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    महाकुंभ के दौरान चर्चा में रहे पांटून पुलों के पीपों का अब क्या होगा...? कैसे सहेजे जाएंगे, किसकी होगी जिम्मेदारी?

    Updated: Tue, 04 Mar 2025 07:02 PM (IST)

    कुंभ मेले में इस्तेमाल हुए पीपा पुल अब उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोगों की सुविधा के लिए भेजे जाएंगे। गोरखपुर मेरठ बरेली देवरिया समेत अन्य जिलों में इन पुलों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन पुलों को बनाने में लगभग 140 करोड़ रुपये की लागत आई है। एक पांटून का वजन लगभग 5.35 टन होता है फिर भी यह पानी में तैरता है।

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    महाकुंभ के दौरान चर्चा में रहे पांटून पुलों के पीपों का अब क्या होगा...?

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। महाकुंभ के भव्य आयोजन में पीपा पुलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही। विराट आयोजन में संगम क्षेत्र और अखाड़ा क्षेत्र के बीच पीपे के पुल ने अद्भुत सेतु का काम किया। देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की राह इन्हीं पीपा से तैयार पुलों ने आसान बनाई थी।

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    अब महाकुंभ संपन्न हो गया है, ऐसे में इन पीपा पुलों को उप्र के गोरखपुर, मेरठ, बरेली, देवरिया समेत अन्य जनपदों में जनप्रतिनिधियों की मांग पर भेजा जाएगा। महाकुंभ के लिए लोक निर्माण विभाग विद्युत यांत्रिक की ओर से 2313 पीपा का निर्माण किया गया। पीपा,रेयलिंग और गार्डर सहित अन्य निर्माण में लगभग 140 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की गई है।

    महाकुंभ में 31 पीपा पुल बनाए गए थे। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने बताया कि पीपा दूसरे जनपदों में भेजने के पहले उच्च अधिकारियों की जिलास्तरीय बैठक होगी। उसके बाद प्रस्ताव शासन में भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद अन्य जिलों में पीपा भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी।

    लोहे की चादर से तैयार किया जाता है पीपा

    नदी पर पीपा पुल बनाने के लिए लोहे की विशाल चादर से पीपा का निर्माण किया जाता है। दो पीपा को गर्डर से जोड़कर उसे हाइड्रोलिक मशीनों से निर्माण स्थल तक पहुंचाया जाता है। पीपा पुल बनाने में साल स्लीपर की आवश्यकता होती है। अंत में पुल की सतह पर चकर्ड प्लेटें लगाई जाती हैं ताकि श्रद्धालुओं और वाहनों के आने जाने के लिए सतह मजबूत बनी रहे।

    पांच टन का होता है एक पांटून

    एक पांटून का वजन लगभग 5.35 टन होता है, फिर भी यह पानी में तैरता है। इसका रहस्य आर्किमिडीज के सिद्धांत में छिपा है। पीडब्ल्यूडी अभियंता अरुण त्रिपाठी ने बताया, जब कोई वस्तु पानी में डूबी होती है तो वह अपने द्वारा हटाए गए पानी के बराबर भार का प्रतिरोध झेलती है।

    यही सिद्धांत भारी-भरकम पांटून को पानी में तैरने में मदद करता है। पुलों की डिजाइन इस तरह बनाई गई है कि यह पांच टन तक का भार सहन कर सकते हैं। यदि इस सीमा से अधिक भार डाला जाए, तो पुल के क्षतिग्रस्त होने या डूबने का खतरा बढ़ जाता है।

    महाकुंभ संपन्न होने के बाद पीपा को गंगा यमुना नदी से हटाकर स्टोर में रखा जाता है। अलग-अलग जनपदों में डिमांड के अनुसार इसे भेजा जाता है।

    शासन के निर्देश पर पहले गोरखपुर, बलिया आदि जनपदों को पीपा भेजा गया है। आने वाले दिनों में मांग के अनुसार फिर इन जनपदों में भेजा जाएगा, ताकि वहां के लोगों को आवागमन में आसानी हो।

    सुरेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-चार, कुंभ मेला, प्रयागराज

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