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    Krishna Janmashtami 2025 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी, ज्योतिर्विदों ने बताई वजह, इस्कान मंदिर में 108 चांदी कलश से होगा महाभिषेक

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 12:40 PM (IST)

    Krishna Janmashtami 2025 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। प्रयागराज के मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे जिनमें भगवान का महाभिषेक और 56 भोग शामिल हैं। भक्तजन व्रत रखकर और भजन-पूजन करके भगवान कृष्ण की आराधना करेंगे। जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशी के समान माना जाता है। विष्णु नाम का जप माखन-मिश्री का भोग लगाने का विशेष महत्व है।

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    Krishna Janmashtami 2025 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रयागराज के विभिन्न मंदिरों में उत्सव मनाने की तैयारी है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। उत्साहित, भक्तिमय माहौल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का मिलन नहीं हो रहा है। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस बार 16 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसकी वजह भी उन्होंने बताई। 

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    ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12.58 बजे लगकर 16 अगस्त की रात 10.29 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि लगेगी। उक्त तारीख की सुबह 8.08 बजे तक भरणी नक्षत्र है। फिर सुबह 8.09 बजे से कृतिका नक्षत्र लगेगा। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 6.29 बजे लगकर 18 अगस्त की भोर 4.54 बजे तक रहेगा, लेकिन तब दशमी तिथि रहेगी।

    रोहिणी के मतावलंबी 17 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे

    ऐसे में 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। रोहिणी के मतावलंबी 17 अगस्त रविवार को भगवान का जन्मोत्सव मनाएंगे। प्रभु के जन्म पर भक्तों का उल्लास, उत्साह व उमंग चरम पर होगा। कन्हाई के जन्म लेने पर मठ-मंदिरों के साथ घरों में बजेगी बधाई। मुरली मनोहर का भव्य शृंगार कर भक्त भजन-पूजन के जरिए उनकी महिमा का बखान करेंगे।

    इन मंदिरों में भी उल्लास के साथ मनाया जाएगा पर्व 

    इस्कान मंदिर में भगवान को पहनाने के लिए वृंदावन से विशेष पोशाक आई है। रात 11 बजे भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का महाभिषेक शुरू होगा। चांदी के 108 कलशों में 21 प्रकार के द्रव्य भरकर उसी से भगवान का अभिषेक किया जाएगा। अभिषेक के बाद 56 भोग अर्पित करके रात 12 बजे महाआरती की जाएगी। रूप गौड़ीय मठ, श्रीराधा रमण जी महाराज मंदिर, निम्बार्क आश्रम सहित समस्त मठ-मंदिरों व घरों में उत्साह के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

    जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशी के समान

    पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का फल एक हजार एकादशी का उपवास रखने के समान मिलता है। पूरी रात जप व ध्यान का विशेष महत्व है। भविष्य पुराण में वर्णित है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु से बचाता है। इस दिन उपवास रहकर अहंकार का त्याग करना चाहिए।

    विष्णु नाम का करें जप, माखन मिश्री का लगाएं भोग

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सुबह स्नान करके समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। फिर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें। दिनभर मन में श्रीकृष्ण, विष्णु नाम जप अथवा श्रीमद्भागवत का यथासंभव पाठ करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल अथवा मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति अथवा चित्र को नए वस्त्र धारण कराकर उन्हें पालने में स्थापित करके पूजन करें।

    पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं 

    पूजन में माता देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद बाबा, यशोदा मइया और लक्ष्मी माता आदि का नाम जरूर बोलकर प्रमाण करें। इसके बाद माध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं। खीरा, फल व मिष्ठान अर्पित करके आरती करके सोहर गाकर खुशी मनानी चाहिए।