग अरोरा व मनीष घोष ने ज्ञापित किया।
चंदौली में जन्मे थे, प्रयागराज रही कर्मभूमि
प्रख्यात जनकवि कैलाश गौतम का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में आठ जनवरी 1944 में हुआ था। जन्म तो चंदौली में हुआ लेकिन उनकी कर्मभूमि संगम नगरी ही रही। उनकी कविताएं ऐसी चमकीं कि आम जन के ह्दय में वास करने लगीं। नौ दिसंबर 2006 को इस जनकवि ने अंतिम सांस ली।
प्रमुख रचनाएं
कालजयी कविता अमौसा का मेला उन्होंने प्रयागराज में वर्ष 1989 के कुंभ मेला के दौरान लिखी थी। यह इतनी मशहूर हुई कि आज भी इसे लोग गुनगुनाते हैं। इसके अलावा बियाहे क घर, गांजी जी, कुर्सी, कचहरी गांव, गंगा के अलावा कैलाश गौतम की पप्पू की दुल्हन, रमचरना, अन्हारे से लड़ाई, झुनिया आदि कविताओं ने लोगों को प्रभावित किया है। 'ई भक्ति के रंग में रंगल गांव देखा अगल में बगल में सगल गांव देखा धरम में करम में सनल गांव देखा अमवसा नहाए चलल गांव देखा' कविता महाकुंभ में ही कई अवसरों पर पढ़ी गई।
इन्हें मिला जनकवि कैलाश गौतम सर्जना सम्मान
-सुरेंद्र सार्थक (डींग-राजस्थान)
-शरीफ भारती (मुरादाबाद)
-सरोज त्यागी (गाजियाबाद)
-डाॅ. प्रकाश खेतान (प्रयागराज)
-डाॅ. आदित्य जैन (कोटा)
-अभिषेक तिवारी (शिमला)
-मिस्बाह इलाहाबादी (प्रयागराज)
कैलाश गौतम साहित्य सरोकार-सेवा सम्मान से सम्मानित
-महेश प्रताप श्रीवास्तव (बस्ती)-विनीत पांडेय (लखनऊ)
-हिमांशु कुमार (प्रयागराज)-अजीत सिंह (प्रयागराज)
-राजीव सिंह (प्रयागराज)
-डाॅ. सुभाष यादव (प्रयागराज)-पंकज सिंह (प्रयागराज)
-डाॅ. पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (प्रयागराज)

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